Wednesday, 19 July 2017

शिवसिंह सेंगर

मुख्य मेनू खोलें  खोजें संपादित करेंइस पृष्ठ का ध्यान रखें शिवसिंह सेंगर शिवसिंह सेंगर (संवत् 1890-1935 वि.) हिन्दी के इतिहास लेखक थे। शिवसिंह सेंगर ग्राम कांथा जिला उन्नाव के जमींदार श्री रणजीतसिंह के पुत्र थे। वे पुलिस इंस्पेक्टर होते हुए भी संस्कृत, फारसी और हिंदी कविता के अध्येता, रसिक काव्यप्रेमी तथा स्वयं भी कवि थे। "ब्रह्मोत्तर खंड" और "शिवपुराण" का हिंदी अनुवाद करने के अतिरिक्त आपकी प्रसिद्धि हिंदी कविता के पहले इतिहासग्रंथ "शिवसिंह सरोज" (रचनाकाल सं. 1934 वि.) लिखने के कारण है। हिन्दी साहित्य में उनकी अपार निष्ठा थी। उनका निजी पुस्तकालय हिन्दी साहित्य की पुस्तकों से भरा था। जब बहुत सारी पुस्तकें जमा हो गईं तो उनके मन में आया कि इन ग्रन्थों और कवियों का परिचय दिया जाय। शिवसिंह सरोज संपादित करें इसमें लगभग एक सहस्र कवियों के जीवन और काव्य का अत्यंत संक्षिप्त परिचय है। कवियों के जीवनकाल आदि के सम्बंध में कुछ त्रुटियों के होते हुए भी, जिनका अपने ढंग के पहले ग्रंथ में होना बहुत स्वाभाविक है, इस कृति के लिए हिंदी जगत् सर्वदा उनका आभारी रहेगा। डॉ॰ ग्रियर्सन का "माडर्न वर्नाक्यूलर लिट्रेचर ऑव हिंदुस्तान" "शिवसिंह सरोज" पर ही लगभग आधारित है। आज भी यह कृति हिंदी कविता के इतिहास के लिये संदर्भग्रंथ बनी हुई है। किसी भारतीय विद्वान द्वारा लिखा गया यह प्रथम हिन्दी-इतिहास है। यह ग्रन्थ हिन्दी विद्वानों में बहुचर्चित रहा है। डॉ रामचन्द्र शुक्ल ने इस ग्रन्थ से काफी सहायता ली है। शिवसिंह सरोज का पहला प्रकाशन सन् १८७८ में हुआ। १८८३ में इसका तृतीय संस्करण प्रकाशित हुआ। इससे इसकी लोकप्रियता का अनुमान लगाया जा सकता है। सन् १९२६ में इसका सातवाँ संस्करण प्रकाशित हुआ। १९७० में हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग से इसका नवीनतम संस्करण प्रकाशित हुआ है। संदर्भ ग्रन्थ संपादित करें मिश्रबंधु : "मिश्रबंधु विनोद"; रामनरेश त्रिपाठी : "कविता कौमुदी" इन्हें भी देखें संपादित करें हिन्दी साहित्य का इतिहास बाहरी कड़ियाँ संपादित करें शिवसिंहसरोज (भारतीय आंकिक पुस्तकालय) Last edited 5 months ago by NehalDaveND RELATED PAGES हिंदी साहित्य का इतिहास (पुस्तक) करनेस (कवि) रामसहायदास  सामग्री CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उल्लेख ना किया गया हो। गोपनीयताडेस्कटॉप

No comments:

Post a Comment