ⓘ Optimized just nowView original http://spiritualsys.com/yoga-nidra/ Menu Skip to content Meditation ,Tratak , Healing , Mantra Science at one place 3. योग निद्रा की विधि March 26, 2015 by onkar kumar  योगनिद्रा लें और दिनभर तरोताजा रहे। निद्रा का मतलब आध्यात्मिक नींद। यह वह नींद है, जिसमें जागते हुए सोना है, सोने व जागने के बीच की स्थिति है। प्रारंभ में यह किसी योग विशेषज्ञ से सीखकर करें तो अधिक लाभ होगा। योगनिद्रा द्वारा शरीर व मस्तिष्क स्वस्थ रहते हैं। यह नींद की कमी को भी पूरा कर देती है। इससे थकान, तनाव व अवसाद भी दूर हो जाता है। राज योग में भी इसे प्रत्याहार कहा जाता है। जब मन इन्द्रियों से विमुख हो जाता है। प्रत्याहार की सफलता एकाग्रता लाती है। योगनिद्रा में सोना नहीं है। योगनिद्रा द्वारा मनुष्य से अच्छे काम भी कराए जा सकते हैं। बुरी आदतें भी इससे छूट जाती हैं। योगनिद्रा का प्रयोग रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, सिरदर्द, तनाव, पेट में घाव, दमे की बीमारी, गर्दन दर्द, कमर दर्द, घुटनों, जोड़ों का दर्द, साइटिका, अनिद्रा, अवसाद और अन्य मनोवैज्ञानिक बीमारियों, स्त्री रोग में प्रसवकाल की पीड़ा में बहुत ही लाभदायक है। योगनिद्रा का संकल्प प्रयोग पशुओं पर भी किया जा सकता है। खिलाड़ी भी मैदान में खेलों में विजय प्राप्त करने के लिए योगनिद्रा लेते हैं। योगनिद्रा 10 से 45 मिनट तक की जा सकती है। योगनिद्रा लेने का तरीका योगनिद्रा प्रारंभ कर रहे हैं तो ध्यान रखें खुली जगह का चयन किया जाए। यदि किसी बंद कमरे में करते हैं तो उसके दरवाजे, खिड़की खुले रहना चाहिए। ढीले कपड़े पहनकर शवासन करें। जमीन पर दरी बिछाकर उस पर एक कंबल बिछाएं। दोनों पैर लगभग एक फुट की दूरी पर हों, हथेली कमर से छह इंच दूरी पर हो। आँखे बंद रहें। शरीर को हिलाना नहीं है, नींद नहीं निकालना, यह एक मनोवैज्ञानिक नींद है, विचारों से जूझना नहीं है। अपने शरीर व मन-मस्तिष्क को शिथिल कर दीजिए। सिर से पाँव तक पूरे शरीर को शिथिल कर दीजिए। पूरी साँस लेना व छोड़ना है। अब कल्पना करें कि आप समुद्र के किनारे लेटकर योगनिद्रा कर रहे हैं। आप के हाथ, पाँव, पेट, गर्दन, आँखें सब शिथिल हो गए हैं। अपने आप से कहें कि मैं योगनिद्रा का अभ्यास करने जा रहा हूँ। योगनिद्रा में अच्छे कार्यों के लिए संकल्प लिया जाता है। बुरी आदतें छुड़ाने के लिए भी संकल्प ले सकते हैं। योगनिद्रा में किया गया संकल्प बहुत ही शक्तिशाली होता है। अब लेटे-लेटे पांच बार पूरी साँस लें व छोड़ें। इसमें पेट व छाती चलेगी। पेट ऊपर-नीचे होगा। अब अपने इष्टदेव का ध्यान करें और मन में संकल्प 3 बार बोलें। अब अपने मन को शरीर के विभिन्न अंगों (76 अंगों) पर ले जाइए और उन्हें शिथिल व तनाव रहित होने का निर्देश दें। अपने मन को दाहिने पैर के अंगूठे पर ले जाइए। पाँव की सभी उँगलियां कम से कम पाँव का तलवा, एड़ी, पिण्डली, घुटना, जांध, नितंब, कमर, कंधा शिथिल होता जा रहा है। इसी तरह बाया पैर भी शिथिल करें। सहज साँस लें व छोड़ें। इससे समुद्र की शुद्ध वायु आपके शरीर में आ रही है व गंदी वायु बाहर जा रही है। कल्पना करें कि धरती माता ने आपके शरीर को गोद में उठाया हुआ है। अब मन को अपने दाहिने हाथ के अंगूठे, सभी उंगलियों पर ले जाइए। कलाई, कोहनी, भुजा व कंधे पर ले जाइए। इसी प्रकार अपने मन को बाएं हाथ पर ले जाएं। दाहिना पेट, पेट के अंदर की आंतें, जिगर, अग्नाशय दाएं व बाएं फेफड़े, हृदय व समस्त