शांतिकुंज में 88 सालों से जल रहा अखंड दीपक! Updated on: February 9, 2015, 4:37 AM IST News18india.com , आईएएनएस       हरिद्वार। यहां के शांतिकुंज में पिछले 88 सालों से अखंड दीपक प्रज्वलित है। दीपक सतत जलता रहे, इसके लिए दो-दो घंटे की पारी में 'देवकन्याएं' समय देती हैं और सतत गायत्री साधना करती हैं। इस दीपक के साथ गायत्री की मूर्ति है। गायत्री की यह मूर्ति युगशक्ति का स्वरूप है। यह स्वरूप वसुधैव कुटुंब की भावना को प्रबल करता है। साथ ही वह साधक में दूरदर्शिता, विवेकशीलता आदि का भाव प्रबल करता है। शास्त्रों-पुराणों में उल्लेख मिलता है कि यदि घी से कोई दीपक लगातार 24 सालों तक जलता रहे, तो वह सिद्ध हो जाता है और उसके दर्शन मात्र से ही अनेक फल मिलते हैं। यजुर्वेद में अग्नि की महत्ता के बारे में कहा गया है कि दीपक या यज्ञ अग्नि के सामने किए गए जप का साधक को हजार गुना फल प्राप्त होता है। वेद में भी कहा गया है 'तमसो मा ज्योतिर्गमय' जिसका मतलब है अंधकार से प्रकाश की ओर चलो। अखिल विश्व गायत्री परिवार का जन्म ही सन् 1926 में इस सिद्ध ज्योति के प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। यहां रहने वाले करीब 10 हजार स्वयंसेवक रोज सुबह पांच बजे से नौ बजे के बीच इसके दर्शन के लिए आते हैं। इसके अलावा हरिद्वार आने वाले अनगिनत यात्री भी इसके दर्शन के लिए आते हैं। माता गायत्री के सिद्ध साधक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने इस दिव्य दीपक के सामने आजीवन साधना करके ही सिद्धि पाई। आचार्य ने अखंड दीपक की दिव्य अनुभूति के विषय में लिखा है कि इसके प्रकाश में बैठकर साधना करने से मन में दिव्य भावनाएं उठने लगती हैं। कभी किसी उलझन को सुलझाना हमारी सामान्य बुद्धि के लिए संभव नहीं होता, तो इस अखंड ज्योति की प्रकाश किरणें खुद ही उस उलझन को सुलझा देती हैं। आचार्य कहते हैं कि अखंड दीपक से प्रेरणा के दो स्वरूप सहज ही झरते रहते हैं। एक पवित्रता, दूसरी प्रखरता। गंगा प्रवाह जैसा अपना अंत: करण हो और हिमालय जैसा सुदृढ़-समुन्नत अपना संकल्प हो, यही मानव जीवन के लिए परम सत्ता के अनुपम अनुदान हैं। अखंड दीपक के सामने 24 महापुरश्चरण, 24 हजार करोड़ गायत्री जप का अनुष्ठान संपन्न किया गया। यह समस्त आध्यात्मिक कार्यक्रम सूक्ष्म अंतरिक्ष को निर्मल बनाने के लिए किया गया। इस दीपक के दर्शन से दर्शनार्थी के अंतर्मन में हलचल उत्पन्न होती है, उसके जीवन में बदलाव का आधार बनता है। यह दीपक ही है, जो गायत्री तीर्थ को जीवंत-जाग्रत बनाए रखने और तीर्थ चेतना को मजबूत बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। अखंड दीपक में मनुष्य के विचारों, भावनाओं को बदलने और दिव्य प्रेरणाओं तथा श्रेष्ठ संकल्पों का संचार करने की दृढ़शक्ति है। इसकी किरण रूपी बीज को अपने अंत: करण में प्रतिष्ठित और विकसित कर मनुष्य अपने नवनिर्माण की ओर अग्रसर हो सकता है। शांतिकुंज प्रमुख शैल दीदी स्वयं प्रात: अपराह्न् एवं संध्याकालीन ध्यान-साधना नियमित रूप से इस अखंड दीपक के सीमने बैठकर संपन्न करती हैं। अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि अखंड दीपक से उत्सर्जित दिव्य चेतना ही है, जो आगंतुकों, दर्शनार्थियों को प्रेरित-प्रभावित करती है, जीवन में शुभ परिवर्तन की प्रेरणा भरती रहती है। पण्ड्या ने कहा कि ऋषि समाज और राष्ट्र के लिए कैसे तिल-तिल कर जलता है, वे समाज में व्याप्त बुराई को कैसे साधना से दूर करता है, उसका स्वरूप है यह दीपक। उन्होंने कहा कि आचार्य जी ने इस दीपक के सान्निध्य में ही साधना की और उन्हें वसंत पर्व पर अपने गुरु के दर्शन हुए। गायत्री परिवार की मैगजीन 'अखंडज्योति' का संपादन व लेखन 1940 से निरंतर इस दीपक के सान्निध्य में हो रहा है। आज भी हजारों, लाखों गायत्री उपासक अपनी दिनचर्या की शुरुआत इसके ध्यान से करते हैं। इस अखंड दीपक का दर्शन करने वालों में दलाई लामा, योग गुरु बाबा रामदेव, नरेंद्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ दिग्विजय सिंह, अशोक सिंघल, श्रीश्री रविशंकर, आरएसएस के रज्जु भैया तथा मोहन भागवत से लेकर फिल्म अभिनेता गोविंदा शामिल हैं।   Copyright © 2016 NEWS18.com — All rights reserved Visit Mobile Site
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