Wednesday, 29 March 2017
मूल सनातन धर्म
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Arya Samaj Calcutta (Yuva-Shakha)
सनातन धर्म में सनातन क्या है ?
9/10/2011 79 Comments
|| ओ३म् ||
सनातन धर्म में सनातन क्या है ?
हम आज बहुत गर्व से राम-कथा में अथवा भागवत-कथा में, कथा के अंत में कहते हैं ,
बोलिए --- सत्य सनातन धर्म कि जय ।
तनिक विचारें ? सनातन का क्या अर्थ है ?
सनातन अर्थात जो सदा से है, जो सदा रहेगा, जिसका अंत नहीं है और जिसका कोई आरंभ नहीं है वही सनातन है। और सत्य में केवल हमारा धर्म ही सनातन है, यीशु से पहले ईसाई मत नहीं था, मुहम्मद से पहले इस्लाम मत नहीं था। केवल सनातन धर्मं ही सदा से है, सृष्टि के आरंभ से ।
किन्तु ऐसा क्या है हिंदू धर्मं में जो सदा से है ?
श्री कृष्ण की भागवत कथा श्री कृष्ण के जन्म से पहले नहीं थी अर्थात कृष्ण भक्ति सनातन नहीं है ।
श्री राम की रामायण तथा रामचरितमानस भी श्री राम जन्म से पहले नहीं थी अर्थात श्री राम भक्ति भी सनातन नहीं है ।
श्री लक्ष्मी भी, (यदि प्रचलित सत्य-असत्य कथाओ के अनुसार भी सोचें तो), तो समुद्र मंथन से पहले नहीं थी अर्थात लक्ष्मी पूजन भी सनातन नहीं है ।
गणेश जन्म से पूर्व गणेश का कोई अस्तित्व नहीं था, तो गणपति पूजन भी सनातन नहीं है ।
शिव पुराण के अनुसार शिव ने विष्णु व ब्रह्मा को बनाया तो विष्णु भक्ति व ब्रह्मा भक्ति सनातन नहीं हैं।
विष्णु पुराण के अनुसार विष्णु ने शिव और ब्रह्मा को बनाया तो शिव भक्ति और ब्रह्मा भक्ति सनातन नहीं।
ब्रह्म पुराण के अनुसार ब्रह्मा ने विष्णु और शिव को बनाया तो विष्णु भक्ति और शिव भक्ति सनातन नहीं ।
देवी पुराण के अनुसार देवी ने ब्रह्मा, विष्णु और शिव को बनाया तो यहाँ से तीनो की भक्ति सनातन नहीं रही ।
यहाँ तनिक विचारें ये सभी ग्रन्थ एक दूसरे से बिलकुल उल्टी बात कर रहे हैं, तो इनमें से अधिक से अधिक एक ही सत्य हो सकता है बाकि झूठ, लेकिन फिर भी सब हिंदू इन चारो ग्रंथो को सही मानते हैं ,
अहो! दुर्भाग्य !!
फिर ऐसा सनातन क्या है ? जिसका हम जयघोष करते हैं?
वो सत्य सनातन है परमात्मा की वाणी ।
आप किसी मुस्लमान से पूछिए, परमात्मा ने ज्ञान कहाँ दिया है ? वो कहेगा कुरान में।
आप किसी ईसाई से पूछिए परमात्मा ने ज्ञान कहाँ दिया है ? वो कहेगा बाईबल में ।
लेकिन आप हिंदू से पूछिए परमात्मा ने मनुष्य को ज्ञान कहाँ दिया है ?
हिंदू निरुतर हो जाएगा ।
आज दिग्भ्रमित हिंदू ये भी नहीं बता सकता कि परमात्मा ने ज्ञान कहाँ दिया है ?
आधे से अधिक हिंदू तो केवल हनुमान चालीसा में ही दम तोड़ देते हैं | जो कुछ धार्मिक होते हैं वो गीता का नाम ले देंगे, किन्तु भूल जाते हैं कि गीता तो योगीश्वर श्री कृष्ण देकर गए हैं परमात्मा का ज्ञान तो उस से पहले भी होगा या नहीं ? अर्थात वो ज्ञान जो श्री कृष्ण संदीपनी मुनि के आश्रम में पढ़े थे।
जो कुछ अधिक ज्ञानी होंगे वो उपनिषद कह देंगे, परंतु उपनिषद तो ऋषियों की वाणी है न कि परमात्मा की ।
तो परमात्मा का ज्ञान कहाँ है ?
वेद !! जो स्वयं परमात्मा की वाणी है, उसका अधिकांश हिंदुओं को केवल नाम ही पता है ।
वेद, परमात्मा ने मनुष्यों को सृष्टि के प्रारंभ में दिए। जैसे कहा जाता है कि "गुरु बिना ज्ञान नहीं", तो संसार का आदि गुरु कौन था? वो परमात्मा ही था | उस परमपिता परमात्मा ने ही सब मनुष्यों के कल्याण के लिए वेदों का प्रकाश, सृष्टि के आरंभ में किया।
जैसे जब हम नया मोबाइल लाते हैं तो साथ में एक गाइड मिलती है , कि इसे यहाँ पर रखें , इस प्रकार से वरतें , अमुक स्थान पर न ले जायें, अमुक चीज़ के साथ न रखें, आदि ...।
उसी प्रकार जब उस परमपिता ने हमें ये मानव तन दिए, तथा ये संपूर्ण सृष्टि हमे रच कर दी,
तब क्या उसने हमे यूं ही बिना किसी ज्ञान व बिना किसी निर्देशों के भटकने को छोड़ दिया ?
जी नहीं, उसने हमे साथ में एक गाइड दी, कि इस सृष्टि को कैसे वर्तें, क्या करें, ये तन से क्या करें, इसे कहाँ लेकर जायें, मन से क्या विचारें, नेत्रों से क्या देखें, कानो से क्या सुनें, हाथो से क्या करें आदि। उसी का नाम वेद है। वेद का अर्थ है ज्ञान ।
परमात्मा के उस ज्ञान को आज हमने लगभग भुला दिया है |
वेदों में क्या है ?
वेदों में कोई कथा कहानी नहीं है। न तो कृष्ण की न राम की, वेद में तिनके से लेकर परमेश्वर पर्यंत वह सम्पूर्ण मूल ज्ञान विद्यमान है, जो मनुष्यों को जीवन में आवश्यक है ।
मैं कौन हूँ ? मुझमें ऐसा क्या है जिसमे “मैं” की भावना है ?
मेरे हाथ, मेरे पैर, मेरा सिर, मेरा शरीर, पर मैं कौन हूँ ?
मैं कहाँ से आया हूँ ? मेरा तन तो यहीं रहेगा, तो मैं कहाँ जाऊंगा, परमात्मा क्या करता है ?
मैं यहाँ क्या करूँ ? मेरा लक्ष्य क्या है ? मुझे यहाँ क्यूँ भेजा गया ?
