Thursday, 19 October 2017
श्री वासुदेवानंद सरस्वती (१८५४-१९१४)
Skip to content
Menu
Menu
बालसंस्कार हिंदी > इतिहासके सुनहरे पृष्ठ ! > संत > श्री वासुदेवानंद सरस्वती (१८५४-१९१४)
श्री वासुदेवानंद सरस्वती (१८५४-१९१४)
May 9, 2013
संत वासुदेवानंद सरस्वतीश्रीटेंब्येस्वामीके नामसे भी पहचाने जाते थे । उनका उपनाम वासुदेव,पिताजीका गणेशभट्ट, एवं माताजीका रमाबाई तथा दादाजीका नाम हरिभट्ट था । (लुनर) चंद्र दिनदर्शिकानुसार उनका जन्म सूर्योदयके पश्चात श्रावण वद्य ५, शालिवाहन शक १७७६, २६ घटिकापर हुआ था ।
१८७५ में गोवाके निकट सावंतवाडी निवासी बाबाजीपंत गोडेजीकी कन्या अन्नपूर्णाबाई, वय २१ वर्ष, से उनका विवाह हुआ । बचपनसे ही वे संस्कृत भाषाके जानकार तथा उत्तम विद्वान थे । उनकी कीर्ति हर साल बढती ही गई । नरसोबा वाडीमें भगवान दत्तात्रेयका एक प्रसिद्ध मंदिर है । इस क्षेत्रका भ्रमण करनेके पश्चात वे वासुदेवानंद सरस्वतीके नामसे पहचाने जाने लगे । जहां ५०० वर्ष पूर्व श्री नरसिंह सरस्वतीजीने १२ वर्षोंतक निवास किया, श्री वासुदेवानंद सरस्वतीजीने वहींपर “दत्त माहात्म्य'' ग्रंथलिखा । १८९१ में पत्नीकी मृत्युके पश्चात केवल १३ दिन बाद ही वे संन्यासी बनगए । उनके गुरु श्रीमंत गोविंदस्वामीजीने उन्हें संन्यासकी दीक्षा दी ।
वर्ष १९१४ ( ज्येष्ठ वद्य अमावास्या ) में वे परमात्मामें विलीन हो गए । नर्मदाके तटपर उनकी अंतिम बिदाई की गई ।
Categories संत
Post navigation
संत सावता माली
गणपति काे ‘चिंतामणि’ नाम कैसे मिला ?
Share this on :
TwitterFacebookGoogle +Whatsapp
Related News
संत निवृत्तीनाथश्री गाडगे महाराज (इ.स. १८७६-१९५६)श्रीपाद श्रीवल्लभश्रीवल्लभाचार्यश्री स्वामी समर्थ !संत सावता माली
Browse Categories
Browse Categories
हमारे विषय में
हिंदू जनजागृति समिति की स्थापना ७ अक्टूबर २००२ को धर्माधिष्ठित अर्थात धर्म पर आधारित हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के उद्देश्य से की गई | तब से आज तक हिंदू जनजागृति समिति धर्मशिक्षा, धर्मजागृति, धर्मरक्षा, राष्ट्ररक्षा और हिन्दू-संगठन, यह पांचसूत्री उपक्रम सफलतापूर्वक चला रही है |
Follow Us
संपर्क
contact [at] hindujagruti [dot] org
© 2014 Hindu Janajagruti Samiti - All Rights Reserved
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment