Tuesday, 7 November 2017

योग की मुद्रायें करने का परामर्श नहीं 

  गुरु सियाग योग-मानवता के लिये वरदान By: Satish Mishra जय गुरुदेव आज दुनिया मे चारो और रोग ही रोग फैले हैं अगर आप किसी भी हॉस्पिटल मे चले जाये तो ऐसा लगता है जैसे सारी दुनिया ही रोगी है ज्यादातर रोग मानसिक होते हैं. विज्ञान ने बड़ी तरक्की कर लि है, रोग मिटाने मे उसका बहुत ही बड़ा योगदान है कल जिन बिमारियो का मतलब मौत थी आज उनका इलाज विज्ञान ने दिया है, लेकिन बहुत से रोग हैं जिनका कोई इलाज नही है, डॉक्टर्स परेशन हैं? रोगी की सतह-सतह उसके घर वेल भी उमर भर दर्द उठाते हैं. अब सारी बिमारियो का इलाज संभव है वो भी फ्री मे, गुरु सियाग योग से। दुनियाँ भर में बडे शहरों तथा छोटे कस्बों में रहने वाले अनगिनत लोग तनावपूर्ण जीवन जीते हुए किसी ऐसी सर्वरोगनाशक औषधि की तलाश में रहते हैं जो उन्हें तनाव तथा सभी प्रकार की बीमारियों से, जिन पर वर्तमान औषधियाँ काम नहीं करती, छुटकारा दिला सके। कुछ लोग सनातन सत्य तथा परमात्मा की हार्दिक तलाश में हैं। इसमें से बहुत से लोग अपने इच्छित लक्ष्य की प्राप्ति हेतु योग अपनाते हैं। कुछ समय बाद धीरे-धीरे उनका उत्साह कमजोर पडना आरम्भ हो जाता है क्योंकि उनमें से अधिकांश यह जान जाते हैं कि या तो समय की कमी या फिर कार्य के अनियमित घन्टे होने के कारण रोजाना योग के थका देने वाले खानपान व रहन सहन संबंधी नियम अधिक समय तक बनाये रखना आसान नहीं है। इसके अलावा योग की विभिन्न क्रियाऐं जैसे आसन, बन्ध ,मुद्रायें, प्राणायाम आदि बहुत से लोगों के लिये करना आसान नहीं हैं, अधिकांश केसज में गुरू अथवा योगा टीचर की निगरानी के बिना आरम्भ में योग की मुद्रायें करने का परामर्श नहीं दिया जाता है। जिनके पास समय व धन की कमी है उनके लिये योग की कक्षाओं में जाना या तो अव्यवहारिक होता है या अधिक खर्चीला होता है। क्या इसका यह मतलब है कि योग जनसाधारण के लिये नहीं है? जिनके पास या तो समय की कमी है या जो साधन सम्पन्न नहीं हैं, जो नियमानुसार योग के प्रशिक्षण में पहुँच सकें। सामान्यतः उत्तर होगा, हाँ योग सबके लिये सम्भव नहीं है। गुरू सियाग एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू हैं जो अपने शिष्यों के लिये जिम में जाये बिना या घर पर योग के थका देने वाले गहन प्रशिक्षणों के किये बिना ही सिद्धयोग के द्वारा योग के सर्वोत्तम लाभ उपलब्ध करा देते हैं। सिद्धयोग में, एक इच्छुक व्यक्ति को गुरू सियाग से दीक्षा लेनी होती है तथा उनके बताये अनुसार ध्यान एवं मंत्रजाप करना होता है। हमारा शरीर एक माध्यम है जिसके द्वारा ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। इसीलिये वैदिक दर्शन, साधकों के लिये जो आध्यात्मिकता के पथ पर आगे बढना चाहते हैं, पूर्ण स्वस्थ होने की आवश्यकता पर बल देता है। दैनिक जीवन के एक उदाहरण से यह बात स्पष्ट की जा सकती है। मान लो हमें ’अ‘ स्थान से ’ब‘ स्थान तक की यात्रा करनी है।अगर वाहन चालू व बिलकुल ठीक हालत में है तो वह स्थान ’ब‘ तक हमें जल्दी और सुविधापूर्वक पहुँचायेगा बजाय उस वाहन के जो बुरी हालत में है। संक्षेप में, आध्यात्मिक प्रगति के लिये पूर्ण रूप से स्वस्थ होना पहली आवश्यकता है। सिद्धयोग का नियमित अभ्यास ठीक यही करता है वह हमें सबसे पहले पूर्ण रूप से स्वस्थ करता है। गुरु श्री रामलाल सियाग को गायत्री और क्रष्ण दोनो की सिद्धि है.