Wednesday, 29 March 2017
विशुद्धानन्द सरस्वती
मुख्य मेनू खोलें

खोजें
मेरी अधिसूचनाएँ दिखाएँ
1
संपादित करेंध्यानसूची से हटाएँ।
स्वामी विशुद्धानन्द सरस्वती
पेज समस्याएं
स्वामी विशुद्धानन्द सरस्वती (1820 ई - ) काशी के पण्डित (विद्वान) थे जिनके साथ 16 नवम्बर, 1869 ई. स्वामी दयानन्द सरस्वती का शास्त्रार्थ हुआ था।
उनका जन्म सन् 1820 ई. में उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के वाडी नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता पं. संगम लाल शुक्ल कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे। विशुद्धानन्द जी का बचपन का नाम वंशीधर था। 18 वर्ष की आयु का होने पर इन्होंने निजाम हैदराबाद में सैनिक का पद स्वीकार किया था परन्तु कुछ समय बाद तीव्र वैराग्य होने पर नौकरी से त्याग पत्र देकर देश के तीर्थों की यात्रा करने निकल पड़े। अनेक तीर्थ स्थानों का भ्रमण करने के बाद आप काशी आये और काशी के अहिल्याबाई घाट पर निवास करने वाले संन्यासी गौड़ स्वामी के शिष्य बन गये। उन्हीं से आपने संन्यास की दीक्षा ली और इस नये आश्रम का नया नाम स्वामी विशुद्धानन्द धारण किया। सन् 1859 में गौड़ स्वामी के निधन के पश्चात स्वामी विशुद्धानन्द सरस्वती ही उनकी गद्दी के अधिकारी हुए। इनके शिष्यों में सनातनधर्म के उपदेशक पं. दीनदयालु शर्मा, महामहोपाध्याय पं. शिवकुमार शास्त्री तथा महामहोपाध्याय पं. प्रमथ नाथ भट्टाचार्य के नाम उल्लेखनीय हैं। मीमांसा दर्शन तथा अद्वैत-वेदान्त में आपकी विशेष गति थी। मठाधीश व संन्यासी होने पर भी आपके भौतिक ऐश्वर्य तथा ठाठ-बाट में कोई कमी नहीं रहती थी।
स्वामी विशुद्धानन्द के लेखकीय कार्यों में उनकी एकमात्र कृति ‘कपिल गीता की व्याख्या’ (प्रकाशन काल व्रिकमी सं. 1946 वा सन् 1889 ई.) का पता चलता है। सन् 1898 ई. में आपकी मृत्यु काशी में हुई।
संवाद
Last edited 8 months ago by चक्रपाणी
RELATED PAGES
गोपीनाथ कविराज
सहजानन्द सरस्वती
गौड़ स्वामी

सामग्री CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उल्लेख ना किया गया हो।
गोपनीयताडेस्कटॉप
No comments:
Post a Comment