अंग शिथिल हो गए हैं। हृदय के यहाँ देखिए हृदय की धड़कन सामान्य हो गई है। ठुड्डी, गर्दन, होठ, गाल, नाक, आँख, कान, कपाल सभी शिथिल हो गए हैं। अंदर ही अंदर देखिए आप तनाव रहित हो रहे हैं। सिर से पाँव तक आप शिथिल हो गए हैं। ऑक्सीजन अंदर आ रही है। कार्बन डाई-ऑक्साइड बाहर जा रही है। आपके शरीर की बीमारी बाहर जा रही है। अपने विचारों को तटस्थ होकर देखते जाइए। अब अपनी कल्पना में गुलाब के फूल को देखिए। चंपा के फूल को देखिए। पूर्णिमा के चँद्रमा को देखिए आकाश में तारों को देखिए। उगते हुए सूरज को देखिए। बहते हुए झरने को देखिए। तालाब में कमल को देखिए। समुद्र की शुद्ध वायु आपके शरीर में जा रही है और बीमारी व तनाव बाहर जा रहा है। इससे आप स्वस्थ हो रहे हैं। आप तरोताजा हो रहे हैं। सामने देखिए समुद्र में एक जहाज खड़ा है। जहाज के अंदर जलती हुई मोमबत्ती को देखिए। जहाज में दूसरी तरफ एक लालटेन जल रहा है उस जलती हुई लौ को देखिए। सामने देखिए खूब जोरों की बरसात हो रही है। बिजली चमक रही है, चमकती हुई बिजली को देखिए। बादल गरज रहे हैं। गरजते हुए बादल की आवाज सुनिए। नाक के आगे देखिए। ऑक्सीजन आपके शरीर में जा रही है। कार्बन डाई ऑक्साइड बाहर जा रही है। अपने मन को दोनों भौहों के बीच में लाएँ व योगनिद्रा समाप्त करने के पहले अपने आराध्य का ध्यान कर व अपने संकल्प को 3 बार अंदर ही अंदर दोहराए। लेटे ही लेटे बंद आँखों में तीन बार ओऽम् का उच्चारण करिए। फिर दोनों हथेलियों को गरम करके आँखों पर लगाएँ व पाँच बार सहज साँस लीजिए। अब अंदर ही अंदर देखिए आपका शरीर, मन व मस्तिष्क तनाव रहित हो गया है। आप स्वस्थ व तरोताजा हो गए हैं। जिस तरह से कार की बैटरी चार्ज हो जाती है। निचे एक ऑडियो है योगनिद्रा का प्रयोग करवाया गया है . यह बहुत अच्छा प्रयोग है जो http://www.blooming-lotus-yoga.com/yoga-nidra/ वेबसाइट से लिया गया है . Download File ONKAR KUMAR  SPIRITUAL SYSTEMS I am a software enginner in an MNC with deep interest in spiritual stuffs . I have knowledge of healing such as Reiki , Prana voilet healing , Crystal healing etc . I am Reiki Grand master , love meditation and inspire everyone to experience peaceful and blissful life . It would be awesome if you would share your knowledge and experience . Thank you . Categories ध्यान प्रयोग Tags vishnu , yog nidra , yoga nidra , yognidra Post navigation 2. शक्ति चक्र त्राटक का अभ्यास 4. आनापानसति ध्यान विधि Search for: Search  Search … Latest questions दीपक त्राटक में क्या सावधानियां रखनी चाहिए ? asked by Anonymous, 2 years ago इस केटेगरी के पोस्ट फेसबुक के ध्यान व कुण्डलिनी के अनुभव ग्रुप से लिए गये हैं . यहाँ पे महत्वपूर्ण बातों का संकलन है जो आपको ध्यान की शुरुआत करने से लेकर उच्चतम अवस्था तक पहुचने की प्रमाणिक विधि बताएगी . सारी बातें उच्च अवस्था को पहुचे साधकों के अनुभव से प्रमाणित हैं . आप अपने जीवन में आज से ही इनका प्रयोग कर आत्म साक्षातकार की ओर अग्रसर हों . अगले मिनट का कोई भरोसा नहीं तो फिर संन्यास आश्रम की प्रतीक्षा छोड़ आज और अभी से ही लगन पूर्वक प्रयास करें . हमारी शुभकामनायें और मार्गदर्शन आपके साथ हैं . साधना सम्बन्धी कोई भी प्रश्न हो तो कमेंट में पूछ सकते हैं .इस ग्रुप के अनुभवी साधक लोग आपका मार्गदर्शन जरूर करेंगे . 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