इन सबका उत्तर तो केवल वेदों में ही मिलेगा | रामायण व भागवत व महाभारत आदि तो ऐतिहासिक घटनाएं है, जिनसे हमे सीख लेनी चाहिए और इन जैसे महापुरुषों के दिखाए सन्मार्ग पर चलना चाहिए । लेकिन उनको ही सब कुछ मान लेना, और जो स्वयं परमात्मा का ज्ञान है उसकी अवहेलना कर देना केवल मूर्खता है ।
तो आइये वेदो की वोर चलें और खूब समझे अपने सनातन धर्म और ईश्वर को ।
सञ्जय अग्रहरि
युवा-शाखा

79 Comments
Ravi Verma9/23/2011 01:59:15 am
Ati uttam lekh.
kya iska pdf file mujhe milega ?
isko print karke distribute karne ke liye.
Dhanyavad
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anil singhlink9/23/2011 03:04:27 am
सनातन धर्म के बारे में आपका लेख पढ़ा और अच्छा भी लगा परन्तु आप सबसे यह आशा क्यों रखते हैं की वो वेदों को पढ़े .साधारण भाषा की समझ रखने वालों के हित को ध्यान में रखते हुए रामचरितमानस जैसे ग्रंथों की रचना तुलसीदास सरीखे संतों ने किया था जो समकालीन जनमानस की समझ और उनकी जिज्ञ्यासा के अनूकुल था .हमें सभी धर्मग्रथों एवं उनके रचनाकारों का आदर करते हुए अपनी बात रखनी होगी तभी वो सभी के मन को अच्छा लगेगा.जहाँ तक मैंने समझा है सुर.कबीर,तुलसी.रैदास,जैसे संत जो सर्वसाधरण के लिए रचना किये उसमे कई जगहों पर वेदों और उपनिषदों की बातों का उल्लेख किया है ताकि वो जन जन तक पहुंचे.
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BASANT JOSHI 11/18/2011 02:12:41 pm
आप भ्रम की स्थिति में हैं. वेद निश्चित ही सनातन हैं परन्तु आप वेद का अर्थ समझिए. वेद का अर्थ होता है जानना. जो जानता है जिसे जाना जाता है वह वेद है. जानता कौन है और किसे जानता है? पूर्ण विशुद्ध ज्ञान ही जाननेवाला है और पूर्ण विशुद्ध ज्ञान ही जाना जाता है. यही है वह तत्त्व है जिसे सनातन कहा जाता है. जिस जीव में यह पूर्ण विशुद्ध ज्ञान प्रकट हो जाता है वह सनातन हो जाता है. श्री हरी विष्णु, श्री राम, श्री कृष्ण, शिव शंकर, आदि में पूर्ण विशुद्ध ज्ञान प्रकट हुआ इसलिए उनको सनातन कहते हैं. यह पूर्ण विशुद्ध ज्ञान ही आत्मतत्त्व है, यही ब्रह्म है, यही सनातन कहलाता है. चार वेदों के ऋषियों ने लगातार साधनारत रहकर इस सनातन तत्त्व को जाना और वेद के अंतिम भाग में इस को सुस्पष्ट किया, इस कारण ही उन्हें वेद कहते हैं.
कृपया इस प्रकार स्वामी दयानंद को लज्जित न करें.
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रावण2/25/2017 11:13:41 pm
ज्यादा ज्ञान ना दे सनातन धर्म की असली परिभाषा तो आज तक किसी को भी नही पता ।
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Sudhir kumar3/1/2017 12:11:41 am
Ab zra ye bhi smj lo ki devo se pahle to apne सनातन धर्म kah se aa gya h
2nd ye ki bed hi dharm h oky isse pahle koi dharm ni h or rhi bt ram krishna shiv vishnu g ki to hmne apse ni pu6a h oky
3rd ye b bt suno zra dharm ka matlb wo ni jo Apne btaya h oky dharm ka mtlb h jo b tatv jo dhran krne yoga ho jo universal ho oky
Or ARYO NE ARY DHARM KO BOLA H KI AP SBI ARY BNO ISLAM KAHTA MUSLIM BNO JAIN KAHTE jain bno Budh kahte Budh bno
Magr dharm or bed ye bi kahte ap ye bno or ye mt bno wo kahte mana bno oky apni confusion dur kro bhai
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सञ्जय अग्रहरि12/9/2011 11:24:05 am
Basant Joshi Ji
नमस्ते ,
सनातन का जो आप अर्थ ले रहे हैं की वो व्यक्ति आगे के लिए अमर हो जाता है ... इस प्रकार से सही है की श्री राम व् कृष्ण अपने शुभ कर्मो और दिव्या जीवन से अमर हो गये है ..
लेकिन इस लेख में में मेरा मंतव्य ये दर्शाना था की सनातन धर्म के मूल को लोग जाने की ये हमारा सनातन धर्म तो तब भी था जब श्री राम जन्मे भी न थे , और
जिस सनातन धर्म की पताका श्री राम ने स्वयं भी उठाई थी वह सनातन धर्म क्या है !
मेरा महर्षि दयानंद का अपमान करने का कोई इरादा नहीं है , यदि आप मेरी गलती जरा और स्पष्ट से बता देंगे तो आपका बहुत आभारी रहूगा तो जो मुझे उसे आगे सुधरने में सहायता होगी .
धन्यवाद
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प्रदीप कुमार11/1/2015 09:29:54 pm
भ्राता मै आपसे सहमत हुँ. दरअसल ईन्हें थोड़ा सा भ्रम हुआ है.
वेद- ये शब्द आज से २५०० वर्ष पुराना है और सबको पता है २५०० वर्षों के बाद शब्दों के अर्थ बदल जाते हैं जैसे पहले जाति का अर्थ जन्म लेना होता था मगर अब तो Caste नामक सामाजिक जहर हो गई है खैर,
उस समय वेद का अर्थ होता था स्व-वेदन(खुद के मन द्वारा अनुभव) करके जो ज्ञान प्राप्त हुआ, उसो वेद कहते थे.
अब यहाँ खुब अच्छी तरह समझें,
प्रकृति ने हमसब के अंदर वो शक्ति दी है कि वो ईस भव चक्र को पार कर जन्म मरण के बंधन से मुक्त होकर नित्य को प्राप्त हों जैसे भगवान कृष्ण, भगवान श्रीराम्, भगवान गौतम बुद्ध ईत्यादि.. ईन्होने ईस भव चक्र को बखुबी समझा और भव चक्र को पार कर नित्य को प्राप्त हुए. अब ईनके विपश्यना साधना से जो ज्ञान प्राप्त हुआ वो ही तो वेद है.
हमारे ॠषि मुनिओं ने उस ज्ञान को साक्षात् पुस्तक पर उतारा तो वे वेद कहलाए..
REPLY
रावण2/25/2017 11:15:13 pm
तुम सही हो भाई
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achal verma 3/10/2012 12:10:09 am
aadarNeey sanjay jee ,
chahtaa to main hindee men devnaagree bhaashaa men hee likhanaa thaa prantu ye sambhav nahee ho paa rahaa hai , aur main angrezee naheen likhtaa .Isliye aapko jo kasht ho , uske liye kshamaa prarthee hoon.
ved shabd kaa arth hee gyaan hai aur maanneey basant joshee jee yahee kah bhee rahe hai . Aap kaa kahnaa ki raam yaa krushn pahale nahee the , yaanee aap avtaar vaad ko nahee maante .