गुरुजी शक्तिपात दीक्षा से रोगी की कुंडलिनी शक्ति जागृत कर देते हैं.जैसे कुण्डलनी शक्ति उपर की और जाती है,रोगी को के सारे रोगो का नाश हो जाता है. गुरु सियाग योग के आम फायदे 1.किसी भी प्रकार कि शारीरिक बीमारी जैसे- एड्स, केंसर, अस्थमा, ब्लड प्रेशर, आर्थराइटिस, शुगर, हेमोफीलिया आदि से मुक्ति सम्भव. 2.किसी भी प्रकार की लत जैसे – ड्रग्स, शराब, अल्कोहल, बीडी, सिगरेट, पान, गुटका – तम्बाकू आदि से बिना परेशानी छुटकारा सम्भव. 3.किसी भी प्रकार के मानसिक चिंता, डिप्रेशन, तनाव या बीमारी से मुक्ति सम्भव. 4.चिंता जैसे- पारिवारिक, नौकरी, शादी, शिक्षा आदि जैसी समस्यायों से छुटकारा. 5.व्यक्तित्व का विकास, आत्मविश्वास एवं याद्दाश्त में अभूतपूर्व वृद्धि 6.विद्यार्थियों की छिपी हुई क्षमतायें सामने आती हैं. ध्यान का तरीका सर्वप्रथम आरामदायक स्थिति में किसी भी दिशा की ओर मुँह करके बैठें। दो मिनट तक सद्गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग के चित्र को खुली आँखों से ध्यानपूर्वक देखें। यदि आप किसी बीमारी, नशे या अन्य परेशानी से पीडत हैं, तो गुरुदेव से, उससे, मुक्ति दिलाने हेतु अन्तर्मन से करुण पुकार करें। मन ही मन १५ मिनट के लिये गुरुदेव से अपनी शरण में लेने हेतु प्रार्थना करें। उसके बाद आंखें बन्द करके आज्ञा चक्र (भोंहों के बीच) जह बिन्दी या तिलक लगाते हैं, वहाँ पर गुरुदेव के चित्र का स्मरण करें। इस दौरान मन ही मन गुरुदेव द्वारा दिए गए मंत्र का मानसिक जाप बिना जीभ या होठ हिलाये करें। ध्यान के दौरान शरीर को पूरी तरह से ढीला छोड दें, आँखें बन्द रखें, चित्र ध्यान में आये या न आये उसकी चिन्ता न करें। मन में आने वाले विचारों की चिन्ता न करते हुए मानसिक जाप करते रहें। ध्यान के दौरान कम्पन, झुकने, लेटने, रोने, हंसने, तेज रोशनी या रंग दिखाई देने या अन्य कोई आसन, बंध, मुद्रा या प्राणायाम की स्थिति बन सकती है, इससे घबरायें नहीं, इन्हें रोकने का प्रयास न करें। यह मातृशक्ति कुण्डलिनी शारीरिक रोगों को ठीक करने के लिये करवाती है। समय पूरा होने के बाद आप ध्यान की स्थिति से सामान्य स्थिति में आ जायेंगे। योगिक क्रियायें या अनुभूतियां न होने पर भी इसे बन्द न करें। रोजाना सुबह-शाम ध्यान करने से कुछ ही दिन बाद अनुभूतियां होना प्रारम्भ हो जायेंगी। ध्यान करते समय मंत्र का मानसिक जाप करें तथा जब ध्यान न कर रहे हों तब भी खाते-पीते, उठते-बैठते, नहाते धोते, पढते-लिखते, कार्यालय आते जाते, गाडी चलाते अर्थात हर समय ज्यादा से ज्यादा उस मंत्र का मानसिक जाप करें। दैनिक अभ्यास में १५-१५ मिनट का ध्यान सुबह-शाम करना चाहिये। गुरु सियाग योग अन्य फायदे आध्यात्मिकता के पूर्ण ज्ञान के साथ भूत तथा भविष्य की घटनाओं को ध्यान के समय प्रत्यक्ष देख पाना सम्भव। ध्यान के दौरान भविष्य की घटनाओं का आभास होने से मानसिक तनावों से मुक्ति एकाग्रता एवं याद्दाश्त में अभूतपूर्व वृद्धि। साधक को उसके कर्मों के उन बन्धनों से मुक्त करता है जो निरन्तर चलने वाले जन्म-मृत्यु के चक्र में उसे बांध कर रखते हैं। तामसिक वृत्ति के शान्त होने से मानव जीवन का दिव्य रूपान्तरण। साधक को उसकी सत्यता का भान एवं आत्मसाक्षात्कार कराता है। गृहस्थ जीवन में रहते हुए आध्यात्मिक विकास । साधना करने के लिए घर या नौकरी छोड़ने की जरूरत नहीं. कोई भी खान-पान या रहन-सहन बदलने की जरूरत नहीं. गुरु सियाग