Wednesday, 18 October 2017

भक्त दुःख से छटपटायेगा, तो मैहर वाली माँ बेचैन हो उठेगी

  svyambanegopal.com खोजने के लिए टाइप करें Search परम सिद्ध मन्दिर जहाँ दुर्भाग्य की मार से तड़पते भक्त के सभी दुखों को भस्म करने के लिए चरम सत्ता ईश्वर साक्षात निवास करते भक्त दुःख से छटपटायेगा, तो मैहर वाली माँ बेचैन हो उठेगी · September 27, 2015 ममता की सागर माँ दुर्गा जहाँ प्रत्यक्ष रूप से वास करती हैं उस पवित्र धाम का नाम है मैहर धाम ! पूरे विश्व से देवी के भक्त यहाँ पर अपनी बिगड़ी बनाने के लिए हजारों की संख्या में रोज पहुचते हैं और नवरात्रि में तो पूरा मैहर शहर का कोना कोना देवी के लाखों भक्तों की जयकारों से भरी गर्जना से उद्घोषित हो उठता है ! उत्तर में जैसे लोग मां दुर्गा के दर्शन के लिए पहाड़ों को पार करते हुए वैष्णो देवी तक पहुंचते हैं, ठीक उसी तरह मध्य प्रदेश में भी 1063 सीढि़यां लांघ कर माता शारदा (जो मैहर देवी के नाम से प्रसिद्द हैं) के दर्शन करने जाते हैं। मध्यप्रदेश के चित्रकूट से लगे सतना जिले में मैहर शहर की लगभग 600 फुट की ऊंचाई वाली त्रिकुटा पहाड़ी पर मां शारदा का मंदिर स्थित है। महा वीर आला-उदल को वरदान देने वाली मां शारदा देवी का यह मंदिर बहुत जागृत और चमत्कारिक माना जाता है। कहते हैं कि रात को आला-उदल आकर माता की आरती करते हैं, जिसकी आवाज नीचे तक सुनाई देती है। मैहर का मतलब है मां का हार। मैहर नगरी से 5 किलोमीटर दूर त्रिकूट पर्वत पर माता शारदा देवी का वास है। पर्वत की चोटी के मध्य में ही शारदा माता का मंदिर है | इसी पर्वत की चोटी पर माता के साथ ही श्री काल भैरव, भगवान हनुमान जी, देवी काली, दुर्गा, श्री गौरी शंकर, शेष नाग, ब्रह्म देव और जलपा देवी की भी पूजा की जाती है। क्षेत्रीय लोगों के अनुसार आल्हा और उदल जिन्होंने पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्ध किया था, वे भी शारदा माता के बड़े भक्त हुआ करते थे। इन दोनों ने ही सबसे पहले जंगलों के बीच शारदा देवी के इस मंदिर की खोज की थी। इसके बाद आल्हा ने इस मंदिर में 12 सालों तक तपस्या कर देवी को प्रसन्न किया था। माता ने उन्हें अमरत्व का आशीर्वाद दिया था। आल्हा माता को शारदा माई कह कर पुकारा करते था। तभी से यह मंदिर भी माता शारदा माई के नाम से प्रसिद्ध हो गया। आज भी यह कहा जाता है कि माता शारदा के दर्शन हर दिन सबसे पहले आल्हा और उदल ही करते हैं। मान्यता है कि जब शंकर जी सती के पार्थिव शरीर को लेकर विलाप करते हुए एक स्थान से दूसरे स्थान विचरण कर रहे थे, तब इस स्थान पर मां के गले का हार गिरा था। इसी कारण इस स्थान का नाम ‘माईहार’ पड़ा जो बाद में बिगड़ते-बिगड़ते ‘मैहर’ हो गया। View more होम भारत माँ विशेष लेख अदभुत जानकारियाँ आपबीती सच्चे अनुभव About Us Contact Us

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