Lekin binaa avtaar ke to hamame se koI bhee nahee aayaa , yadi aap vedangn hain to .
Maharshi vyaas ne vedon kaa sanklalan karte hue ye kahaa hai : sarvopanishado gaavo , dogdha gopaal nandan
paartho vats sudhirbhoktaa geetaa amritam mahat .
Aur ye to aapko bhee pataa hai vedant hee upanishat hai , yaanee sab
vedo kaa nichod hee geetaa huaa . fir aapke kahne maatr se Raam aur krishn kaa ishvaratv kaise kam ho saktaa hai .
pujy Basant jee ne shaayad marmaahat hokar hee ye likhaa ho.
Maharshi dayanand ne bhee Krishna ko raam ko avtaar maanaa hai , aur unke bhee pahale Jagadguru shankaraachaary ne to unhe poorn Ishvar bhee kahaa hai.
Haan, aapkee ye baat sahee hai ki ved ke baad hee ye sab aaye hain . Ved to anaadi hain , iseeliye sanatan hain . Aur uske rachayitaa hee raam Krishna ban kar , duniyaa ko sahee aacharaN sikhaane aaye , isliye baad men aaye .
bahooni men vyateetani janmaani tav chaarjuna
tanyaham ved sarvaani natvam vedth parantap.
If i translate it into English Lord Krishna declares very clearly That I and you both have been coming to this planet repeatedly, which i always remember, but Arjun you cannot, as I am from the begining , all knowing and you are a mortal.
REPLY
Radhavallabh Das9/21/2013 08:19:19 pm
महोदय, जब आप कह रहे हैं कि सनातन का अर्थ -- जिसका न कोई आदि है न कोई अन्त, यह बात समझ में आती है। आप के अनुसार कृष्ण - राम सनातन (चिन्मय) नहीं हैं, लिखना मनोधर्म पर आधारित है। जब जीवात्मा ही चिन्मय है जो न कभी जन्म लेती है और मरती है तो क्या राम-कृष्ण चिन्मय नहीं होंगे? जब किसी चीज का कोई आदि और अंत ही नहीं है तो कैसे कह सकते हैं की वेद पहले आये और राम-कृष्ण बाद में। असल में हमारी बुद्धि ही जड़ है और यह चिद-जगत की बातों का अनुमान नहीं लगा सकती। किन्तु समय-समय पर जो महापुरुष इस मृत्युलोक में हमारा मार्गदर्शन करने आते हैं वे कोई हंमारी तरह बद्ध-जीव नहीं होते बल्कि भगवान् के भेजे गए अपने परिकर होते हैं जिनमे आप शुकदेव गोस्वामीपाद, बल्मिकिजी, तुलसीदासजी, रूपगोस्वामीपाद आदि सन्तों को ले सकते हैं, इनके द्वारा जो लिखा गया है वह समाधी की भाषा है। ये जिस ब्रह्माण्ड में भगवान् की लीला चल रही होती है उसके साक्षात् दर्शन करते हैं और उसका जीवन्त चित्रण करते हैं।
और एक महत्वपूर्ण बात &
REPLY
Radhavallabh Das9/21/2013 08:23:24 pm
महोदय, जब आप कह रहे हैं कि सनातन का अर्थ -- जिसका न कोई आदि है न कोई अन्त, यह बात समझ में आती है। आप के अनुसार कृष्ण - राम सनातन (चिन्मय) नहीं हैं, लिखना मनोधर्म पर आधारित है। जब जीवात्मा ही चिन्मय है जो न कभी जन्म लेती है और मरती है तो क्या राम-कृष्ण चिन्मय नहीं होंगे? जब किसी चीज का कोई आदि और अंत ही नहीं है तो कैसे कह सकते हैं की वेद पहले आये और राम-कृष्ण बाद में। असल में हमारी बुद्धि ही जड़ है और यह चिद-जगत की बातों का अनुमान नहीं लगा सकती। किन्तु समय-समय पर जो महापुरुष इस मृत्युलोक में हमारा मार्गदर्शन करने आते हैं वे कोई हंमारी तरह बद्ध-जीव नहीं होते बल्कि भगवान् के भेजे गए अपने परिकर होते हैं जिनमे आप शुकदेव गोस्वामीपाद, बल्मिकिजी, तुलसीदासजी, रूपगोस्वामीपाद आदि सन्तों को ले सकते हैं, इनके द्वारा जो लिखा गया है वह समाधी की भाषा है। ये जिस ब्रह्माण्ड में भगवान् की लीला चल रही होती है उसके साक्षात् दर्शन करते हैं और उसका जीवन्त चित्रण करते हैं।
और एक महत्वपूर्ण बात &
Radhavallabh Das9/21/2013 08:25:27 pm
और एक महत्वपूर्ण बात कृष्ण अवतार नहीं बल्कि अवतारी हैं। कृष्णस्तु भगवान् स्वयं। गीता को अर्जुन से कहने से पूर्व भगवान् ने यह सूर्य से भी कही थी, यह तो सभी जानते हैं। अब कोई कृष्ण को भगवान् न समझे तो यह उसके अनर्थ हैं जबकि ब्रह्माजी स्वयं ब्रहमसंहिता में कह रहे हैं -- गोविन्दम् आदि पुरुषम् तमहं भजामि !
मैं लेखक महोदय से यह निवेदन करना चाहूँगा की मैं कोई विद्वान् नहीं हूँ और न ही कोई भक्त हूँ, किन्तु जितना थोडा मैंने साधुओं से सुना है उस विश्वास से कहता हूँ कि आप एक बार राधाकुण्ड आ जाइये, आपका सोचने का दृष्टिकोण बदल जाएगा।
मैं हृदय से अचल वर्माजी का आभार प्रकट कहता हूँ, जिनके विचार पढ़ कर ही मैंने यह सब लिखने का साहस किया वरना हँसों की सभा में मुझ जैसे कव्वे का क्या काम। जय राधे...!!!
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सञ्जय अग्रहरि8/8/2014 05:41:42 am
प्रिय अचल जी, सर्वप्रथम आपको यह जानकारी दे दूँ की महर्षि दयानन्द ने काही पर भी श्री कृष्ण को अवतार नहीं माना है अपितु उन्हे एक महापुरुष के श्रेणी मे रखा है।
और वेद खुद अवतारवाद का खंडन करता है।
और ईश्वर का गुण है की वो सुख दुख से रहित है।
क्या श्री राम और श्री कृष्ण को सुख दुख नहीं हुआ था ?
अब आप ही बताओ की वो किस तरह से ईश्वर हुये ?
