Tuesday, 28 February 2017

शांडिल्य

शांडिल्य

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शांडिल्य नाम गोत्रसूची में है, अत: पुराणादि में शांडिल्य नाम से जो कथाएँ मिलती हैं, वे सब एक व्यक्ति की नहीं हो सकतीं। छांदोग्य और बृहदारण्यक उपनिषद् में शांडिल्य का प्रसंग है। पंचरात्र की परंपरा में शांडिल्य आचार्य प्रामाणिक पुरुष माने जाते हैं। शांडिल्यसंहिता प्रचलित है; शांडिल्य भक्तिसूत्र भी प्रचलित है। इसी प्रकार शांडिल्योपनिषद् नाम का एक ग्रंथ भी है, जो बहुत प्राचीन ज्ञात नहीं होता।

युधिष्ठिर की सभा में विद्यमान ऋषियों में शांडिल्य का नाम है। राजा सुमंतु ने इनको प्रचुर दान दिया था, यह अनुशासन पर्व (137। 22) से जाना जाता है। अनुशासन 65.19 से जाना जाता है कि इसी ऋषि ने बैलगाड़ी के दान को श्रेष्ठ दान कहा था।

शांडिल्य नामक आचार्य अन्य शास्त्रों में भी स्मृत हुए हैं। हेमाद्रि के लक्षणप्रकाश में शांडिल्य को आयुर्वेदाचार्य कहा गया है। विभिन्न व्याख्यान ग्रंथों से पता चलता है कि इनके नाम से एक गृह्यसूत्र एवं एक स्मृतिग्रंथ भी था।

शाण्डिल्य ऋषि के १२ पुत्र थे जो इन १२ गाँवो में प्रभुत्व रखते थे

१ सांडी २ सोहगौरा ३ संरयाँ ४ श्रीजन ५ धतूरा ६ भगराइच ७ बलुआ ८ हरदी ९ झूड़ीयाँ १० उनवलियाँ ११ लोनापार १२ कटियारी

इन्हे आज बरगाव ब्राम्हण के नाम से भी जाना जाता है

उपरोक्त बारह गाँव के चारो तरफ इनका विकास हुआ है ! ये कान्यकुब्ज ब्राम्हण है! इनका गोत्र श्री मुख शाण्डिल्य - त्रि - प्रवर है, श्री मुख शाण्डिल्य में घरानो का प्रचलन है, जिसमे राम घराना, कृष्ण घराना, मणि घराना है ! इन चारो का उदय सोहगौरा, गोरखपुर से है, जहा आज भी इन चारो का अस्तित्व कायम है

यही विश्व के सर्वोत्तम श्रेष्ठ उच्च कुलीन ब्राम्हण कहलाते है इनके वंशज समय के साथ भारत के विकास के लिए लोगो को शिक्षित करने ज्ञान बाटने के उद्देश्य से भारत के विभिन्न क्षेत्रो में जा कर बस गए और वर्तमान में भारत के विभिन्न क्षेत्रो में निवास करते है

इनमे से धतूरा ब्राम्हण के वंशज छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के तिल्दा तहसील के ताराशिव नामक ग्राम में निवास करते है जिनमे स्वर्गीय पंडित हीरालाल तिवारी जी के सुपुत्र स्वर्गीय पंडित श्री लखनलाल तिवारी जी हुए एवं उनके सुपुत्र श्री तेजेन्द्र प्रसाद तिवारी एवं उनके सुपुत्र श्री हितेन्द्र तिवारी जी है जिनकी ख्याति चारो ओर है

चूकि ये ऋषि धतूरा के वंशज है एवं धतुरिया ग्राम के वासी थे अतः इन्हे धतुरिया तिवारी भी कहते है। धतूरा ब्राह्मणों के वंशज पलामू जिले के तोलरा गांव में भी हैं। यहां तिवारी श्री बीसा राम जी के वंशज हैं जिनके आराध्य शोखा सोमनाथ हैं. इस मे पाण्डेय का भी समावेश है

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