आज कल की बात करें तो सबसे बडा पथं है राधास्वामी।
कम से कम करोडो जीव इनके अनुयायी है । पर राधास्वामी एक निराधार पथं है । सबसे पहले किसी भी पथं को जानने के लिए उस पंथ के पृर्वतक के बारे मे पता होना चाहिए ।
राधासवामी पंथ के पृर्वतक का नाम है - संत शिव दयाल
पहली बात उनके कोइ गुरू नही थे ( नीचे फोटो देखें )
दुसरी बात राधास्वामी जो इनके पथं का नाम है वो इनके पतनी के नाम से पडा है - राधा इनकी पतनी का नाम था
जैसे- उमा - उमास्वामी
रामा - रामास्वामी
कान्ता - कान्तास्वामी
वैसे ही राधा इनके पतनी का नाम था ( नीचे फोटो देखें )
तीसरी बात इनकी भगती बिधि है पाँच मत्रों का जाप
ओंकार ररंकार ज्योति निरंजन सोहम सतनाम
यह सारे काल के जाप है । ओर सोहम की इनको पता ही नही ।
यह सारे नाम कबीर परमेशवर का शब्द है ( कर नेनो दीदार महल मे प्यारा है ) इस हलदी की गाठं से यह पनसारी बन गए ।
और इनके पंथ का पृर्वतक है वो बिना गुरू का है
कबीर साहेब कहते है
गुरू बिन माला फेरते गुरू बिन देते दान ।
गुरू बिन दोनो निषफल है चाहे पुछो वेद पुरान ।।
ना इनको सतनाम का पता ।
नानक देव की वानी है
पुरा सतगुरू सोई कहावै ।
जो अखर का भेद बतावै ।।
एक मिलावै एक छुटावै ।
प्राणी निज द्यर को पावै ।।
पर इनके पास कोइ दो अखर का मत्रं नही है ।
जो ईनके पास है वो सब काल के ही है ।
फिर शिवदयाल जी अपनी चेली बुकी मे बोलता था प्रेत की तरह । फिर हुका बरता और खाना खाता था ।
यह सारे लक्षण भुतों के है ।
फिर यह बोलते है मेरा मत तो सतनाम आनामी का था ।
राधास्वामी तो राय साहब का चलाया हुअा है। अंतिम वचन
अगर आप लोग कलयाण चाहते है तो बन्दीछोड सतगुरू रामपाल जी महाराज से नाम लिजिए और कलयाण करवाइए ।
Can I get your number ?
ReplyDeleteWho read this post?
थोथा ज्ञान है तुम्हारा ।
ReplyDeleteभटके हुए प्रानी
भाई baba ji की सरन मे आओ आप रामदास सच्चा गुरु नही है गुरु तो बह है जो किसी की निन्दा नही करता है और रामदास ने तो भगवत गीता को भी गलत बताया है ये तो सभी गुरुओं की निंदा करता है। आगे आपकी मर्ज़ी जी l राधा स्वामी जी
ReplyDelete👍🏽
DeleteBo guru he kya jo kisi ke ninda kara Hamara babaji kisi ke ninda nahi karta ha hamara babaji sabsa asha guru ha radha soami ji dera beas baba ji
ReplyDeleteगुरु से कहते जो किसी की निंदा ना करें अपने भक्तों को अपने भगवान को आगे बढ़ाएं सभी जगह होने की जगह जाती है मगर एक पंथ दूसरे पंथ की निंदा कर रहा है तो कैसा गुरु राधा स्वामी जी
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