#विक्रमादित्य का नाम उनके जन्म से पहले ही #भगवान शिव ने रख दिया था।
विक्रमादित्य ने मात्र 20 वर्ष की उम्र में ही #शकों को पूरे #एशिया से खदेड़ दिया था।
विक्रमादित्य ने भारत और एशिया को #स्वतंत्र करवाने के बाद वे खुद राजगद्दी पर नहीं बैठे बल्कि अपनेँ बड़े भाई #भृर्तहरी को राजा बनाया पर पत्नी से मिले धोखे ने भृर्तहरी को सन्यासी बना दिया और उसके जब भृर्तहरी के #पुत्रों ने भी राज सिँहासन पर बैठने से मना कर दिया तब विक्रमादित्य को ही राज #सिँहासन पर बैठना पड़ा।
विक्रमादित्य ने शकों पर विजय हासिल कर विश्व के प्रथम #कैलेंडर विक्रम संवत की स्थापना की थी।
विक्रमादित्य ने #अश्वमेध यज्ञ कर चक्रवर्ती सम्राट बने थे।
विक्रमादित्य के #शासन मेँ वर्तमान भारत, चीन,पाकिस्तान, बांग्लादेश, जापान, अफगानिस्तान, म्यांमार. श्री लंका, इराक, ईरान, कुवैत, टर्की, मिस्त्र, अरब, नेपाल, दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया, इंडोनेशिया, अफ्रीका और रोम शामिल थे। इसके अलावा अन्य देश संधिकृत थे।
विक्रमादित्य पहले राजा थे जिन्होंने #अरब पर विजय हासिल की थी।
विक्रमादित्य का युग #स्वर्ण युग कहलाया।
विक्रमादित्य के समय पूरी #पृथ्वी पर एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं था जिसके ऊपर एक रुपये का भी #कर्जा हो।
विक्रमादित्य #एकलौते ऐसे राजा थे जिन्होंने अपनी प्रजा का कर्ज खुद उतारा था।
विक्रमादित्य जैसा न्याय कोई दूसरा नहीं कर पाता था उनके #दरबार से कोई निराश होकर नहीं जाता था।
#सम्राट विक्रमादित्य ईसा मसीह के समकालीन थे। ईसा मसीह का जन्म बाद में हुआ था।
विक्रमादित्य के न्याय से प्रभावित होकर देवराज इन्द्र ने उन्हें 32 #पुतलियों वाला सिँहासन भेंट में दिया था। जो ग्यारह सौ वर्ष बाद इन्हीं के वंशज राजा भोज को मिला था।
☺विक्रमादित्य के आगे सिकंदर तो बौना ही था।
विक्रमादित्य ने उज्जैन में महाकाल अयोध्या में राम जन्म भूमि और मथुरा में कृष्ण जन्म भूमि का निर्माण कराया था।
विक्रमादित्य तब तक भोजन नही करते थे जब तक उनकी प्रजा भोजन न कर लें ।
विक्रमादित्य ने ही न☺वरत्नोँ की शुरूआत की थी। #कालीदास और ☺वराह मिहिर विक्रमादित्य के ही दरबारी थे।
#भगवान राम और भगवान कृष्ण के बाद अगर किसी का नाम आता हैं तो वो #चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य का हैं।
desimanch.com
No comments:
Post a Comment