Monday, 28 August 2017

#खंडन

[28/08, 3:27 PM] Vedants369: #खंडन -

#कौरव_कल्पना_या_सत्य ---
मेरी पिछली पोस्ट पे एक मित्र ने कौरव के 100 भाई होने की जिज्ञासा प्रकट की थी कि कैसे कौरव संख्या में 100 हुए जो सम्भव नही प्रतीत होता है । आज इसका खंडन करेंगे ।।

                ---- #विधर्मियो_के_कुतर्क -----

किसी भी एक जोड़े मानव दंपत्ति से 100 पुत्र पैदा होना असंभव है ऐसा हो ही नही सकता है । महाभारत सिर्फ कल्पना है जिसका कोई अस्तित्व नही है सिर्फ पंडितो ने अपने जीवन यापन के लिए ये कहानियां गढ़ ली है ना तो इसके पात्रों का कोई अस्तित्व है और 100 कौरव पुत्र ये तो बस कल्पना की पराकाष्ठा है मूर्ख बनाने की ।।

                  ------- #खण्डन_वैज्ञानिक ------

#पिछली पोस्ट में आपको मैंने बताया कि किस तरह कृतिम गर्भधारण कराया जाता था और इससे वन्श वृद्धि की जाती थी और अपना वंश बढ़ाया जाता था ।
कौरवों के 100 होने के पीछे भी कोई चमत्कार नही बल्कि विशुद्ध विज्ञान था आइये आपको परिचित कराते है उस तकनीकी से हालांकि अभी वर्तमान तकनीकी उंसके समकक्ष नही कही जा सकती फिर भी उससे तुलना करने पे आपको समझ आ जयगा की इसी तकनीकी का इस्तेमाल किया गया था जो उस समय कही ज्यादा अग्रणी था ।।

#वैदिक_साहित्यो_के_अनुसार -- वेदव्यास ने गांधारी के गर्भ से निकले मांस पिण्ड पर अभिमंत्रित जल छिड़का जिससे उस पिण्ड के अंगूठे के पोरुये के बराबर सौ टुकड़े हो गए। वेदव्यास ने उन टुकड़ों को गांधारी के बनवाए हुए सौ कुंडों में रखवा दिया और उन कुंडों को दो वर्ष पश्चात खोलने का आदेश देकर अपने आश्रम चले गए। दो वर्ष बाद सबसे पहले कुंड से दुर्योधन की उत्पत्ति हुई। फिर उन कुंडों से धृतराष्ट्र के शेष 99 पुत्र एवं दु:शला नामक एक कन्या का जन्म हुआ ।

#वर्तमान_की_तकनीकी ---

ऊतक संवर्धन (टिशू कल्चर) वह क्रिया है जिससे विविध शारीरिक ऊतक अथवा कोशिकाएँ किसी बाह्य माध्यम में उपयुक्त परिस्थितियों के विद्यमान रहने पर पोषित की जा सकती हैं। यह भली भाँति ज्ञात है कि शरीर की विविध प्रकार की कोशिकाओं में विविध उत्तेजनाओं के अनुसार उगने और अपने समान अन्य कोशिकाओं को उत्पन्न करने की शक्ति होती है। यह भी ज्ञात है कि जीवों में एक आंतरिक परिस्थिति भी होती है। (जिसे क्लाउड बर्नार्ड की मीलू अभ्यंतर कहते हैं) जो सजीव ऊतक की क्रियाशीलता को नियंत्रित रखने में बाह्य परिस्थितियों की अपेक्षा अधिक महत्व की है।

