Thursday, 13 July 2017
ध्यान करने के लिए सबसे उपयुक्त विधि By: Balwinder Singh विवेकानन्द जी ने ध्यान करने के लिए जो सबसे उपयुक्त विधि बतलाई थी वो उनकी पुस्तक राजयोग मैं वर्णित है ,उसके अध्यन से जो मैंने समझा और फॉलो कर के देखा तो ध्यान की निम्नलिखित विधि समझ मैं आयी। एक कम्बल के आसन पर पद्मासन, या ना कर सकते हों तो सुखासन मैं, पूर्व की तरफ मुख रख कर बैठ जाएँ, और अपने भीतर चल रहे विचारों पर ध्यान लगाएं,अपने मन से यह सोचें कि मैं साक्षी हूँ और मुझे अपने भीतर उत्पन्न हो रहे विचारों पर नियंत्रण करना है मुझे मन को वैसे ही शांत करना है जैसे निरंतर कंकरी फैंकने से पानी मैं उत्पन्न लहरों को रोकने के लिए बहार से कंकरी फैंकना बंद करना पड़ता है जब तालाब के किनारे बैठा बच्चा कंकरी पानी मैं फैंकना बंद कर देता है तो पानी शांत हो जाता है उसमें लहरों की उत्पत्ती बंद होते ही किनारे पर बैठे हुए को, शांत पानी मैं वो स्वयं तथा उसके पीछे की बहुत सी चीजें दिखाई देने लगती हैं। ऐसे ही जब हम लोग मन मैं निरंतर बहार से आने वाले विचारों पर नियंत्रण कर देते है तब बहुत सी ऐसी वस्तुएं द्रष्टव्य होने लगती हैं जो अभी तक नजर या आब्जर्वेशन मैं नहीं आ पा रहीं थीं अपने पीछे के दृश्य के सामान भूतकाल तो ऐसे स्प्ष्ट दीखता है जैसे पानी पर अपने पीछे का नजारा ............. मैं यहाँ तक आपसे अपने विचार और समझ को साँझा किया है कृपया आप अपने विचार इस विषय मैं अवश्य ही लिखें ताकि ये जो स्पिरचुऐलिटी या आध्यात्म पर हम निरंतर विचार मंथन कर रहे हैं कुछ सही रास्ता पकड़ा जा सके और वास्तव मैं कुछ प्राप्त किया जा सके
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ज्योतिष की राय: क्या 36 गुण मिलने पर सीताराम जैसी जोड़ी बन पाती है?
Saturday, December 3, 2016


बहुत सारे पंडितो का मानना है की श्रीराम और सीता के 36 में से 36 गुण मिले थे। आज भी जिस लड़के और लड़की के पूरे 36 गुण मिल जाते हैं उसे तो पंडित की तरफ से भगवान द्वारा बनाई गई श्रेष्ठ जोड़ी का खिताब मिल जाता है जैसे सीता-राम की जोड़ी। कई पंडितों द्वारा यही कहा जाता है की राम और सीता के 36 में से 36 गुण मिले थे। परंतु सवाल यह है की क्या श्रीराम व देवी सीता का शादीशुदा जीवन कभी ठीक रह पाया था। पंडित द्वारा 36 के 36 गुण मिलने पर राम-सीता जैसी जोड़ी कुछ ही समय बाद कोर्ट-कचहरी के चक्कर काट रही होती है। मगर क्या सचमुच कुंडली में मिलने वाले 36 गुण इस बात की पुष्टि करते हैं कि अमुक जोड़ी की बनेगी या नहीं।
माता पिता द्वारा तय किया गए विवाह में दो अंजान व्यक्ति शादी के बाद खुद को जीवनसाथी के अनुरूप ढालने की कोशिश में लग जाते हैं मगर क्या किसी इंसान की प्रकृति बदली जा सकता है और अगर उसे बदला गया, तो वह नेचुरल न रहकर आर्टिफिशियल हो जाएगा। अक्सर जोड़े की शिकायत होती है कि हमारी आदतें नहीं मिलतीं। कुंडलियां मिलने के बाद भी यही होता है। वैदिक तरीके से कुंडली मिलान जन्म नक्षत्र के आधार पर किया जाता है। इस विधि में वर व वधु के जन्म नक्षत्र की एक सारणी से मिलान करके परिणाम निकाला जाता है। इस गुण मिलान में 36 में से 36 32 और 30 गुण मिलने वालों में भी तलाक की नौबत आ जाती है और कई बार 18 से कम गुण मिलने के बाद भी पति-पत्नी सुखी शादीशुदा जीवन बिताते हैं।
विवाह से पहले ही देवी सीता ने श्रीराम को पति रूप में स्वीकार कर लिया था। दोनों पहली बार राजा जनक की पुष्पवाटिका में मिले थे। वहां देवी सीता विवाह से पहले गौरी पूजन कर उनसे सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करने आई थी और प्रभु राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ पुष्प तोड़ने आए थे। प्रथम भेंट में ही दोनों एक दूसरे को पसंद कर चुके थे।
श्रीरामायण के इस दोहे अनुसार- मनु जाहि राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरो। करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो। एही भांति गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषीं अली। तुलसी भावानिः पूजी पुनि-पुनि मुदित मन मंदिर चली।।
श्रीराम जी को देखने के बाद देवी सीता माता गौरी का पूजन करते वक्त मन ही मन उनसे विनती करती हैं कि पति रुप में उन्हें श्रीराम प्राप्त हों। माता गौरी उन्हें आशीष देती हैं कि उन्हें पति रूप में श्रीराम ही प्राप्त होंगे। धनुष भंग करके श्रीसीताराम विवाह बंधन में बंध गए।

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