Saturday, 7 April 2018

सुषुम्ना क्रिया योग

English | Hindi होम पेज क्रिया योग सुषुम्ना क्रिया योग ध्यान के बारे में क्रिया योग के सबसे महान आध्यात्मिक गुरु परम गुरु श्री श्री श्री महावतार बाबाजी के अवतार लेने से पहले यह क्रिया बहुत सावधानी से छिपाकर एकदम गुप्त रखी जाती थी और केवल गुरु से शिष्य को ही स्थानांतरित होती थी. यह प्रथा हिमालय में रहने वाले कुछ चुनिंदा योगियों और उनकी गुरु-शिष्य परंपरा (परिवार) तक ही सीमित थी. इसके लिए अत्यधिक उच्च कोटि की सहनशीलता और एक ही आसन में घंटों की साधना की आवश्यकता होती थी. महावतार बाबाजी ने क्रिया योग की शुरुआत परम गुरू श्री श्री श्री भोग सिद्धर जी की देखरेख में की. उन्होंने क्रिया योग को पीड़ित मानवता और सम्पूर्ण मानव जाति के द्वार तक पहुँचाने का बीड़ा उठाया. उन्होंने अपने अनेक भक्तों और चाहने वालों को क्रिया योग की साधना करवाई और वे क्रिया योग परंपरा के आदर्श माने जाते हैं. महावतार बाबाजी के परम गुरू श्री श्री श्री भोग सिद्धर (आध्यात्मिक गुरु) जी की आज्ञा से बाबाजी ने समय की मांग के अनुसार क्रिया योग को और अधिक सरल बनाया और ऐसे आम गृहस्थों और शहरी लोगों के लिए, जो अपने परिवारों तथा सांसारिक कर्तव्यों को छोड़कर हिमालय जैसी सुनसान जगहों पर जाने में असमर्थ थे, इसे सामान्य रूप से सुलभ बना दिया, ताकि वे लोग भी इस सदियों पुरानी क्रिया योग तकनीक से लाभ प्राप्त कर सकें. क्रिया योग के सबसे पुराने साधकों में श्री आदि शंकराचार्य, कबीर दास, शिरडी के साईं बाबा और लहरी महाशय जैसे महान विद्वान शामिल हैं. 19 वीं सदी के बाद से ऐसा हुआ कि विश्व भर में कुछ हजार लोगों को क्रिया योग के बारे में जानने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, जो कि मुख्यतः बाबाजी के शिष्य श्री लहरी महाशय और उनके बाद के शिष्यों के माध्यम से संभव हो पाया. लेकिन क्रिया योग का यह तरीका भी लोगों की तत्कालीन पीढ़ी के लिए अभ्यास करने में कठिन / तकलीफदेह साबित हुआ, क्योंकि इसके केवल एक ही सत्र में लगभग तीन घंटे अभ्यास की आवश्यकता होती थी, जिसमें आसन, प्राणायाम तकनीक और ध्यान शामिल थे. ऐसे समय में परम गुरू श्री श्री श्री भोग सिद्धर जी ने, जो 12,000 (बारह हजार) वर्षों तक जीवित रहे, पूज्य श्री आत्मानंदमयी माताजी को क्रिया योग और उसके सार के ज्ञान का प्रसार करने के लिए चुना और उनके द्वारा क्रिया योग के ज्ञान का जिज्ञासु और योग्य मानव जाति के लिए वर्ग, संस्कृति, जाति और धर्म के आधार पर कोई भेदभाव किये बिना दुनिया भर में प्रसार किया. 7 सितंबर 2005 को विनायक चौथी (चतुर्थी) के शुभ दिन पर ब्रह्म मुहूर्त (तड़के) में जब माताजी ध्यान में लीन थीं, तब गुरुओं ने उन्हें प्रेरणा देकर एक नई तकनीक, जिसे सुषुम्ना क्रिया योग कहा जाता है, का ज्ञान प्रदान किया. श्री कृष्ण अर्जुन को क्रिया योग का शिक्षण देते हुए - भगवतगीता 2018 © Divya Babaji Kriya Yoga Foundation. ALL Rights Reserved. Privacy Policy | Terms of Service

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