#ऊतक-संवर्धन-प्रविधि का विकास इस मौलिक उद्देश्य से हुआ कि कोशिकाओं के कार्यकारी गुणों के अध्ययन की चेष्टा की जाए और यह पता लगाया जाए कि ये कोशिकाएँ अपनी बाह्य परिस्थितियों से किस प्रकार प्रभावित होती हैं और उनपर स्वयं क्या प्रभाव डालती हैं। इसके लिए यह आवश्यक था कि कोशिकाओं को अलग करके किसी कृत्रिम माध्यम में जीवित रखा जाए जिससे उनपर समूचे जीव का प्रभाव न पड़े।फिर उस कोशिकाओं से पूरा जीव तैयार करना ही
ऊतक संवर्धन (टिशू कल्चर) तकनीकी का हिस्सा है ।

#विशेष - आज के समय मे भी ऊतक संवर्धन (टिशू कल्चर) से पूरी की पूरी एक नई पीढ़ी तैयार की जा रही है हालांकि ये अभी पौधों पे ही सफल हो पाई है और जीवो पे अभी इसका प्रयोग सफल तो हुआ है लेकिन उसकी दर कम है (क्लोनिंग) ।
तो अब आप को पता चल ही गया होगा कि कौरवों की संख्या 100 होना मात्र कल्पना नही एक सत्य है जिसकी पुष्टि आज का विज्ञान भी करता है ।।

#खंडन_जारी_रहेगा
[28/08, 3:27 PM] Vedants369: " ब्राह्मण " क्या है,,,,? कौन है,,,,,?
भगवान कृष्ण ने क्या कहा है,,,,,,,,;;?
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बनिया धन का भूखा होता है।
क्षत्रिय दुश्मन के खून का प्यासा होता है ।
गरीब अन्न का भूखा होता है।

पर ब्राम्हण?

ब्राम्हण केवल प्रेम और सम्मान का भूखा होता है।
ब्राम्हण को सम्मान दे दो वो तुम्हारे लिऐ
जान देने को तैयार हो जाऐगा।

अरे दुनिया वालो आजमाकर
तो देखो हमारी दोस्ती को।

मुसलमान अशफाक उल्ला खान बनकर हाथ बढ़ाता है,हम बिस्मिल बनकर गले लगा लेते है।

क्षत्रिय चंद्रगुप्त बनकर पैर छू लेता है,हम चाणक्य बनकर पूरा भारत जितवा देते है।

सिख भगत सिह बनकर हमारे पास आता है। हम चंद्रशेखर आजाद बनकर उसे बेखौफ जीना सिखा देते है।

कोई वैश्य गाधी बनकर हमे गुरु मान लेता है हम गोपाल कृष्ण गोखले बनकर उसे महात्मा बना देते है।

और
कोई शूद्र शबरी बनकर हमसे वर मागती है, तो हम उसे भगवान से मिलवा देते है।

अरे एक बार सम्मान तो देकर देखो हमें...........
........ फर्ज न अदा करे तो कहना
जय जय राम!!जय जय परशुराम!!

--  पुराणों में कहा गया है -

     विप्राणां यत्र पूज्यंते रमन्ते तत्र देवता ।

  जिस स्थान पर ब्राह्मणों का पूजन हो वंहा देवता भी निवास करते हैं अन्यथा ब्राह्मणों के सम्मान के बिना देवालय भी शून्य हो जाते हैं ।

इसलिए
   ब्राह्मणातिक्रमो नास्ति विप्रा वेद विवर्जिताः ।।

  श्री कृष्ण ने कहा - ब्राह्मण यदि वेद से हीन भी तब पर भी उसका अपमान नही करना चाहिए ।
क्योंकि तुलसी का पत्ता क्या छोटा क्या बड़ा वह हर अवस्था में कल्याण ही करता है ।

  ब्राह्मणोंस्य मुखमासिद्......

