Friday, 16 June 2017

सं+आढय

मुख्य मेनू खोलें  खोजें संपादित करेंइस पृष्ठ का ध्यान रखें सनाढ्य ब्राह्मण सनाढ्य का शाब्दिक अर्थ दो शब्दों से मिलकर बना है,सं+आढय जिसका अर्थ तपस्या में रत रहने बाले अर्थात तपस्वी। सर्व ब्राह्मणों के 752 गोत्रो में केवल 700 गोत्र सनाढ्य ब्राह्मणों के है।जो की ब्राह्मण के नियमो को अपनाकर उच्च ब्राह्मणों की श्रेणी में आते हैं। Last edited 10 days ago by चक्रबोट RELATED PAGES अष्टछाप मिश्र बहुविकल्पी पृष्ठ पुष्यमित्र शुंग  सामग्री CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उल्लेख ना किया गया हो। गोपनीयताडेस्कटॉप

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