मन्त्र तथा साधनाएं
एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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JUL
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शिवलिंग की महिमा
भगवान शिव के पूजन मे शिवलिंग का प्रयोग होता है।शिवलिंग के निर्माण के लिये स्वर्णादि विविध धातुओं,मणियों, रत्नों, तथा पत्थरों से लेकर मिटृी तक काउपयोग होता है।इसके अलावा रस अर्थात पारे कोविविध क्रियाओं से ठोस बनाकर भी लिंग निर्माण कियाजाता है,
इसके बारे में कहा गया है कि,
मृदः कोटि गुणं स्वर्णम, स्वर्णात्कोटि गुणं मणिः,
मणेः कोटि गुणं बाणो, बाणात्कोटि गुणं रसः
रसात्परतरं लिंगं न भूतो न भविष्यति ॥
अर्थात मिटृी से बने शिवलिंग से करोड गुणा ज्यादा फलसोने से बने शिवलिंग के पूजन से, स्वर्ण से करोड गुणाज्यादा फल मणि से बने शिवलिंग के पूजन से, मणि सेकरोड गुणा ज्यादा फल बाणलिंग से तथा बाणलिंग सेकरोड गुणा ज्यादा फल रस अर्थात पारे से बने शिवलिंगके पूजन से प्राप्त होता है। आज तक पारे से बनेशिवलिंग से श्रेष्ठ शिवलिंग न तो बना है और न ही बनसकता है।
शिवलिंगों में नर्मदा नदी से प्राप्त होने वाले नर्मदेश्वरशिवलिंग भी अत्यंत लाभप्रद तथा शिवकृपा प्रदान करनेवाले माने गये हैं। यदि आपके पास शिवलिंग न हो तोअपने बांये हाथ के अंगूठे को शिवलिंग मानकर भीपूजन कर सकते हैं ।
शिवलिंग कोई भी हो जब तक भक्त कीभावना का संयोजन नही होता तब तकशिवकृपा नही मिल सकती।
Anil Shekhar द्वारा 22nd July 2016 पोस्ट किया गया
लेबल: शिव shiv
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