धन्यवाद
REPLY
Pravin Badgujar3/16/2015 10:15:52 am
Ved avashya hi parmatma ki vani aur sanatan hai kintu isase ye siddh nahi hota ki krishna aur ram sanatan nahi hai vo to swayam ishwar hai anant hai wo narayan ke avtar hai aur ha ishwar sagun bhi hai aur nirgun bhi wo saakar bhi hai aur nirakar bhi isaka varnan purano me hai aur kripa karke aap sanatan dharm ko anya dharm se naa jode
deepali sharma9/1/2012 08:11:59 am
very nice.........
REPLY
युवा शाखा 9/3/2012 10:30:51 am
धन्यवाद दीपाली जी ।
REPLY
Engginear Raj8/5/2013 06:16:35 am
POST COMPLETELY SAHI NAHI HE ...
AUR IS ME KUCH MURKHATAPOORN BATEN KAHI GAYI HE...
BAKI BAHUT AACHI KOSIS KI HE EXPLAIN KERNE KI....
REPLY
Engginear Raj8/5/2013 06:17:34 am
POST COMPLETELY SAHI NAHI HE ... AUR IS ME KUCH MURKHATAPOORN BATEN KAHI GAYI HE... BAKI BAHUT AACHI KOSIS KI HE EXPLAIN KERNE KI....
REPLY
युवा शाखा 8/9/2013 06:00:08 am
POST COMPLETELY SAHI NAHI HE
तो आप इस पोस्ट को complete करने में हमारी सहायता करें ।
AUR IS ME KUCH MURKHATAPOORN BATEN KAHI GAYI HE
आप जरा बताने का कष्ट करेंगे की इसमे कौन सी बात मूर्खतापूर्ण काही गयी है ?
BAKI BAHUT AACHI KOSIS KI HE EXPLAIN KERNE KI..
समीक्षा और प्रोतशाहन के लिए आपका धन्यवाद
REPLY
Engginear Raj8/10/2013 11:10:33 am
तो परमात्मा का ज्ञान कहाँ है ?
वेद !!
YE BAAT TO SAHI HE
PAR YE SAB BAAT GALAT HE
//////श्री कृष्ण की भागवत कथा श्री कृष्ण के जन्म से पहले नहीं थी अर्थात कृष्ण भक्ति सनातन नहीं है ।
श्री राम की रामायण तथा रामचरितमानस भी श्री राम जन्म से पहले नहीं थी अर्थात श्री राम भक्ति भी सनातन नहीं है ।
श्री लक्ष्मी भी, (यदि प्रचलित सत्य-असत्य कथाओ के अनुसार भी सोचें तो), तो समुद्र मंथन से पहले नहीं थी अर्थात लक्ष्मी पूजन भी सनातन नहीं है ।
गणेश जन्म से पूर्व गणेश का कोई अस्तित्व नहीं था, तो गणपति पूजन भी सनातन नहीं है ।
शिव पुराण के अनुसार शिव ने विष्णु व ब्रह्मा को बनाया तो विष्णु भक्ति व ब्रह्मा भक्ति सनातन नहीं हैं।
विष्णु पुराण के अनुसार विष्णु ने शिव और ब्रह्मा को बनाया तो शिव भक्ति और ब्रह्मा भक्ति सनातन नहीं।
ब्रह्म पुराण के अनुसार ब्रह्मा ने विष्णु और शिव को बनाया तो विष्णु भक्ति और शिव भक्ति सनातन नहीं ।
देवी पुराण के अनुसार देवी ने ब्रह्मा, विष्णु और शिव को बनाया तो यहाँ से तीनो की भक्ति सनातन नहीं रही ।
/////
swami dayana
REPLY
Engginear Raj8/10/2013 11:13:56 am
swami dyanand ji ne bahut hi GALAT translation kiya he VEDO ka jo ISLAMIC vichardhara ki aur santet deta he JO GALAT he .
युवा शाखा 8/13/2013 11:46:19 pm
PAR YE SAB BAAT GALAT HE
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आप क्या कोई प्रमाण देकर बता सकते है की कैसे ये सब गलत है ?
हमने तो पुराण से बाते उठा कर लिखी है, अगर आपके पास भी कोई प्रमाण हो जिससे ये साबित हो जाए की ये सब बाते गलत है तो हम तुरंत इस आर्टिक्ल को हटा देंगे। अन्यथा सिर्फ आपके गलत कहने से कोई चीज गलत नहीं हो जाती ।
REPLY
युवा शाखा 8/13/2013 11:53:52 pm
swami dyanand ji ne bahut hi GALAT translation kiya he VEDO ka
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आप फिर बिना किसी आधार के आक्षेप लगा रहे है।
क्या आपको पता है की वेद के भाष्य के लिए किन किन चीजों की जानकारी आवश्यक है ?
आप पूरे वेद से एक भी मंत्र लाइये जो स्वामी दयानन्द ने भाष्य किया हो और उसका सही अनुवाद तर्कपूर्ण करके उनके भाष्य को गलत साबित कीजिये ।
अन्यथा किसी के बहकावे में आकार किसी गलत नतीजे पर न पहुचे।
REPLY
युवा शाखा 8/14/2013 12:05:44 am
jo ISLAMIC vichardhara ki aur santet deta he JO GALAT he
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आपकी जानकारी के लिए बता दु की स्वामी दयानन्द ही ऐसे पहले व्यक्ति है जिनहोने इस्लाम का खंडन तर्कपूर्ण किया था।
और आज भी इस्लाम अगर परास्त होता है सिर्फ आर्य समाज के सामने ।
आप स्वामी दयानन्द की लिखी पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश देखे जिसमे 14वे समुल्लास(Chapter) मे पूरे इस्लाम मत का खंडन किया हुआ है और जिसका उत्तर आज तक इस्लाम जगत से नहीं आया है ।
इसलिए हम आपसे अनुरोध करेंगे की सच्चे दिल से एक बार स्वामी दयानन्द के योगदान को पढ़िये आपको अवश्य सत्य से परिचय होगा।
धन्यवाद
Pravin Badgujar3/16/2015 12:08:07 pm
यदी आप पुरानो को नही मानते तो पुरानो से बाते क्यो उठाते है शिव ही परमात्मा है और भी सिद्ध है की वही ब्रम्हा है वही नारायण और वही है देवो के देव महादेव
REPLY
Enggineer Raj8/14/2013 07:43:35 am
/////आप स्वामी दयानन्द की लिखी पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश/////
Itna BADA vidwan 11-11 ka niyog karwa rahe he .
aur bhi bahut se example he
PARMATMA JO EK HOOTE HUE BHI EK NAHI HE.
Usko kewal ek bata rahe he.
KAHAN TAK UCHIT HE.
YAJUR VED chapter 31 PARMATMA ke SAAKAAR ROOP KA VARNAN KARTA HE .
PARMATMA SAAKAAR HE
NIRAKAAR HOONA USKE GUN(PROPERTY) HE
YAJURVED chapter 32 PARMATMA ke NIRAKAAR roop ka VARNAN KARTA HE.
AVATARO KI BAAT TO VEDO ME BHI HE.
SAMVED ME.
VISHNU ke VAMAN AVATAAR KI BAAT LIKHI HE.
