Saturday, 7 April 2018
युवा बनाए रखती है अश्विनी मुद्रा
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आपको युवा बनाए रखती है अश्विनी मुद्रा
नवभारत टाइम्स | Updated May 13, 2017, 01:54 PM IST
अश्विनी मुद्रा के बारे में बताते हुए लाइफ गुरु सुरक्षित कहते हैं कि जैसे अश्व (घोड़ा) लीध करने के बाद अपने गुदाद्वार को बार-बार सिकोड़ता ढीला करता है, उसी प्रकार गुदाद्वार को सिकोड़ना और फैलाने की क्रिया को ही अश्विनी मुद्रा कहते हैं। घोड़े में इतनी शक्ति और फुर्ती का रहस्य यही मुद्रा है।
इसलिए इंजन की ताकत अश्व शक्ति (हॉर्स पावर) से मापी जाती है। यह ऐंटी ग्रेविटी अभ्यास है। इससे शरीर को चलाने वाली ऊर्जा बढ़ती है। सभी अंगों को बल मिलता है, शरीर की ताकत बढ़ती है, नपुंसकता दूर होकर पौरुष शक्ति बढ़ने लगती है। हृदय को बल देने वाली यह क्रिया हर्निया, मूत्र दोष, गुदा सम्बन्धी रोग, बवासीर, कब्ज व स्त्री रोगों में बड़ी उपयोगी है। इसके अभ्यास से मूलाधार चक्र में स्थित कुण्डलिनी शक्ति जागने लगती और हमें लम्बे समय तक युवा बनाए रखती है।

विधि : आराम से किसी ध्यानात्मक आसन में आंख बंदकर बैठ जाएं, दोनों हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रख लें। सांस की गति को सामान्य करें। अब सांस को बाहर निकालें और पेट को अंदर की ओर खींचकर ध्यान को गुदा द्वार या मल त्याग स्थान पर लाकर अनस मसल्स को ऊपर की ओर खींचे व ढीला छोड़े। यह प्रक्रिया लगातार करते रहें। इसके बाद फिर सांस भरें और सांस बाहर छोड़कर फिर से इसका अभ्यास करें। यथाशक्ति इसका अभ्यास करें। इस अभ्यास को सौ बार तक किया जा सकता है।
Web Title: aswini mudra is the key to keep you young
(Hindi News from Navbharat Times , TIL Network)
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