के द्वारा सिद्ध योग दर्शन की जानकारी एवं ऑनलाइन शक्तिपात दीक्षा http://www.the-comforter.org/Hindi/siddha-Yoga-philosophy-and-online-initiation.html मन्त्रा केवल गुरुजी की आवाज मे ही सुनना है. हम किसी को भी मन्त्रा नही बता सकते . अक्सर पूच्छे जाने वाले प्रश्न? इस योग का उद्देश्य क्या है? मानवता का आध्यात्मिक विकास एवं दिव्य रूपान्तरण। क्या सिद्धयोग निःशुल्क है? हाँ, सिद्धयोग पूर्णतः निःशुल्क है। रहने का क्या तरीका व दिनचर्या अपनानी होगी? आपको अपने वर्तमान रहने के तरीके या दिनचर्या में कोई परिवर्तन नहीं करना है और न आपको रहने का कोई नया तरीका अपनाना है। जो कुछ आप ध्यान आरम्भ करने से पहले कर रहे थे, उसे जारी रखें। क्या मुझे किसी प्रकार की कसरत करनी है? नहीं, आपको किसी प्रकार की कसरत नहीं करनी है। वे क्रियायें जो आफ शरीर के लिये आवश्यक हैं, वह ध्यान के दौरान स्वतः होंगी। सामूहिक दीक्षा कार्यक्रम में आने के लिए कोई ड्रेस कोड है क्या? नहीं जी.एस.एस.वाई. के लिए क्या कोई पूर्व-ज्ञान या वेदों की जानकारी आवश्यक है? बिलकुल भी नहीं. सूर्य, बदल, हवा आदि अनपढ़ और साइंटिस्ट, दोनों को सामान लाभ देते हैं. जरूरत है तो केवल इच्छा-शक्ति की. क्या ध्यान का एक खास या उपयुक्त समय है? नहीं, ध्यान आप किसी भी समय, जो आपको सुविधाजनक हो कर सकते हैं। ध्यान के लिये कोई तयशुदा या उपयुक्त समय नहीं है। मुझे ध्यान कितनी देर तक करना है? आरम्भ करने वालों के लिये, गुरू सियाग १५ मिनट के ध्यान की राय देते हैं। एक दिन में मुझे कितनी बार ध्यान करना चाहिए? कोई निश्चित संख्या नहीं है। फिर भी गुरू सियाग शिष्यों को एक दिन में दो बार ध्यान करने की राय देते हैं। ध्यान के समय क्या-क्या अनुभव हो सकते हैं? बहुत से साधक स्वतः होने वाली यौगिक क्रियायें या शारीरिक हलचल महसूस करते हैं जैसे हिलना डुलना, आगे या पीछे की ओर झुकना, इधर से उधर सिर का हिलाना, पेट का आगे की ओर फूलना या अन्दर की ओर पिचकना, हाथों की असंयमित गति, फर्श पर दण्डवत् लेट जाना, ताली बजाना, हंसना, रोना और चिल्लाना आदि। कुछ ध्यान के दौरान ऐसे हावभाव बनाते हैं जैसे ईश्वर की आराधना कर रहे हों, कुछ को दिव्य तेज प्रकाश दिखलाई पडता है या सुगन्ध आती है अथवा ध्वनि या नाद सुनाई देता है। ऐसे दृश्य दिखलाई पडते हैं जो या तो पूर्व में घट चुके हैं या भविष्य में वह घटनायें घटित होंगीं। ध्यान के दौरान बहुत से साधकों को अत्यधिक खुशी एवं उल्लास का अनुभव होता है जो उन्होंने इससे पूर्व पहले कभी अनुभव नहीं किया होता है। कईयों को शरीर के विभिन्न हिस्सों ने वाइब्रेशन्स महसूस होते हैं. क्या हमें ध्यान पर बैठने से पहले अलार्म लगा लेना चाहिए? नहीं, ध्यान पर बैठने से पहले मन ही मन १५ मिनट या जितने समय के लिये आप ध्यान करना चाहते हैं, उतने समय के लिये गुरुदेव से अपनी शरण में लेने हेतु प्रार्थना करें । आपका ध्यान स्वतः ही उतने समय बाद हट जायेगा। अगर कोई बात अचानक मेरा ध्यान चाहती है तो क्या मैं ध्यान के मध्य में उठ सकता हूँ? हाँ आप उठ सकते हैं, अपना कार्य समाप्त करें और तब पुनः ध्यान के लिये बैठें। क्या मैं खाने के बाद ध्यान कर सकता हूँ? तत्काल नहीं, ३-४ घन्टे गुजर जाने दें तब ध्यान करें। भरे पेट ध्यान न करें। ध्यान करने हेतु मैं कहां बैठ सकता हूँ? कहीं भी, वैसे तो आपको फर्श पर बैठ कर ध्यान करना चाहिये, लेकिन आप परिस्थिति