   वेदों ने कहा है की ब्राह्मण विराट पुरुष भगवान के मुख में निवास करते हैं इनके मुख से निकले हर शब्द भगवान का ही शब्द है, जैसा की स्वयं भगवान् ने कहा है की

   विप्र प्रसादात् धरणी धरोहम
   विप्र प्रसादात् कमला वरोहम
   विप्र प्रसादात्अजिता$जितोहम
   विप्र प्रसादात् मम् राम नामम् ।।

   ब्राह्मणों के आशीर्वाद से ही मैंने धरती को धारण कर रखा है अन्यथा इतना भार कोई अन्य पुरुष कैसे उठा सकता है, इन्ही के आशीर्वाद से नारायण हो कर मैंने लक्ष्मी को वरदान में प्राप्त किया है, इन्ही के आशीर्वाद सेढ मैं हर युद्ध भी जीत गया और ब्राह्मणों के आशीर्वाद से ही मेरा नाम "राम" अमर हुआ है, अतः ब्राह्मण सर्व पूज्यनीय है । और ब्राह्मणों का अपमान ही कलियुग में पाप की वृद्धि का मुख्य कारण है ।

  - किसी में कमी निकालने की अपेक्षा किसी में से कमी निकालना ही ब्राह्मण का धर्म है,            
समस्त ब्राह्मण सम्प्रदाय को समर्पित।
⚘⚘⚘⚘*जयश्रीपरशुराम*⚘⚘⚘
[28/08, 3:27 PM] Vedants369: जरा सोचिये ब्राह्मण केवल धार्मिक  कर्म कांड ही करवाता है जबकि ब्राह्मण के अतिरिक्त अधिकांश अन्य जातियों के लोग बाबा बनकर हिन्दू धर्म की जड़ो को खोखला कर रहे है ।दिन प्रति दिन संत के रूप में ऐसे लोगो के कारण के देश में हिन्दू धर्म को क्षति पहुच रही है ।मैं कुछ धार्मिक संगठनों के संस्थापको /वर्तमान गद्दी के मालिक के नाम दे रहा हूँ जो ब्राह्मण नही है फिर भी बाबा बनकर धर्म को चोट पहुँचा रहे है।बदनाम ब्राह्मण है
*1-डेरा सच्चा सौदा*
इसके गद्दी धारक सन्त गुरमीत राम रहीम इंशा जो कि सिद्दू मूल के पंजाबी जाट जाति से है।
*2-संत रामपाल*
संत रामपाल एक धूर्त किस्म का व्यक्ति है जिस कबीर ने अवतार वाद का खंडन किया उसी कबीर का अवतार ये खुद को बता रहा है ।ये भी जाट जाति से है।
*3-आशाराम*
इनका पूरा नाम आसुमल सिरुमलानी है ये पाकिस्तान के सिंध प्रांत के शरणार्थी है ।ये भी सिंधी जाति से है
*4-ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय*
इसके संस्थापक सिंधी लेखराज कृपलानी थे ।ये संस्था भी विवादों के घेरे में रही ।
*5-थर्ड आई ऑफ़ निर्मल बाबा*
इस संस्था के संस्थापक निर्मलजीत सिंह नरूला है ।जो पंजाबी यानि सिख जाति से आते है ।महान ठग जिस पर 4 शहरों में मुकदमे लिखे गए है।
*6-राधे मां*
सुखविंदर कौर जो खुद को देवी का अवतार घोषित किये है ।सिख सम्प्रदाय से है।इन मोहतरमा पर कई मुकदमे विभिन्न स्थानों पर चल रहे है।
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मित्रो 6उदाहरण आपको दिए जिसमे एक भी ब्राह्मण जाति का व्यक्ति नही है जिसने पूरी धर्म को ख़राब किया हो ।ब्राह्मण धार्मिक आस्थावान जाति है जो सत्य को ही बताती है ।

1 comment:

  1. माना कि संतति प्राप्त करने की अविस्मरणीय तकनीकें रहीं होंगी उस काल खंड में, तो विवाह पूर्व भी संतान प्राप्ति की अविस्मरणीय तकनीक थी क्या? फिर किस विवशता में कर्ण को सूर्य पुत्र कहना पड़ गया?

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