AAP POST HATAYEN YA NA HATAYEN MUJH PAR KAI PRABHAV NAHI PADTA HE BAS SAMAJ ME IS POST KO PAD KAR GALAT MESSAGE JAYEGA
REPLY
lokendra8/31/2015 03:04:01 pm
Dear sir,
Aapki wani me kataksh ki durgandh aa rahi hai raam krishna shiv shankar bhagwano ke prati or to or dayanand sarswati ka tark dete ho.
Satya to yah hai ki parmatma ne jo gyan dharti wasiyo ko jo diya like geeta usko dharti wasi amal me nahi la rahe they isliye humsabhi ko dharm karm ki shiksha dene ke liye hi avtar lete hai.
Etni samajh to bharat ke bache bache ko bhi pata hai.
To yuva shakha or sanjay ji sanatan dharm ki baat karne se pahle raam krishna shiv aadi ishwaro ka or adhyan kare.
Bakwas na kare.
REPLY
युवा शाखा 8/19/2013 12:35:03 pm
Itna BADA vidwan 11-11 ka niyog karwa rahe he
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नियोग की पद्धति स्वामी दयानन्द ने खुद से नहीं बनाई है उन्होने बस मनु महाराज के वाक्य को मनुस्मृति से quote किया है अगर आपको नियोग से
आपत्ति है तो इसका जवाब मनु जी से पुछे ।
aur bhi bahut se example he
PARMATMA JO EK HOOTE HUE BHI EK NAHI HE.
Usko kewal ek bata rahe he.
KAHAN TAK UCHIT HE.
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अरे वाह आप पहले हिन्दू है जो ईश्वर को एक नहीं अनेक मानते है ।
जबकि हिन्दू धर्म एकेश्वरवाद पर टिका हुआ है ।
अब इस पर हम क्या जवाब दे ?
REPLY
Jai 8/4/2015 08:34:28 am
जबकि हिन्दू धर्म एकेश्वरवाद पर टिका हुआ है ।
Har Galii Meini 3 Bhagwan .....
RAm Bhagwan, Hanuman Bhi Bhagwan
Krishan Bhagwan to Parshuram bhi Bhagwan
Brahma Bhi Bhagwan aur BHAGWA bhi bhagwan
hahahahahahahahahahha
REPLY
युवा शाखा 8/19/2013 12:40:58 pm
YAJUR VED chapter 31 PARMATMA ke SAAKAAR ROOP KA VARNAN KARTA HE .
PARMATMA SAAKAAR HE -
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मंत्र संख्या बताने का कष्ट करें यजुर्वेद के 31 वे अदध्याय में बहुत सारे मंत्र है। कौन से मंत्र में ईश्वर को साकार कहा गया है ?
पहले इसे बताए ।
AVATARO KI BAAT TO VEDO ME BHI HE.
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प्रमाण दे ?
REPLY
युवा शाखा8/19/2013 12:49:58 pm
SAMVED ME.
VISHNU ke VAMAN AVATAAR KI BAAT LIKHI HE.
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प्रमाण दे ?
अगर मैं कह दु सामवेद मे ब्राह्मणो को चप्पल से मरने की बात काही है तो क्या आप मान लेंगे ?
इसलिए किस मंत्र में कहा गया है उसको प्रस्तुत करने का कष्ट करें ।
AAP POST HATAYEN YA NA HATAYEN MUJH PAR KAI PRABHAV NAHI PADTA HE BAS SAMAJ ME IS POST KO PAD KAR GALAT MESSAGE JAYEGA -
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आप अपने मानसिकता को पूरे समाज से नहीं जोड़ सकते ।
अगर किसी चीज से आपको गलत मैसेज मिला है तो जरूरी नहीं की वो पूरे समाज को ही गलत लगे ।
हा ये अवश्य हो सकता है की आप अज्ञानता में सत्य को न समझ कर उसे गलत रूप में ले रहें हो।
धन्यवाद
REPLY
सुमंत मिश्रlink9/24/2013 02:07:38 pm
अग्रहरि जी, क्या आपनें वेद पढ़े हैं और यदि हाँ तो क्या वेदों में राम,सीता,दशरथ, कृष्ण,अर्जुन आदि का नाम वास्तव में नहीं है?
REPLY
सञ्जय अग्रहरि 8/8/2014 05:51:32 am
भाई सुमंत जी, वेद मे कृष्ण का जिक्र देखकर कलको कोई भी कृष्ण नाम का व्यक्ति यह दावा करदे की मेरे बारे मे वेदों मे लिखा है तो क्या आप मान लेंगे ?
वेद मे जीतने भी नाम आए है, उन सब का अर्थ और प्रयोजन कुछ और है न की इन महापुरुषों का जिक्र है।
जब वेद की रचना हुयी थी उस समय इन महापुरुषों का नामो नीशान तक नहीं था ।
धन्यवाद
REPLY
Pravin badgujar3/16/2015 10:35:51 am
मै आपसे विनम्रता से कहना चाहता हू कि परमात्मा तो सर्वज्ञ है जो जानते है की आगे क्या होगा और वेदो मे जिन राम और कृष्ण का नाम आया है श्री राम और कृष्ण ही है और कृपया स्पष्ट करे की वेदो मे आये नामो का प्रयोजन क्या आप ये तो अवश्य जानते होंगे की वेद ईश्वर निर्मित है तो ईश्वर ने आपको तो ये नही बताया की उन नामो का प्रयोजन क्या है ईश्वर अवतार नही लेते इसका कोई प्रमाण है तो कहिये अन्यथा नही और आपको एक बात बता दू की कृष्ण ने स्वयं कहा है की वो ही परमात्मा है
TIWARI HARSHDEV SHASHTRI11/8/2013 03:34:33 am
भाई श्री जी ........कृपया आपस में वैमनस्य ना फैलाए |आप एक बार " भगवद गीता " अवस्य पढ़े सब आप को समझ में आ जाएगा |आज सनातन धर्म को मुसलमानों एवं ईसाईयों से उतना खतरा नहीं है जितना आप सब से !आप सब का ही उदहारण दे कर वे लोगो की भावनाओ को भड़काते है |यदि देखने जाए तो स्वामी दयानद सरस्वती जी भी पहले नहीं थे किन्तु उनसे पहले ढेर सारे संत पहले से मौजूद थे फिर वाही सवाल उठता हैकि आप उन्ही को क्यों मान रहे है ?फिर आप सब कहेंगे की उन्होंने हमें रास्ता दिखाया |यह सब बहस बाजी छोडिये और अब वक्त आ गया है सभी आपस में मतभेद भूलकर भी वह चाहे जिसे मानता हो एक होने का है और संगठित होकर संघर्ष करने का है |आप की दुश्मनी में दुसरे लोग इसका लाभ उठाते है |सभी एक हो और नेक हो |जय जय श्री राधे
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Rama1/18/2014 09:53:46 am
Mai aarya vichar dhara ka hu , parantu ek vyakti ne geeta ke slok '"yada yada hi darmasy............abhutthanam adharmasy tadat manam srajamyham '' ka udaharan dekar shrikrisna ko bhagwan ka avtar sidhh kiya krapya koi vidwan mujhe iska uttar de jisse mai us vyakti ko uttar de saku ... dhanyavad
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सञ्जय अग्रहरि8/8/2014 05:48:08 am
रामा जी , ये श्लोक बाद मे मिलाया गया है ।
और इसका अर्थ यह भी कर सकते है की श्री कृष्ण जी ईश्वर से प्रार्थना करते है की हे ईश्वर जब जब इस धरती पर धर्म की हानी हो तब तब मुझे ऐसे ही मृत्युलोक मे धर्म रक्षा हेतु भेजे।
ऐसे प्रार्थना अगर कोई पुण्यात्मा करता है तो इसमे कोई विरोध नहीं है ।
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Pravin badgujar3/16/2015 10:40:14 am
गीता केसभी 700 श्लोक उसी समय कहे गये ये आप जान लिजिये
lokendra8/31/2015 03:13:28 pm
Sanjay ji phir wahi baat
Shlok kya aapne joda hai kya.
