November 27, 2016 • No Comments पदार्थ तीन नहीं, पांच प्रकार के होते हैं – भारतीय पुरातन विज्ञान (1)  Share on Facebook Share on Twitter Share on Google Plus Share on Pinterest ShareTweetPinMail पदार्थ तीन नहीं, पांच प्रकार के होते हैं – भारतीय पुरातन विज्ञान (प्रथम अध्याय) हिन्दुस्तान का हमारा अपना विज्ञान हमारी धरोहर हैं,लेकिन मुझे इस बात का गहरा दुःख व आश्चर्य हैं कि हम अपने पुरातन ज्ञान को भूलकर अन्य देशों की नवीन खोजो को ज्यादा महत्व देने लगे हैं, जो कि वास्तव में पूर्णतया सही नहीं हैं और कई जगह पूरा ही गलत हैं।  मैं विज्ञान का छात्र नहीं रहा हूँ परन्तु अध्यात्म में रूचि होने से भारतीय वैदिक ज्ञान से मुझे कई बातें विज्ञान से सम्बंधित भी सिखने को मिली हैं। यह ऐसी बाते हैं, जिनकी खोज हमारे मनीषियों द्वारा करोड़ो वर्षों पहले खोज ली गई परन्तु आश्चर्य इस बात का हैं क़ि अभी तक विज्ञान में ये बातें हमारे नाम से दर्ज नहीं हैं तथा हमें स्वयं को भी उस अधूरे पाश्चात्य विज्ञान को पढ़ना पड़ रहा हैं, जो अधूरा हैं अथवा गलत हैं। मैं मेरे अनुभवों को आज आप सबके साथ शेयर करना चाहता हूँ और वो इसलिए शेयर करना चाहता हूँ कि हमारे विज्ञान को दुनियाँ समझ सकें. मेरी बात पर हमारे देश के वैज्ञानिक सबसे पहले ध्यान करके, उसे आज के युग के अनुसार शब्दावली देकर, दुनियाँ के समक्ष पेश कर सकें। विज्ञान उसी बात को खोज मानता हैं अथवा महत्व देता हैं जिसे प्रमाणित किया जा सके और मैं यहाँ वो ही बातें लिख रहा हूँ जिसे प्रमाणित किया जा सके। इसलिए कोई भी व्यक्ति, जो सक्षम हैं, वो मेरी इन बातों को, ईसरो व नासा तक पहुंचाने में अवश्य मदद करें। अब मैं मुख्यधारा की ओर लौटते हुए पहला बिंदु आपके समक्ष रख रहा हूँ-  हमने शिक्षा के दौरान यह पढ़ा था कि पदार्थ तीन प्रकार के होते हैं अथवा पदार्थ की तीन अवस्थाये होती हैं – ठोस, द्रव्य और गैस। जबकि हमारे पौराणिक ग्रंथों में पहले से बताया गया है कि पदार्थ की पाँच अवस्थाये होती हैं यानिकि पदार्थ पाँच प्रकार के होते हैं। फर्क इतना ही हैं कि जिन्हें विज्ञान पदार्थ बोल रहा हैं, उसे शास्त्रों में तत्व कहा गया हैं। जहाँ विज्ञान ने पदार्थ की तीन अवस्था ठोस, द्रव्य व गैस बताई हैं, वहाँ हमारे पुरातन ज्ञान में तत्व के पाँच प्रकार बताये गए हैं और नाम दिए गए हैं- आकाश, वायु, तेज, जल और पृथ्वी। पृथ्वी तत्व को विज्ञान ने ठोस कहा हैं, जल को द्रव्य व वायु को गैस कहा हैं। आकाश व तेज को काफी समय तक विज्ञान समझ नहीं पाया। अब विज्ञान ‘तेज तत्व’ को ‘ ऊर्जा’ के नाम से स्वीकार करने लगा हैं, परन्तु आकाश को समझ पाना अभी भी विज्ञान के लिए चुनौती ही हैं। शेष अगली कड़ी में – शोधकर्ता व लेखक : शिव रतन मुंदड़ा   Related Post  पदार्थ की अवस्थाएं तीन नहीं बल्कि पाँच होती हैं- भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-10)  आधुनिक विज्ञान से विकास हो रहा हैं या विनाश – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-28)  पदार्थ की अवस्थाएं तीन नहीं बल्कि पाँच होती हैं – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-8)  पदार्थ की अवस्थाएं तीन नहीं बल्कि पाँच होती हैं – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-9)  पदार्थ की अवस्थाएं तीन नहीं बल्कि पाँच होती हैं – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-2)  पदार्थ की अवस्थाएं तीन नहीं बल्कि पाँच होती हैं – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-3)  पदार्थ की अवस्थाएं तीन नहीं बल्कि पाँच होती हैं – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-4)  पदार्थ की अवस्थाएं तीन नहीं बल्कि पाँच होती हैं (विज्ञान पड़ाव हैं, मंजिल नहीं) – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-5)  पदार्थ की अवस्थाएं तीन नहीं बल्कि पाँच होती हैं – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग -6)  पदार्थ की अवस्थाएं तीन नहीं बल्कि पाँच होती हैं – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-7)  जीएसटी नियमो के अनुसार रविवार व छुट्टी के दिन माल नहीं बेच सकेंगे ?  न्यूटन का गुरुत्त्वाकर्षण का सिद्धान्त गलत हैं – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-26) TwitterGoogle+FacebookWhatsApp Previous Post 1978 की नोटबंदी व 2016 की नोटबंदी में फर्क क्या है ? Next Post ‘मोदी नोटबंदी योजना’ से करेंसी (नोट) एक्सचेंज किन-किन के लिए बना व्यापार - रोजगार ? Leave a Reply  Name*  E-Mail*  Website  Publish Back to top Mobile
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