Friday 16 June 2017

सामग्री पर जाएं  विशुद्धब्लॉग "It's my dream to make my country a Land of Harmony, joy, Prosperity and Love." मेनू धर्म-अधर्म व पाखण्ड ब्लॉक करने की आवश्यकता किसी भी संत-महंत या ब्रम्हज्ञानी को नहीं पड़ती लेकिन मुझे पड़ती है जनवरी 10, 2015विशुद्ध चैतन्य Rate This  महावीर और गौतम के समय में भी धार्मिक लोग थे जो उनपर कूड़ा कचरा फेंका करते थे और आज भी हैं | तब भी धर्म के ठेकेदार गालियाँ दिया करते थे और आज भी | कुछ नहीं बदला है तब के धार्मिकों और आज के धार्मिकों में क्योंकि वे तो धार्मिक हैं अर्थात मार्ग में हैं, अभी धर्म तक पहुँचे नहीं हैं | अभी तक धर्म को समझना तो दूर, अनुभव भी नहीं किया है | ये तो वे दुकानदार हैं जो तीर्थ मार्गों में अपनी रेहड़ी लगाकर अपना समान बेच रहे होते हैं | अब इनकी समस्या यह है कि ये लोग अपनी दूकान को ही तीर्थ और धर्म समझा रहे होते हैं | जब कोई कहता है कि अरे आगे चलो अभी तो आप लोग रास्ते पर ही बैठे हुए हो, धर्म तो अभी दूर है तो ये दुकानदार नाराज हो जाते हैं और फिर अपने सेनाएं भेजते हैं उपद्रव करने के लिए | अब मैंने कहा कि मैं कलयुगी सन्यासी हूँ तो जाहिर है कि मैं गौतम बुद्ध या महावीर या राम या कृष्ण या कबीर रैदास जैसा महान भी नहीं हो सकता | जाहिर है मैं आधुनिक संत श्री श्री रविशंकर जैसे चिर स्थाई मुस्कान लिए क्रोध मुक्त भी नहीं हो सकता | जाहिर है कि मैं रास्ते में कूड़ा फेंकने वालों पर क्रोध भी करूँगा ही क्योंकि मैं कोई महात्मा और ब्रम्हज्ञानी तो हूँ नहीं कि मुस्कुराता रहूँ | और मैं कितना जानता हूँ या नहीं वह महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि महावीर से भी विद्वान यह कहते थे कि पहले खुद सुधार लो फिर लोगों को सुधारना | यह और बात है कि ये खुद कभी नहीं सुधरे न तब और न अब लेकिन कोई भी आगे बढ़ना शुरू करता है तो इनका सिंहासन सबसे पहले डोलने लगता है | जैसे इंद्र का सिंहासन तब भी डोल जाता है जब नन्हा बालक ध्रुव या नाचिकेता तपस्या करने लगता है | ऐसे लोगों को ब्लॉक करने की आवश्यकता किसी भी संत-महंत या ब्रम्हज्ञानी को नहीं पड़ती लेकिन मुझे पड़ती है क्योंकि मैं कोई महान आत्मा नहीं हूँ साधारण सा सन्यासी हूँ | जिन लोगों को मैं समझाना चाहता हूँ मानवता, वे इतने डरे हुए हैं कि रास्ते में पड़ी गंदगी देखकर ही घर में दुबक जाते हैं और उन्हें बाहर निकालना आवश्यक है | उनके भीतर से यह भ्रम निकालना आवश्यक है कि उनका भला कोई नेता या बाबा ही कर सकता है | उनके भीतर से यह भ्रम निकालना आवश्यक है कि कोई गेरुआधारी ही महात्मा होता है……. और यदि कुछ लोग जान बुझ कर मेरे राह में रोड़े फेंकेंगे तो ऐसे लोगों को ब्लॉक करना ही पड़ेगा मुझे | ~विशुद्ध चैतन्य https://www.facebook.com/vishuddhablog Advertisements  Related  .... तो मानवता, पशुता, पाशविकता आदि सभी मौलिक गुण धर्म हैं In "धर्म-अधर्म व पाखण्ड"  क्या धर्म परिवर्तन की प्रथा पहले थी ? In "सनातन धर्म समझिये अनपढ़ से"  धर्मो रक्षति रक्षितः In "धर्म-अधर्म व पाखण्ड" इसे साझा करें:  Share on Tumblr  WhatsApp inShare अधिक Like this: पोस्ट नेविगेशन पिछला पोस्ट यह ध्यान रखें, जब तक हम आपस में सहयोगी हैं, दुनिया की कोई ताकत हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती अगला पोस्ट वे मित्र भी मुझे समझाने आये थे कि मैं आत्मावलोकन करूँ… एक उत्तर दें आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. टिप्पणी नाम ईमेल वेबसाईट टिप्पणी करे  Notify me of new comments via email.  Notify me of new posts via email. निम्न को खोजें: खोज … Visitors 9,643 hits  विशुद्ध चैतन्य संस्थापक: विश्वरूप सर्वहित अभियान: A Mission against Evils & Devils Verified Services View Full Profile → Social View vishuddhablog’s profile on FacebookView @vishuddhablog’s profile on TwitterView ChaitanyaBharatiya’s profile on YouTubeView +चैतन्यभारतीय’s profile on Google+ हाल के पोस्ट हर किसी को लगता है कि वही समय का सदुपयोग कर रहा है फ़रवरी 26, 2017 व्यावसायिक राजनीति अक्टूबर 23, 2016 “गरीबी नसीब नहीं बल्कि एक साज़िश है !” अक्टूबर 1, 2016 नास्तिकों के देवता पेरियार के अनुत्तरित प्रश्न और अनपढ़ विशुद्ध चैतन्य के उत्तर सितम्बर 19, 2016 जब भी किसी को स्वीकारो तो सम्पूर्णता में स्वीकारो, टुकड़ों में नहीं सितम्बर 15, 2016 अपराधी कौन ? सितम्बर 9, 2016 अपने शरीर और मस्तिष्क को अपने वश में कर ले, वह आध्यात्मिक हो जाता है सितम्बर 1, 2016 Top Posts & Pages  साधू और संत में क्या अंतर है ?  काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार  नीलगाय गरीब किसानों के लिए वरदान  सनातन धर्म सिमट कर हिन्दू धर्म हो गया और धर्म खतरे में पड़ने लगा...  आस्था और अश्लीलता  जिस उद्देश्य से नागा साधुओं की सेना बनाई गई थी वह उद्देश्य ही अब खो गया  एक ही काम को हम दो तरीकों से कर सकते हैं; हाल ही की टिप्पणियाँ  ग,के,सिंह पर साक्षी भाव का ध्यान  B T पर “आखिर अफगानीस्तान से हिं…  khelsingh mansingh n… पर जातिवाद मुक्त हिन्दू एकता  rekhasahay पर असली मूल निवासी कौन है ?  विशुद्ध चैतन्य पर सनातन धर्म सिमट कर हिन्दू धर्म…  rekhasahay पर “आखिर अफगानीस्तान से हिं…  विशुद्ध चैतन्य पर काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार Goodreads  Mein Kampf by Adolf Hitler  Many Lives, Many Masters: The True Story of a Prominent Psychiatrist, His Young Patient, and the Past Life Therapy That Changed Both Their Lives by Brian L. Weiss  The Power of Your Subconscious Mind by Joseph Murphy   RSS - पोस्ट  RSS - टिप्पणियाँ Spam Blocked 25 spam blocked by Akismet POWERED BY WORDPRESS.COM. थीम: AUTOMATTIC द्वारा BUTTON। Follow 

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