Tuesday, 28 February 2017

ऋषि गौतम

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महर्षि गौतम

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महर्षि गौतम बहुत तपस्वी थे और सप्तृषियों में से एक हैं. वैसे वो सप्तऋषि मंडल में रहते हैं परन्तु तपस्या और कर्म करने के लिये पृथ्वी या मृत्युलोक पर ही आना होता है. इसलिये उच्च कोटी के सिद्ध और संत या देवता आदि भी पृथ्वी पर आते रहते हैं. उन दिनों गौतम त्रयम्बेश्वर नामक स्थान पर आश्रम बना के तप किया करते थे. तपस्या के बल पर उनके कई पुण्य पहले से ही थे. उन्हीं दिनों एक समय पृथ्वी लोक का एक राजा अपने पुण्यों और अपने प्रारब्ध से स्वर्ग  का राजा इंद्र बना. (इंद्र एक पद है इस पर अपने पुण्य प्रभावों से कई लोग समय-समय पर आते हैं) उस वक्त के इस इंद्र को लगा कि गौतम हमेशा तपस्या में लीन रहते है, ऐसा न हो कि जल्दी ही ये मेरा स्वर्ग में स्थान ले लें और इसी सोच विचार में तथा स्वर्ग के लालच में अपने पुण्यों को क्षीण करता हुआ वो षड्यंत्र रचने लगा. अपना रूप बदल–बदल के इस इंद्र ने पहले महर्षि गौतम के विरोधी उन शिष्यों, ब्राह्मणों को अपनी तरफ कर लिया, जो उनके  आश्रम में क्षिक्षा प्राप्ति के समय असफल (फेल) हो गये थे फिर उनको गौतम के विरुद्ध उकसाया और किसी तरह उनको गौतम के विरुद्ध तैयार कर लिया. छल और कपट के द्वारा महर्षि को बदनाम करने के लिये, एक दिन एक गाय और उसके मरे हुए बछडे को सहारा देक उनके आश्रम के बगीचे में खडा करवा दिया और अन्य दुष्टों को आश्रम के आस पास छुपा दिया. महर्षि अपने ध्यान से ऊठे और देखा उनके बगीचे में गौ चर रही है तो उन्होने प्रेम पूर्वक उस गौ को बगीचे से बाहर किया और फिर उस बछडे को बाहर करने के लिये जैसे ही महर्षी ने उस बछ्डे को हाथ लगाया वो गिर गया और तभी एक दुष्ट व्यक्ति बाहर आया और महर्षि को बोला यह उसकी गौ है शायद चारा खाने के लिये यहाँ तक आ गई थी और फिर बछ्डे कि ओर देखकर बोला आपने मेरी गौ के बछ्डे को मार डाला. मुनि ने कहा यह बछडा कैसे इतनी जल्दी मर सकता है पहले खडा था. तभी आस पास छुपे हुये कुछ और दुष्ट जन बाहर आके बोले अरे क्या हुआ और फिर जान बुझकर कहने लगे मुनिवर आपने बछ्डे को मार डाला. इसके बाद कुछ लोग और आये बोले मुनिवर यह हो सकता है आप की तपस्या शक्ति के चलते बछ्डा मर गया हो. आप ही तो कहा करते थे अपने शिष्यों से कि मंत्र शक्ति अगर अपने नियंत्रण के बाहर हो जाए तो वो खतरा बन सकती है. महर्षि गौतम के पास कुछ भी बोलने के लिये या समझाने के लिये कुछ नहीं था क्युंकि किसि को समझना नहीं था. इसके बाद उन कपटी लोगों ने सब जगह गलत सूचना फैलाने का काम किया कि मुनि की तपस्या के चलते और शक्ति के गलत प्रयोग से ही लगता है उनके आश्रम में गाय का बछडा मर गया अत: मुनि को गौ हत्या का पाप लगता है. समाज के सभी पढे लिखे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र सभी आ गये बोले मुनिवर अब आप गो हत्या के पापी हैं नहीं तो आप स्वंय को सही सिद्ध किजिए. मुनि ने योगबल से ध्यान लगाकर जान लिया कि ये ईर्ष्यालु प्रवर्त्ति के कुटिल अर्धक्षिक्षित  ब्राह्मणों और इंद्र की चाल है गौ हत्या हुई नहीं है. इसलिये गौ हत्या का पाप ही नहीं बनता है परन्तु फिर भी उन्होंने पतित पावनी गंगा जी का अपने तपोबल से आह्वान किया. गंगा ने आकाशवाणी द्वारा स्वय्ं कहा कि महर्षि गौतम आपका कोई पाप ही नहीं है जिसे धोने के लिये आपने मुझे आह्वान किया है. ऋषि ने गंगा जी को अपने आश्रम में प्रकट होने और बने रहने की प्रार्थना की, तब गंगा जी नदी के रूप में मुनि के आश्रम  के निकट प्रकट हो गई जो गोदावरी नाम से जानी गई. इसके उपरांत सभी लोग चुप हो गये और महर्षि के योगबल और तपस्या के आगे नतमस्तक हो गये. इसके उपरांत महर्षि गौतम ने वहाँ आये  सभी ब्राह्मणों को श्राप दे दिया कि तुम