Friday 16 June 2017

अगर ब्रह्मण जाति से हूं तो क्या

Saturday, June 17, 2017 Latest: उत्तर-प्रदेश में किसानों का कर्ज माफ करेगी सरकारः राधामोहन सिंह Government will forgive the debt of farmers in UP: Radha Mohan Singh लोकपाल की नियुक्ति का मामला, उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा In the Lok Sabha due to not being the leader of the opposition can be avoided Lokpal’s appointment एनजीटी ने प्लास्टिक प्रतिबंध पर दिल्ली सरकार से रिपोर्ट मांगी The NGT sought a report from the Delhi government on plastic restrictions ठाणे जिला अदालत ने ममता कुलकर्णी के खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट जारी किया Thane District Court issues non-bailable warrants against Mamta Kulkarni एमसीडी चुनाव परिणाम या दिल्ली में भी मोदी का जादू Delhi MCD election results or even Modi Magic in Delhi    अध्यात्म लेख हमे भी जानना होगा ये तिवारी कौन है? August 20, 2016 bholabhai 0 Comment niraj, niraj kumar tiwari, niraj tiwari, who is tiwari, who-is-tiwari-ye-tiwari मेरा नाम नीरज कुमार तिवारी है। लेकिन प्रश्न यह उठता है कि नीरज तो मेरा नाम है और इसमें लगे हुए कुमार शब्द से यह साबित हो जाता है कि मै नर हूं इसलिए चलो यह तो ठीक रहा। क्योंकि ये नर और मादा नाम की जो दो जातियां हैं इनका अस्तित्व तो है और यह हमेशा रहना चाहिए। मनुष्य के विकास के लिए भी या फिर इनके नहीं होने पर भी दूसरे किसी और जीव के रूप में भी या फिर उन सबके विकास के लिए भी जिनकी उत्पति लिए किसी नर और मादा का अस्तित्व भी है। क्योंकि इन दोनों के मिलने से हीं फिर किसी नर या मादा का जन्म लेना संभव भी होते रहा है, जिनसे नई-नई उत्पतियां होते रही हैं। इसलिए कुमार और कुमारी जैसे शब्दों का अस्तित्व और इसका मतलब भी समझ में तो आ जाता है। लेकिन इसके बाद भी फिर ये हमारे नाम के अंत में तिवारी का मतलब भी क्या है? अब मै इस पर आता हूं। बचपन में हमने समझा कि हमारे पिताजी, दादाजी और परदादाजी सभी अपने नाम के अंत में तिवारी लगाते आए। मैंने अपने दादा जी से पूछा कि दादाजी ये तिवारी क्या है। उन्होंने हमें बताया कि यह हमारी जाति है ब्राह्मण में तिवारी एक जाति है। मैंने फिर पूछा तिवारी जाति है तो फिर हिन्दू क्या है ? उन्होंने बताया-यहीं तो हमारा धर्म है। लेकिन तब मै बच्चा था इसलिए ये बात भी मान गया। मैंने आगे इससे सम्बंधित कोई अन्य प्रश्न तब उनसे नहीं किया चूकि बचपन से हीं मुझे जो संस्कार मिले उनकी बदौलत हीं धर्म शब्द के लिए तभी से मेरे मन में काफी ज्यादा इज्जत भी रहती आई। चाहे वह धर्म हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई, बौद्ध, जैन या कोई और भी धर्म क्यों न हो सभी के लिए मेरे मन में तभी से एक समान इज्जत रहे। लेकिन आज फिर भी मेरे मन में इससे सम्बंधित कई अन्य सवाल भी उठने लगे हैं। और मै अब इसे समझने की कोशिश में हूं कि क्या कोई मुझे यह भी बताएगा कि वास्तव में मैं इन सबमें से असल में कोई एक कौन हूं ? मनुष्य हूं ? नर हूं ? हिन्दू हूं ? ब्राह्मण हूं ? वास्तव में मै इनमें से कोई एक असल में क्या हूं ? अगर ब्रह्मण जाति से हूं तो क्या ये जाति भी जन्म से हीं होती है ? जन्म से होती है तो सबसे पहले किस जाति का जन्म हुआ ? मैंने इसका अध्ययन किया तो पता चला कि जाति तो हमारे कर्म के आधार पर हीं मानव के विकास और उसके रोजगार के उद्देश्य से हमारे पूर्वजों ने बनाई। तो फिर अगर कर्म के आधार पर हीं मानव के विकास और रोजगार के लिए जाति बनाई गई थी। तो फिर आज इस तरह से जाति के नाम पर मानव जीवन का हनन भी क्यों होने लगा है। ऐसे में आज इसके होने पर या इसके होते हुए भी नहीं रहने के समान होने पर इसीके नाम पर फिर से किसी नए-नए आधार और रचना की जरूरत भी है क्या ? जैसेकि आज के ताजे परिपेक्ष्य में किसी डॉक्टर,इंजीनियर और वकील वगैरह नाम की जातियां भी होनी चाहिए क्या अब