Shlok ka arth ye nahi hai jo aap suna rahe ho ur such an idiot
nimeshchandra2/13/2014 07:08:21 am
श्री भगवानुवाच
इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम् ।
विवस्वान्मनवे प्राह मनुरिक्ष्वाकवेऽब्रवीत् ॥
भावार्थ : श्री भगवान बोले- मैंने इस अविनाशी योग को सूर्य से कहा था, सूर्य ने अपने पुत्र वैवस्वत मनु से कहा और मनु ने अपने पुत्र राजा इक्ष्वाकु से कहा॥4-1॥
fir bhi aap gita-gyaan ko sanatan nahi mante ,
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सञ्जय अग्रहरि8/8/2014 05:31:41 am
मित्र निमेष जी क्या गीता, रामायण से पहले था ?
क्या वेद से पहले था ?
सनातन का अर्थ ही है जो सदा से हो ।
क्या गीता कृष्ण जी के पहले था ?
अब आप खुद ही सोचिए की क्या गीता सनातन है ?
धन्यवाद
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shrawan5/6/2014 12:24:42 pm
padhane par samaghe me aata hai lekin jo kam kar anubhav prapt kiya jata hai ohi samagh me nani ata
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सञ्जय अग्रहरि 8/8/2014 05:34:34 am
श्रवण जी आप प्रयत्न करते रहे ईश्वर आपको सही मार्ग दिखाएंगे।
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Muhammad Idris8/4/2014 09:15:02 am
Very good thinking.
Appreciate
Par pure world iss prakar ka koi Hindu aap khojne jaenge to bhi nahi milega, ha shayad mil bhi jae to tab tak dhundhne wale ke 50 saal to usiki khoj me lag jae.
Aajkal mandeer, dargah aur gurudwara jaisi jagaho pe sirf or sirf issi liye public ko akshit kiya jaata hai ki pujario aur mujavaro ki kamaai ho sake. Aisa nahi hai ki me nastik hun par me to chust muslim hun, issi liye me murtio aur kabro ki aradhna, archna ka virodh karta hun.
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Jai8/4/2015 08:39:25 am
Kyun Aapas Men Lad rahe ho
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vimaypratap Gautam8/23/2014 11:00:43 pm
हमारे.हीन्दयू धर्म ,बेद को ही राम चरिइत्र मनष .कहते और ही भग्वतगीता .रामायण.ये सब हमारे लिये बेद से भी पबिब्त्रा चरिर्त्रा पूर्ण है
आप एक बेद की बात क्र रहे हो
हमारे यहा बेद कुरान,.बैब्ल इन स्ब का बाप ह.ै बोलो आप
राम चरिर्त्रा मन्ष
भग्वत गीता
रामायण.
हमारे यहा ऐसी पबिब्त्रा मन मुक्ष्ये किक्तबे है
जो पूरे ब्रह्मांड मे नही पयी जाती हे
अब समझे कुत्ते
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युवा शाखा 9/3/2014 06:36:07 am
आपने अपना परिचय स्वयं दे दिया ।
धन्यवाद
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Ravi pathak8/26/2014 01:01:24 pm
सनातन धर्म पहले से नहीं था ।अपितु परमात्मा पहले से थे
जब परमात्मा आये तो सनातन धर्म हुआ।
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युवा शाखा 9/3/2014 06:36:57 am
आपके हिसाब से परमात्मा कब आए ?
REPLY
ankit9/29/2014 03:08:49 am
Aap jisane v ye post kra h me nase ek baat bolna chahta hu k plz aap shabdo k jaal m ulajh kr yaha jo man m aya wo post na kro...raam or krishna ko chhod do kyunki wo dono hi sirf ek uddeshya ko pura karne k liye aaye the or wapas shri vishnu g m sama gye h wo but aap jo ye bol rhe ho purano ki baate to suno bhai m v purano ko nhi manta but apne yaha jo example diya h wo purano k diya h to suno shiv ka janam kaha huwa h or kese huwa h ye btao...aapne agr puran pade hote tab apko pta chalta ki vishnu puran m or brhma puran m or devi puran m jiska jikar kra gya h wo rudra devta ka h shiv ya sada shiv ka nhi samjhe...rudra brhma vishnu ye teeno alag alag manwantaro me ek dusaro se prakat hote rehte h kabhi koi kisi m s3 paida hota h kabhi koi but ek nirakaar parmatma kewal shiv hor unki shakti ambaa bhawani h...ye brhma vishnu rudra unake bache kehlo ya jo kenha chaho wo kehlo h....or ye hi bachche alag alag khel khelate h ...but in sabke maa baap shiv or shakti yane ki param purush or prkriti hi h..ek baat or aaj kal vaishnav logo ne jo duniya k samane shiv ki image bna di h wo galat h unhone shiv ki bahut insult kri h or karte....vaishnav log sirf purano pr believe krte h or jaisa ki mene v kai puran pade h sare k sare hi vishnu or usake avtaar or usake wahan or bhagto k hi arround h esa kyu h....kya duniya m sirf vishnu ne hi avtar liya h kya...chalo shree mad bhagwat or vishnu puran m to samajh m ata h k unki leelaye h but narshing puran, varah puran, padam puran, matsya puran, vaman puran, narad puran ye sab kya h...inka to koi itna bda story v nhi h joiinke liye itane bde bde puran ban gye or ha ek or joke suno ek puran h kalki puran ..hahahahahah ye h vaishnwo ka maya jaal...i guess ye puran tab likhe gye h jab bharat m vaishnav bhakti apne charam pr the warna wo bhagwan jo chal krta h, jo hamesa raksho ka vinash krta h humesa sirf devtao ka hi sath deta h wo parmeshwarnhi ho sakta wo sirfbhagwaan hoga...lekin jis ne sara brhmaand banaya h jo sre jagat ka peeta or mata h sirf wo hi h jo insaan , bhoot pret, rakshsh, devta yaksh, kinnar, naag, pashu, pakshi nadiyo parwato sabpe ek samaan bhaw rakhe bhed bhaw na kre kyunki maa baap hi to apne sab bacho ko saman pyaar krte h....ye vaisnav logo k paas koi proof nhi hota h apne krishna ko paramatma btane ka isliye ye sirf purano ki hi baato m uljhate h logo ko...vaishnav log bhawana or prem ki pradhanta hoti h but shaiv m tarak or prsut prmaan hota h koi likhi hui purani katahye ya koi puran ki kahaniya nhi hote h....har har mahadev
