Wednesday, 6 September 2017

पुण्य एक जग महुँ नहिं दूजा I मन क्रम वचन विप्र पद पूजा II 

बाबा राम देव (यादव)
जय गुरुदेव (यादव),
गुरमीत राम रहीम (जाट),
रामपाल (जाट)
राधे मां (खत्री),
आसाराम (धोबी सिंधी),
स्वामी नित्यानंद(दलित)
स्वामी चिन्मयानंद(दलित)
साध्वी ऋतम्भरा (लोधी)
साध्वी उमा भारती(लोधी)
साक्षी महाराज(कुर्मी पटेल)
साध्वी प्रज्ञा(मलाह दलित)
साध्वी प्रभा(यादव)
साध्वी चिदर्पिता(मोर्य)
संत गणेश्वर(दलित पाशी)

#इन सभी बाबाओ की करतूतों को देखने के बाद अब तो समझ मे आ रहा होगा,की, क्यो
गोस्वामी तुलसीदास जी ने मानस में लिखा है:--

#पूजहि विप्र सकल गुण हीना ।
#शुद्र न पूजहु वेद प्रवीणा ।।

अर्थात:- तुलसीदास का कहना है कि ब्राह्मण चाहे कितना भी ज्ञान गुण से रहित हो,उसकी पूजा करनी ही चाहिए,
शूद्र चाहे कितना भी गुण ज्ञान से वो सम्माननीय हो सकता है लेकिन कभी पूजनीय नही हो सकता।।
#पुण्य एक जग महुँ नहिं दूजा I मन क्रम वचन विप्र पद पूजा II 

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