Thursday, 19 October 2017

गायत्री महाविद्या

मेनू खोजें शिव गोरख गायत्री महाविद्या गायत्री साधना सदबुद्धि की आराधना- उपासना है ।। गाय को वेदों की माता- वेदमाता कहा जाता है ।। वेद शब्द का अर्थ है ”ज्ञान” ।। यह ज्ञान कल्याण (ऋक् ), पौरुष (यजु), क्रीड़ा (साम) एवं अर्थ (अथर्वण)- इन चार उपक्रमों के माध्यम से सृष्टि के हर जीवधारी के चेतनात्मक क्रिया कलापों का मूलाधार हैं उस चैतन्य शक्ति की जिसे आद्य शक्ति कहा जाता है, यह स्फुरणा है जो सृष्टि के आरंभ में उद्भूत हुई व इस सृष्टि की उत्पत्ति इस प्रकार से ब्रह्माजी के माध्यम से चार वेदों के माध्यम से हुई ।। गायत्री वही आद्य शक्ति है, इसलिए वेदमाता कही जाती है ।। गायत्री मंत्र को समस्त वेद शास्त्रों का निचोड़’ कहा गया है ।। शास्त्रों में ऋषिगणों ने इस मंत्र की महिमा का गायन खुलकर किया है तथा श्रीमद्भगवद्गीता में तो स्पष्ट रूप से योगिराज श्रीकृष्ण के मुख से कहलवाया गया है कि गायत्री छन्दों में सर्वश्रेष्ठ होने के रूप में परमात्मा की सत्ता उनमें विराजती है ।। ” गायत्री छन्द सामहम्” ।। गायत्री मंत्र एक छोटा सा सारगर्भित किन्तु समग्र धर्म शास्त्र है जिसके चौबीस अक्षरों में से प्रत्येक अक्षर में वेदों रूपी महा वट- वृक्ष के मूल तत्त्व ज्ञानबीज के रूप में विद्यमान हैं ।। इन्हीं के पल्लवित होने पर वैदिक वाङ्मय का अपौरुषेय कहलाने वाला चारों वेदों का विस्तार ऋषियों की ज्ञान सम्पदा के रूप में हमारे समक्ष आता है जो सृष्टि की उत्पत्ति का आधार ही नहीं बना, देव संस्कृति का उद्गम भी कहलाया ।। जिससे प्रमाणित होता है कि इस एक मंत्र के माध्यम से ही इस संसार में सब कुछ पाया जा सकता है ।। कैसे गायत्री देवताओं, अवतारी सत्ताओं व ऋषिगणों की उपास्य रही है, मानव मात्र के लिए वह विपत्ति निवारण करने वाली एक संजीवनी किस रूप में है ।। गायत्री अमृत है, पारस है, कल्पवृक्ष है, कामधेनु है, किस रूप में व किस तरह वह सुपात्र को ये अनुदान प्रदान करती है, इसकी विवेचना जो गायत्री महा विज्ञान, युग शक्ति गायत्री एवं अखण्ड ज्योति में समय- समय पर प्रकाशित होती रहती है ।। गायत्री महामंत्र का हर अक्षर शक्ति का स्रोत है, अपरिमित शक्ति का भाण्डागार है तथा सही ढंग से की गयी गायत्री उपासना जीवन में चमत्कारिक परिणाम उत्पन्न करती है, यह परमपूज्य गुरुदेव के जीवन का अनुभव है जो इन पंक्तियों को पढ़कर आत्मसात् किया व स्वयं जीवन में कैसे उतारा जाय, यह शिक्षण लिया जा सकता है ।। गायत्री महाविद्या को अथर्ववेद के अनुसार प्रधानतया ब्रह्मवर्चस् अर्थात् आत्मबल प्रदान करने वाली प्रधान सत्ता बताते हुए परमपूज्य गुरुदेव ने इसे प्राण ऊर्जा की अधिष्ठात्री शक्ति प्रमाणित किया है ।। आज का सबसे बड़ा संकट है आत्मबल की कमी, मानव की अशक्ति ।। आस्था संकट से पीड़ित मानव जाति को जिस संजीवनी- जीवन मन्त्र की आवश्यकता है, वह गायत्री महामंत्र के रूप में विद्यमान है ।। यदि व्यक्ति इस मंत्र की उपासना के माध्यम से अपना ब्रह्मवर्चस् जगा ले, अपने प्रसुप्त बल को पुनः प्राप्त कर ले तो वह समस्त प्रतिकूलताओं से मोर्चा ले सकता है ।। श्रद्धा, निष्ठा, प्रज्ञारूपी त्रिपदा गायत्री की उपासना साधक को ऐसा ही आत्मबल प्रदान करती है, जिससे वह दुर्भावनाओं, दुश्चिन्तन दुष्प्रवृत्तियों से जूझते हुए जीवन समर जीतता हुआ आगे बढ़ता रहा सकता है ।। अपना आध्यात्मिक स्वास्थ्य बनाए रख अपना आभा मण्डल सतत बढ़ाए रखता चल सकता है ।। अपनी बुद्धि को सन्मार्ग- गामी बनाते हुए स्रष्ट के इस उद्यान को और सुरम्य बना सकता है ।। परा व अपरा विद्या की जननी गायत्री महामंत्र के जितने भी ज्ञात- अविज्ञात पक्ष हैं, उनको जन- जन के समक्ष प्रस्तुत कर एक प्रकार से समग्र मानव जाति का कायाकल्प करने, नूतन सृष्टि का सृजन करने का पुरुषार्थ इस ज्ञान के माध्यम से सम्पन्न हुआ है ।। गायत्री उपासना ईश्वर उपासना का एक अत्युत्तम, सरलतम, शीघ्र सफलता देने वाला मार्ग है, यह जानने के बाद फिर कहीं किसी को भटकने की आवश्यकता ही नहीं रह जाती ‘गायत्री वा इदं सर्वभूत़ं यदिदं किंच’ के माध्यम से छान्दोग्योपनिषदकार ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि यह विश्व जो भी कुछ है, गायत्रीमय है Advertisements इसे साझा करें: TwitterFacebookGoogleEmailTumblrPinterestWhatsAppSkype महापुरुषों द्वारा गायत्री महिमा का गान गायत्री महाविद्या का तत्वदर्शन वेदों में गायत्री का गौरव मई 21, 2017Leave a reply « पिछला अगला » एक उत्तर दें आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं * टिप्पणी नाम * ईमेल * वेबसाईट टिप्पणी करे Notify me of new comments via email. Notify me of new posts via email. खोजे खोजें श्रेणी श्रेणी मंत्र संग्रह || संकट मोचन हनुमान् स्तोत्रम् || || श्री बटुक भैरव स्तोत्र || || गर्भऽर्गला || || श्री गुरुस्तोत्रम् || || शिव ताण्डव स्तोत्रम् || पुरालेख पुरालेख सुझाव और शिकायत Shamved tantrika man… पर श्मशान साधना Ravi k पर शिवलिंग को यदि घर पर रखे तो ना… janakraj पर किन्नर और किन्नरियां साधना Om Shukla पर सुलेमान पैगम्बर साधना amrish raghav पर मेष राशी के जातको की नौकरी और… फोटो गैलरी   View Full Site वर्डप्रेस (WordPress.com) पर एक स्वतंत्र वेबसाइट या ब्लॉग बनाएँ . Advertisements Following

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