Tuesday 20 June 2017

ये तपस्या क्या है ? त्रिकालदर्शी कैसे बने ? . पुराने जमाने मे ऋषि मुनि तपस्या किया करते थे आखिर वो तपस्या क्या है ? तपस्या 2 प्रकार की होती है । 1- योगिक तपस्या 2- मंत्र तपस्या योगिक तपस्या से ऋषि पहले शरीर के बारे मे जानता है । फिर शरीर के अंदर मोजूद 5 इंद्रियों , 5 प्राणो , 5 महाभूत , मन और बुद्धि को पहचानता है और फिर इनको अष्टांग योग से तपाता है । जब शरीर तप जाता है तो मन बुद्धि के उपर सवार होकर लोक लोकांतर की यात्रा करता है तथा प्रभु के इस विज्ञान को जानने की कोशिस करता है । तथा मनुष्य त्रिकालदर्शी हो जाता है । इस तपस्या मे बहुत समय की आवश्यकता होती है तथा शरीर को बहुत कष्ट सहना पड़ता है । . मंत्र तपस्या - इस तपस्या मे मनुष्य किसी भी ग्रह या देवता के मंत्र का जाप शुरू करता है तथा मंत्र का जाप त्रिनेत्र से प्रारम्भ किया जाता है । धीरे धीरे जो संकल्प मनुष्य जाप से पहले लेता है वही संकल्प लघु मस्तिक लेना शुरूकर देता है । और जो संकल्प आपने जप से पहले लिया है वही संकल्प एक निश्चित अवधि के बाद पूर्ण हो जाता है। यह तपस्या योगिक तपस्या के मुक़ाबले बहुत आसान होती है । मंत्र तपस्या से मनुष्य अपना कल्याण कर सकता है तथा योगिक तपस्या से मनुष्य सबका कल्याण कर सकता है । तथा सबको भगवान का रास्ता भी दिखा सकता है । योगिक तपस्या प्राप्त करने के बाद अगर योगी मोह , माया , धन और यश के लालच मे फंस जाता है तथा अपने स्वार्थ बस कोई काम करता है या अपनी पूजा करवाता है उस योगी की तपस्या अंत समय पर क्षीण हो जाती है ।

ये तपस्या क्या है ? त्रिकालदर्शी कैसे बने ? . पुराने जमाने मे ऋषि मुनि तपस्या किया करते थे आखिर वो तपस्या क्या है ? तपस्या 2 प्रकार की होती है । 1- योगिक तपस्या 2- मंत्र तपस्या योगिक तपस्या से ऋषि पहले शरीर के बारे मे जानता है । फिर शरीर के अंदर मोजूद 5 इंद्रियों , 5 प्राणो , 5 महाभूत , मन और बुद्धि को पहचानता है और फिर इनको अष्टांग योग से तपाता है । जब शरीर तप जाता है तो मन बुद्धि के उपर सवार होकर लोक लोकांतर की यात्रा करता है तथा प्रभु के इस विज्ञान को जानने की कोशिस करता है । तथा मनुष्य त्रिकालदर्शी हो जाता है । इस तपस्या मे बहुत समय की आवश्यकता होती है तथा शरीर को बहुत कष्ट सहना पड़ता है । . मंत्र तपस्या - इस तपस्या मे मनुष्य किसी भी ग्रह या देवता के मंत्र का जाप शुरू करता है तथा मंत्र का जाप त्रिनेत्र से प्रारम्भ किया जाता है । धीरे धीरे जो संकल्प मनुष्य जाप से पहले लेता है वही संकल्प लघु मस्तिक लेना शुरूकर देता है । और जो संकल्प आपने जप से पहले लिया है वही संकल्प एक निश्चित अवधि के बाद पूर्ण हो जाता है। यह तपस्या योगिक तपस्या के मुक़ाबले बहुत आसान होती है । मंत्र तपस्या से मनुष्य अपना कल्याण कर सकता है तथा योगिक तपस्या से मनुष्य सबका कल्याण कर सकता है । तथा सबको भगवान का रास्ता भी दिखा सकता है । योगिक तपस्या प्राप्त करने के बाद अगर योगी मोह , माया , धन और यश के लालच मे फंस जाता है तथा अपने स्वार्थ बस कोई काम करता है या अपनी पूजा करवाता है उस योगी की तपस्या अंत समय पर क्षीण हो जाती है ।

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