के अनुसार कुर्सी के ऊपर, सोफे, या बिस्तर पर बैठकर भी ध्यान कर सकते हैं। किस दिशा की ओर मुँह करके बैठें? किसी भी दिशा की ओर, जो आपको सुविधाजनक हो। ध्यान के लिये क्या एकान्त में बैठना आवश्यक है? नहीं, एक बार जब आपको ध्यान की आदत पड जायेगी, यह आप भीड भरे स्थानों में भी कर सकते हैं। क्या मैं दूसरे व्यक्तियों के साथ एक समूह में ध्यान कर सकता हूँ? हाँ। ध्यान करने योग्य होने के लिये क्या उम्र होनी चाहिए? कोई भी ५ वर्ष या इससे ज्यादा का ध्यान कर सकता है। इसका मतलब है बालक, युवा, अधेड उम्र या बुजुर्ग ध्यान कर सकते हैं। ध्यान करने के लिये क्या मुझे एक खास तरह के कपडे पहनने होंगे? नहीं, जब ध्यान करें आप जो भी चाहें पहन सकते हैं। क्या मैं किसी को गुरुसियाग सिद्धयोग की सिफारिश कर सकता हूँ? हाँ। क्या मैं किसी और के लिये भी ध्यान कर सकता हूँ? हाँ, आप उस व्यक्ति के लिये ध्यान कर सकते हैं जो आफ दिल के बहुत करीब हो, जिसके बारे में आप बहुत चिन्ता करते हों, अगर वह किसी कारणवश ध्यान करने योग्य न हो, उदाहरणार्थ- एक बच्चा, एक बेहोश व्यक्ति और कोई जो- आध्यात्मिकता के खिलाफ हो। जब मैं ध्यान न कर रहा होऊँ मुझे क्या करना चाहिए? आप गुरू सियाग द्वारा दिये गये मंत्र का जाप २४सों घन्टे (अर्थात अधिक से अधिक) करें। जाप इस रास्ते पर तेजी से आगे बढने की चाबी है। मंत्र-जप काम करते, खाते-पीते, घूमते-फिरते, नहाते-धोते, ड्राइविंग करते, फ्रेश होते, मतलब ३० सों दिन हर समय, कहीं भी किया जा सकता है. मंत्र-जप कब तक करना होगा? लगातार कुछ समय तक जपने के बाद यह अ-जप जाप बन जाता है, यानि मंत्र बिना जपे अपने आप जपा जाता है. निर्भर करता है कि आप कितनी लगन से कर रहे हैं. उतना ही जल्दी अजपा शुरू हो जायेगा. आपको अजपा शुरू होने कि चिंता किये बिना पूरे मन से जाप करना है. जब ध्यान कर रहा होऊँ मुझे दिमाग में क्या रखना चाहिए? केवल दो चीजें, गुरू सियाग के चित्र पर ध्यान केन्द्रित करें तथा खामोशी के साथ मंत्र का जाप करें, अगर आप दीक्षित नहीं है तो किसी अन्य ईश्वरीय नाम का जाप करें। अगर मैंने ध्यान करना आरम्भ कर दिया है और फायदे अनुभव कर रहा हूँ, क्या फिर भी गुरू सियाग से मिलने के लिये आना होगा? जरूरी नहीं. दीक्षा कार्यक्रम किस भाषा में सम्पन्न होते हैं? दीक्षा कार्यक्रम पूर्ण रूप से हिन्दी में होते हैं, फिर भी विदेशी नागरिकों के लिये जिन्हें अनुवाद की आवश्यकता है, व्यवस्था की जायेगी। क्या मुझे दीक्षा प्राप्त करने के लिये अनुमति लेनी होगी? भारतीय नागरिक साधारण दीक्षा कार्यक्रमों में भाग ले सकते हैं। विदेशी नाà Share Recommended section दांतों की संख्या बताती है कैसा होगा आपका भविष्य “बुरे परिणाम वाले लव मैरेज़” को रोकने के शास्त्रीय उपाय अपनी राशि के लिहाज से चुनते हैं ड्रेस? वास्तु शास्त्र के अनुसार चुनें फर्श का पत्थर ध्यान है आध्यात्मिक Popular section पेट होगा अंदर, कमर होगी छरहरी अगर अपनायेंगे ये सिंपल नुस्खे एक ऋषि की रहस्यमय कहानी जिसने किसी स्त्री को नहीं देखा, किंतु जब देखा तो... किन्नरों की शव यात्रा के बारे मे जानकर हैरान हो जायेंगे आप कामशास्त्र के अनुसार अगर आपकी पत्नी में हैं ये 11 लक्षण तो आप वाकई सौभाग्यशाली हैं ये चार राशियां होती हैं सबसे ताकतवर, बचके रहना चाहिए इनसे Go to hindi.speakingtree.in

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