REPLY
युवा शाखा 10/4/2014 05:46:44 am
आप भी अपने शैव संप्रदाए का बखान कर रहे है यहा ।
मत मतांतर और संप्रदाए से ऊपर उठिए।
धन्यवाद
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Saurabh kr patellink12/29/2014 03:07:59 am
Dekhiye, mai aap sab ka samman karta hu, aapsab ne apne-apne soch aur samajh ke anusar apni bate kahi, par aap sab logon ke mansikta ko padkar mai bahut vichlit ho rha hun. Koi kehta hai ram ko mano,koi krishna ko manne ke liye kahta hai, par mujhe ye batayie ki kya hum inhe naam matra me samet kar inme astha rakh sakte hai.?...nahi mere bhaiyo, aisa nahi hai. Aap samajhe ki koshish karo. Jaisa ki koi insaan bina guru ke gyan nai pa sakta chahe uske pas duniya ke kisi publikeshan ki kitab ya granth ho. Thik usi tarah VED satya aur sampurn gyan ka pitara hai jise samajhne ke liye hum sab ko koi na koi madhyam chahiye aur mai ek insaan hone ke nate ye samajhta hoon ki chahe shri ram ho ya shri krishna ho ya mahrshi dayanand ho sab prithvi par hum nasamajh insaanon ko samjhane ke liye janm liye. Hume in pavitra namo ko mudda bana kar vad-vivad karne se koi labh nai hai aur mai aapsab se hath jod kar prarthna karta hu ki sabhi bhramit bato ko chod kar aap jis mahan atma me vishwas rakhte hai, unke kiye hue aur chale hue margo ka anusarn kijiye jisse apko parmatma ka bodh ho tatha aap sabhi MOKSH ko prapt kare. Kripya ek hi desh me rahkar anekta to mat panapne dijiye nahi to sabka patan ho sakta hai... ... VANDE MATRAM... ... Please always keep the nation first. JAI HIND...
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''नयाल सनातनी'' link1/16/2015 05:16:24 am
सनातनी विचार ! हम मूल सनातनी है।
हम हिन्दू नहीं मूल सनातनी है। और हमारा धर्म और पुरे ब्रहमाण्ड का एक मात्र धर्म सिर्फ सनातन है। जब हम सिर्फ हिन्दू है कहते है तो लगता है 14 सौ वर्ष पूर्व आये इस्लाम मत भी हमसे पुराना और बड़ा लगने लगता है, 25 सौ वर्ष पूर्व आया इसाई मत भी हमसे पुराना हो जाता है, हजारों वर्ष पूर्व आया बौद्ध मत भी पुराना और बड़ा लगता है, येसे ही लाखों वर्ष का जैन मत भी बड़ा और पुराना लगता है . क्योकि यह ''हिन्दू मत'' को आये तो लगभग 1 हजार वर्ष ही हुए है . जब सिन्धु नदी पार वालो को शब्दों की अशुद्दी के कारण हिन्दू शब्द के नाम से संबोधित किया गया था।जबकि सनातन शब्द का अर्थ तो है जो सदा था सदा रहेगा। आज से लगभग 1 करोड़ 62 लाख 84 हजार वर्ष पूर्व जब मर्यादा पुरुषोतम जगत प्रभु श्री राजा-राम का राज-दरवार चल रहा था। वशिष्ठ महामुनि भी राज दरबार में एक उच्च आसन पर बैठे थे, श्री राजा राम ने अपने कुल गुरु से आदर पूर्वक पूछा
हे गुरुदेव ! सनातन धर्म की व्याख्या कीजिये कुछ बताईये इस मूल धर्म के बाë
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subhash9/13/2015 04:19:25 pm
राम का जन्म लगभग८-९० लाख वर्ष पहले हुआ था महोदय
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Sonu Singh Sengar2/19/2015 11:32:32 am
Ab Aap sab Mahanubhav ye batane ka kasht karein ki kise mana jaye
aur kya krein ki aapke dwara varnit kiya gaya sanatan dharm ka utthan ho sake, kaisse is bhramjal se nikle, es Bahudevvad ka asli matlab kya hai, batayien....
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युवा शाखा10/8/2015 02:50:52 pm
भ्रम मे पड़ने का मूल कारण ही है एकेश्वरवाद को छोड़ कर बहुदेवतावाद मे भटकना।
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S.K.S.3/6/2015 10:09:09 am
सनातन धर्म की बात सभी ने की पर कोई भी व्यक्ति एक महापुरुष ऋषभदेव जिसका की वर्णन सभी सम्प्रदायों ने एक मत से स्वीकार किया है जिसे शेव शिव का अवतार वैष्णव विष्णु का और ऋग्वेद उसे अर्हत के रूप में स्वीकार करता है और उसी परंपरा के चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी है। इस आधार पर तो सनातन का आधार जिनवाणी होना ही होता है। कृपया इस सन्दर्भ में हमारा ज्ञान बढ़ाएं।
धन्यवाद्
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JP Giri8/5/2015 05:26:30 am
Bhaiyon, namaskar.
Pothi padhi padhi jg mua, pandit bhaya n koy,
Dhai akshar prem ka padhe so pandit hoy.
Jai Bharat Jai Insan
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ajay kumar arya8/7/2015 09:43:28 am
thanks sir, hume batane k liye
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मनोज9/22/2015 01:25:26 am
परमात्मा ज्ञानस्वरुप है , ओर इस ज्ञान कि लिये एक सक्षम गुरू का होना नितान्त आवश्यक है .
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satish Ganeshrrao Awchar9/25/2015 02:57:15 pm
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मनोज9/26/2015 10:49:10 am
सत्य के कई, भेद हैं , और शाब्दिक सत्य जिसकी आप सब खिच्ड़डी पका रहें हैं. सत्य तो परम सत्ता है, जहाँ हिंदू मुस्लिम ईसाइ , मात्र मनुष्य, जीव , एवं जीवन रुप हो जाती है. सत्य तेरा मेरा नही, जो स्वयं मैं विलीन हो जाये, स्वयंभू में . जिसको खुदा भी कहते हैं . शम्भू ... सत्यं शिवं सुन्दरं .