फिर से इस बात पर भी बहस करने की जरूरत है ? इससे आगे तब फिर से इससे जुड़े हुए इसी तरह के कई अन्य सवाल भी खड़े होने लगते हैं। मानना होगा कि आज हम-सब अपने आप को काफी समझदार भी मानने लगे हैं। दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाली नई-नई चीजों का आविष्कार करने लगे हैं लेकिन इसका उपयोग कब होगा जब केवल एक मनुष्य जाति रहेगी तभी तक न? क्योंकि आज तो हरेक तरफ अमन-चैन को छीननेवालों की पार्टी बनने लगी है। कोई हिन्दू का नेता तो कोई मुस्लिम का नेता , कोई क्रिश्चन का नेता तो कोई सिख का नेता। बचपन में समझा था हिन्दू – मुस्लिम – सिख – ईसाई आपस मे है भाई–भाई बाद में सभी को आपस में लड़ते हुए भी समझा। आज इन सबों में कोई अगड़े का नेता तो कोई पिछड़े का नेता बनने लगा है। चंद मुट्ठी भर लोग जाति और धर्म के नाम पर पूरे मनुष्य जाति को तहस- नहस करने में लगे हैं। जबकि वास्तव में अब इसका सही आधार तक भी नहीं बचा हुआ है। और क्या यह भी नहीं लगता कि अब हम इसी के नाम पर मनुष्य हीं नहीं बल्कि पशुओं की जाति से भी बदतर होते जा रहे हैं। और फिर भी इस बात की संतोष किए जा रहे हैं कि हमारा विकास हो रहा है, हमारे धर्म का विकास हो रहा है, हमारे जाति की विकास हो रही है, वगैरह वगैरह.. हमें सबसे पहले केवल अपने मनुष्य-जाति के जीवन के बारे में हीं सोचना होगा। और आज के परिदृश्य में फिर से उनके समस्त जीवन-चक्र के बारे में सोचना होगा। अब ये जीवन-चक्र क्या है ? यह तो आपको पता है न? अगर नहीं पत्ता है तो फिर इसे भी समझने की जरूरत है। क्योंकि यह हमारे मनुष्य जाति और धर्म से भी सम्बंधित है। जिनमें और सभी जीवों की भी इससे सम्बंधित एक अपनी विशेष अहमियत भी दिखती है। अंत में एक और प्रश्न आप कहां तक पढ़े हो ये तो आपको मालूम होगा। लेकिन अब आपके पढाई की क्या अहमियत है यह भी आपको पता है क्या? आप ज़रा इस बात पर भी गौर कर लेना यह भी आप हीं का कर्म और धर्म भी है और यहीं आपकी जाति भी तय कर सकता है। क्योंकि देश और समाज का चौथा स्तम्भ भी जिसके भरोसे आप बैठे हो और जिस मीडिया पर आप सबसे ज्यादा भरोसा करते हो। वह चौथा स्तम्भ भी स्वयं अपने टी. आर. पी. की चक्कर में आज केवल एक अर्थ पर आधारित किसी व्यवस्था के रूप में हीं खूद लड़खड़ाने लगा है। अब वह भी आज के ब्रह्मनों की तरह किसी बौद्धिक सम्पदा की बजाय केवल किसी अर्थ-निर्माण को हीं महत्व देने में लगा हुआ है। जबकि हमें सोचना यह भी चाहिए कि अगर हमारे समाज में बौद्धिक सम्पदा ही नहीं बचेगी तो फिर अर्थ का भी तब क्या मतलब होगा। अर्थ को अर्जित करने वाले अगर जिन्दा नहीं तो फिर इसको अर्जित करने का भी किसी को क्या फायदा होगा। और शायद इसीलिए केवल एक ये बात हीं मेरे संस्कार में मेरे पूर्वोजों ने शुरू से डाले जो कि मेरे अंदर अब बिल्कुल हीं घर कर चुकी है –हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई आपस में हैं भाई-भाई। और इसके अलावा भी अगर हम और सभी जीवों के साथ भी सामंजस्य बना सकें तो सही मायने में हमारा इससे बड़ा कोई और धर्म भी नहीं हो सकता है। अंत में वह एक सवाल ये तिवारी कौन है? अब भी मेरे जेहन में बना हुआ है। जिसका उत्तर हम सभी को एक साथ मिलकर तैयार करना चाहिए ऐसा लगता है। Share this: 15Click to share on Facebook (Opens in new window)15Click to share on Twitter (Opens in new window)Click to share on Google+ (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window) Related मनोज तिवारी दिल्ली भाजपा अध्यक्ष नियुक्त। December 11, 2016 In "राष्ट्रीय" रणधीर कपूर की बेटी करीना ने तैमूर को जन्म दिया December 21, 2016 In "मनोरंजन जगत" दिल्ली हवाई अड्डे के कर्मचारियों के लिए आधार कार्ड अनिवार्य हुआ January 2, 2017 In "राज्य" ← समय से बड़ा कोई नहीं हो सकता है..क्या 100 करोड़ के पार पहुंचेगी शिवाय ? → Leave a Reply Your email address will not be published. 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