Friday, 6 April 2018

शक्ति चलन क्रिया

 Tantra Marg शक्तिचालिनी मुद्रा  tantramarg 12 months ago Advertisements   शक्तिचालिनी मुद्रा ============ आठ अंगुल लंबा और चार अंगुल चौड़ा मुलायम वस्त्र लेकर नाभि पर लगाएं और कटिसूत्र में बांध लें| फिर शरीर में भस्म रमाकर सिद्धासन में बैठें और प्राण को अपान से युक्त करें| जब तक गुह्य द्वार से चलती हुई वायु प्रकाशित न हो, इस समय तक गुह्य द्वार को संकुचित रखें| इससे वायु का जो निरोध होता है, उसमें कुम्भक के द्वारा कुण्डलिनी शक्ति जाग्रत होती हुई सुषुम्ना मार्ग से ऊपर जाकर खड़ी हो जाती है| योगमुद्रा से पहले इसका अभ्यास करने पर ही योनि मुद्रा की पूर्ण सिद्धि होती है| इस मुद्रा से कुण्डलिनी शक्ति का जागरण होता है| जब तक यह सोती है, तब तक सभी आंतरिक शक्तियां सुप्त पड़ी रहती हैं| इसलिए कुण्डलिनी का जाग्रत होना साधक के लिए बहुत आवश्यक है| प्राण–अपान को संयुक्त करने की क्रिया प्राणवायु को पूरक द्वारा भीतर खींचने और उड्डीयान बंध से अपान वायु को ऊपर की ओर आकर्षित करने से पूर्ण होती है| इसमें गुह्य प्रदेश के संकोच और विस्तार का अभ्यास होने से अधिक सरलता हो सकती है|. Shakti Chalana Mudra –This mudra is practised to reach the spiritual high of the Kundalini practice of yoga. Sit in the Padmasana on a wooden plank. Make sure the place of practice is quiet and secluded. Inhale air forcibly and hold a tight Mula Bandha. Close the right nostril with the right fingers (Shanka Mudra).Now swallow the air like you are swallowing food and push it towards the naval. Do this swallowing 4 to 5 times. Exhale gently and relax in the Shavasana. BENEFITS: This mudra is practised to reach the spiritual high of the Kundalini Yoga practice. It improves the power of concentration and conquers lust, thus freeing the mind for higher spiritual practices.…………………………………………………………..हर–हर महादेव विशेष –रोग विशेष में प्रभावी हस्त मुद्रा ,तांत्रिक उपाय ,किसी प्रकार के वायव्य बाधा ,अभिचार ,किये कराये ,नकारात्मक उर्जा ,भूत-प्रेत बाधा ,पारिवारिक ,सामाजिक समस्या अथवा किन्ही विशिष्ट समस्या पर परामर्श हेतु – मो.न.-8299886532 ,समय -सायंकाल 5 से 7 बजे तक ,भारतीय समयानुसार | Advertisements  Categories: Yoga and Mudra Leave a Comment Tantra Marg Create a free website or blog at WordPress.com. Back to top Advertisements

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