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ansh10/5/2015 09:59:21 am
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Amol ghatkar10/13/2015 01:04:20 pm
सत्य हि ईश्वर है
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पुष्पा चौहान 10/13/2015 11:48:59 pm
नमस्कार।
एक वाक्य में कहूंगी - सत्यं, शिवं, सुंदरम् और यही सनातन है।
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vijay kumar11/28/2015 01:04:03 am
Its Very gd and informative with rational inputs....Jai shree Hari
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Kk upadhyaylink12/8/2015 12:15:08 am
महोदय जो भी विद्वान इस पोस्ट को पढ़े वो मुझे इस बात का जबाब देने कृपा करे की क्या सनातन धर्म में मूर्ति पूजा सही है तो क्यों सही है और सही नही है क्यों हम राम,कृष्ण,हनुमान और सभी देवी देवताओं को पूजते है।
और निराकार ब्रह्म क्या है क्या कोई विद्वान् इस बात को मुझे समझा सकता है। मुझ पर कृपा करके मुझे इस बात का उत्तर जरूर दें।
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युवा शाखा 12/31/2015 01:49:42 pm
मूर्ति पुजा सही तरीका नहीं है ईश्वर से साक्षात्कार करने का,
जो लोग इसे करते है वो अपनी अज्ञानता की वजह से करते है।
निराकार ईश्वर का गुण है इसलिए उसे निराकार ब्रह्म कहते है।
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dev tiwari1/10/2016 10:59:16 am
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dev prakash tiwari1/10/2016 11:29:45 am
धर्म का आधार
यह घटना उस समय की है, जब डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन मद्रास के एक ईसाई मिशनरी स्कूल के छात्र थे। वह बचपन से बेहद कुशाग्र एवं तीव्र बुद्धि के थे। कम उम्र में ही उनकी गतिविधियां व उच्च विचार लोगों को हैरानी में डाल देते थे। एक बार उनकी कक्षा में एक अध्यापक पढ़ा रहे थे, जो बेहद संकीर्ण मनोवृत्ति के थे। पढ़ाने के क्रम में वह धर्म के बारे में बच्चों को बताने लगे और बताते-बताते ही वह हिंदू धर्म पर कटाक्ष करते हुए उसे दकियानूसी, रूढ़िवादी, अंधविश्वासी और न जाने क्या-क्या कहने लगे।
बालक राधाकृष्णन अध्यापक की ये बातें सुन रहे थे। अध्यापक के बोलने के बाद राधाकृष्णन अपने स्थान पर खड़े होकर अध्यापक से बोले, ‘सर ! क्या आपका ईसाई मत दूसरे धर्मों की निंदा करने में विश्वास रखता है?‘ एक छोटे से बालक का इतना गूढ़ व गंभीर प्रश्न सुनकर अध्यापक चौंक गए। वाकई बालक की बात में शत-प्रतिशत सत्यता थी। दुनिया का प्रत्येक धर्म समानता व एकता का ही संदेश देता है। मगर अध्यापक एक न
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devprakash tiwari1/10/2016 12:13:10 pm
aur ha ek bat to batya ap is duniy ke nahi ho hum to ap ke itny bidwan nahi hai lakin ap kavi humary kasi me aye to hum ap baty ki bidwan kay hoty hai aur humary prvu sanatan hai is liy hum kahaty hai prvu ap ko sty budhi pradan kary ap ke man ke rakchas ko mar fek de aur hum in bato ko biram dety hai savi bhakt boly हर हर हर महादेव
Sudheer 8/27/2016 12:31:59 pm
हम कई दिनों से सनातन क्या है इसका मतलब खोज रहे थे। और आज हमें इसका सही मतलब आपके इस पोस्ट से मिल गया है। आप को धन्यावाद!
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युवा शाखा 8/29/2016 01:37:11 pm
आप जैसे जिज्ञाषू प्रवृति के लोग ही सत्य को जान और पहचान सकते है।
इसका अधिक से अधिक प्रचार करे और सनातन धर्म को मजबूत करे।
धन्यवाद ।
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संजय प्रधान 9/11/2016 09:41:44 pm
युवा शाखा आपने बहुत सुन्दर सनातन धर्म" की व्याख्या की है !कृपया आप इन बच्चों के सामने इतनी उच्च स्तर की बातें ना करे! "भोजन उसी को दिया जाना चाहिए जिसको वास्तविक भूख हो"
"अधिकारी व्यक्ति को ही जानने का अधिकार है"
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Hitesh12/10/2016 09:40:04 pm
शून्य
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नवीन ,मुजफ्फरपुर (बिहार)1/5/2017 08:35:40 am
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Deepak1/11/2017 09:17:46 pm
Maaff kijiye mujhe in baato k bare KUCH nhi pta mujhe sirf ye Janna hei k bagwat Gita ka kya aarth hei plz yuva sakha reply
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sanjay3/12/2017 12:39:48 am
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hemant meena,(technical boy)3/27/2017 12:57:05 pm
apka post sccha h bs samjhne ka fark h
gyaan jo hai lagta saral hai but saral nhi wo ek shaj bhasa me hai
main gyan ki baat khe to param tatv god partical khe ya iswar ya allah ya ram krisna ye sb to ek body part k name the but jo urja ya energy smpoorn brhmand m h
wo enrgy hmare andar bhi h ye sareer ya body m atma ya intarnal energy hai jo ek anu roop mai prwaahman h jese ki neuroons.but ye to bus since h .or sareer k andar khud ki energy ya atma ko jan jana ya ahsaas krna hi gyan h
god roopi urja hr matarial or body mai hai hmare me bhi wo poorn h vayu aag paani patthar sabse uske anu aar paar bhte rhte h wo ek smpoorn parm atma hai.
hm parmatma intarnal energy ya god partikal urja k samundar ke hi hisse hai
ham us samundar ki bhti dhaara ka hi roop hai
khood ko jan jana hi gyan hai ooor hum hi prmatma hai
but agyan se khud ko sreer man kar manusya hai
or atma samjhkr snatan hai
hum sampoorn bhgvan hone ki soch thinking k karan saare sareer yani sampoorn sansaar ki rkhcha and seva ya proopkar karna hamari kartavya hi nhi blki jimedari bhi hai
sreeer ya har material jo chetna se claaymaan h wo hi kurukshetra hai ooor isme tims kaaal sbse bda hai jo guno yani bhawna harmons dwara [parivartan sansar ka niyam hai]sbko badlta rhta hai
is body mai rhne wali urja aatma ko jaan na hi gyan hai
apne m,an budhi external memory hai ionko swayam ki atma se sthir krna atma se jodna hi gyan hai
ooor atmprayan hokar smpoorn neuroons ya brhmand ki urja se judna hi snatan dhr4m hai jiske alg alg niyam dhrm raste h jo man ko control krk apni prakrti ko was mai kark prm ki or snatan mai milate hai
parivartan sansaar ka niyam hai jo hai wo badal jayega but jo nhi badalta wo hi saswat atma hai parmatma
energy nither be creates nor be distroyed only convert one form to onother form
iswer ki smpoorn brhmand ki sthanu anu roop mai chlayman atma hi param atma hai jisme bhut sare gun hai jinhe prakrti kha jata hai jo badlte rhte hai but parmatma energy sthir ek jesi nveen puratan abhed infinite or amapi hai
hmari atma ki urja me 3 eloctrons protons neutrons .>brhma visnu mhesh h siv hi sataya hai arthat neutrons mai andar atmprayan hokar smpoorn snatan visvatma se jo judkar ek tatv ko jan jata hai whi parmatma k swbhav ya prkarti ko prapt pujniya god hi hai
technical boyy .....god of since
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