लोग गायत्री मंत्र विहीन हो जाओगे क्युँकि इस दुष्टकार्य में तुम लोगों ने भी कुटिल लोगों का साथ दिया है. इंद्र उस वक्त बच गया क्युँकि वो अप्रत्यक्ष रूप में शामिल था. इसके कुछ समय बाद इंद्र ने फिर से एक बार कुटिलता दिखाई. उसे अपने अनुचरों से पता चला और चर्चा सुनी कि गौतम की पत्नी अहिल्या जैसी सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सुंदर स्त्री कोई और नहीं है अब ये मूर्ख इंद्र जो कुछ समय तक ही उस पद पर रहने वाला है वो सोचता है कि किसी तरह से अहिल्या को अगर वो स्वर्ग में लेकर छुपा दे तो तपस्वी गौतम तपस्या के बजाय अपनी पत्नी को खोजने में लग जाएंगे पर खोज नहीं पायेंगे और इस तरह से फिर तप नहीं कर पाएंगे और इससे वो अधिक पुण्य प्राप्त नहीं कर सकेंगे और मैं लम्बे समय तक इंद्रपद पर बना ही रहुंगा. स्वर्ग में इंद्र पद पर बने रहने का लालच उस इंद्र को अहिल्या जैसी पतिव्रता और तपस्वी  देवि को छलपूर्वक स्वर्ग में लाने की योजना बनाने को मजबूर किया. इस इंद्र को पता था कि अहिल्या पतिव्रता स्त्रियों में भी सर्वोपरि है इसलिये वो महर्षी गौतम के अतिरिक्त अन्य किसी के आदेश भी पालन नहीं करेगी. तब इंद्र ने अपनी कुटिलता से एक देवता को गौतम ऋषी पर निगरानी रखने को कहा और यह सूचना देने को कहा कि गौतम दिन में कब क्या करते हैं क्या उनकी दिनचर्या है? सारी सूचनांए एकत्र कर उस इंद्र ने अपनी योजना बनाई कि जब गौतम नदी स्नान के लिये जाएंगे, उस समय पर वो गौतम का वेश धारण कर के जाएगा और अहिल्या को स्वर्ग चलने को कहेगा. इस तरह अपना पति समझ कर वो उसके पीछे पीछे आ जाएगी और गौतम अपनी तपस्या को छोड कर अपनी पत्नी की खोज में इधर ऊधर व्यस्त हो जाएंगे इससे उसके स्वर्ग पर गौतम अपनी तपस्या के बल पर अधिकार नहीं कर पाएंगे और वो लम्बी अवधी तक इंद्र बना रहेगा. इस योजना को सफल बनाने के लिये इंद्र ने एक दिन प्रात: एक देवता को मूर्गा बनकर गौतम ऋषी के आश्रम में समय से पहले भोर हो जाने की सूचना देने को कहा. वह देवता मूर्गा बनकर भोर होने की सूचना दिया. गौतम नदी स्नान को निकले और तभी  इंद्र ने रूप बदल कर गौतम के वेश में आश्रम में प्रवेश किया और अहिल्या को तुरंत उसके पीछे चलने को कहा. अहिल्या आदेश का पालन करने के लिये हाथ मुँह धोने के लिये चली गई. इंद्र भय और घबराहट से पसीना-पसीना हो रहा था, वो झोपडी के बाहर आया तभी असली गौतम अपने कुटिया में वापस आ गये, क्युँकि थोडी दूर मार्ग़ में जाने पर उन्हें तारों और चंद्रमा की गति देख मालूम हुआ कि भोर होने में काफी समय है अभी तो अर्धरात्री है. आश्रम के बाहर उन्हें इंद्र दिखाई दिया जो उनका वेश धारण करके भय और घबराहट में खडा था. गौतम ने अपने तपोबल से जान लिया इंद्र उनका वेश रखकर अहिल्या को स्वर्ग में छिपाना चाहता है उन्होंने इंद्र को श्राप दे दिया. स्वर्ग में इस इंद्र की सम्पूर्ण किर्ति नष्ट हो गई, तभी अहिल्या बाहर आ गई और बोली चलिये लेकिन अचानक देखा तो, दो-दो गौतम एक की आँख में भय और दूसरे के क्रोध. इस बात के लिये अहिल्या कपटी इंद्र को न पहचान सकी महर्षि ने अहिल्या को भी श्राप दे दिया और कहा कि तुम्हारी बुद्धि भी जड हो चुकी है जो इस कपटी को न पहचानने की भूल की इसलिये तुम भी जड हो जाओ पत्थर की शिला की तरह और शिला जैसे रूप से स्वय्ं श्री हरि जब राम रूप में अवतार लेंगे तब वो ही तुम्हारा उद्धार करंगे.

[ महर्षि गौतम की यह तर्क संगत कथा ‘’प्रबोध शक्ति’’ [‘’PRABODH SHAKTI’’  by Shri Chandra Shekhar Pant से ली गई है इंद्र द्वारा बलात्कार जैसी निंदनीय घटना सम्भव नहीं लगती है. पद के लालच और उस पर बने रहने की लालसा के चलते ही वो महर्षि गौतम को तपस्या के मार्ग  से विमुख रखने की कोशिस किया ] 

संवाद

Last edited 1 month ago by Sanjeev bot

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