Friday, 16 June 2017

साहिब बन्दगी

    मुख पृष्ठसाहिब बन्दगी विषय मेंसम्पर्क करेंडाउनलोडआम सवालशीघ्र होने वाले कार्यक्रमक्या नया है   v”V flf) & ukS fuf)  सबकी गठड़ी लाल है। कोई नहीं कंगाल॥ पृथ्वी के हर व्यक्ति के अंदर चमत्कारिक शक्तियों का भंडार है जो गरीब या अमीर सभी में बिना किसी अंतर के समान रूप से उपलब्ध हैं। कोई भी मनुष्य अंदर में खाली नहीं है और सभी में परम पुरुष का अंश (आत्मा) विद्यमान है।  सिद्धि की शक्तियाँ ध्यान, इंद्रियों पर नियंत्रण, भक्ति और मंत्रों के माध्यम से प्राप्त की जाती हैं। सिद्धि की शक्तियाँ को प्राप्त करने को साधारणतया मनाह किया जाता है क्योंकि ये आध्यात्मिक प्रगति में रूकावट हैं। सभी अष्ट सिद्धि व नव निधि प्रत्येक मनुष्य में समान रूप से उपलब्ध हैं और ये सभी काल निरंजन द्वारा सृजित हैं, इनको दिव्य शक्तियाँ भी कहते हैं। इन चमत्कारिक शक्तियों का संबंध केवल शरीर व मन से है। इनका परम पुरुष की शक्तियों से कोई सम्बंध नहीं है और ये आत्मा की सच्ची आध्यात्मिक शक्तियाँ नहीं हैं। इस ब्रहमाण्ड में कोई भी व्यक्ति मन माया के बंधनों से स्थायी मुक्ति नहीं पा सकता है चाहे उसने सभी अष्ट सिद्धियाँ व नव निधियाँ प्राप्त कर ली हो। हिन्दू धर्म में निम्नलिखित 8 अष्ट सिद्धियों का वर्णन किया गया है। 1. अणिमा – अपने शरीर को अणु से भी छोटा कर लेना। 2. महिमा – अपने शरीर को असीमित रूप में बड़ा कर लेना। 3. गरीमा – असीमित रूप से भारी हो जाना। 4. लघिमा – लगभग भाररहित हो जाना। 5. प्राप्तिका – सभी स्थानों पर पहुँच जाना। 6. प्राकाम्या – जो भी किसी की इच्छा हो प्राप्त कर लेना। 7. ईशित्व – ईश्वर स्वरूप हो जाना। 8. वशित्व – सभी को वश में कर लेने की शक्ति। हिन्दू धर्म में निम्नलिखित 9 निद्धियों का वर्णन किया गया है। 1. परकाया प्रवेश - परकाया प्रवेश का अर्थ है की अपनी आत्मा को किसी भी अन्य पुरुष, पक्षी या जानवर के शरीर के अंदर प्रवेश कराने की शक्ति। इस ज्ञान से मृत्त शरीर को भी जीवित किया जा सकता है। 2. हाड़ी विद्या – यह विद्या पौराणिक पुस्तकों मे मिलती है। इस विद्या को प्राप्त करने पर कोई व्यक्ति भूख और प्यास की अनुभूति नहीं होती है और वह बिना खाये पिये बहुत दिनों तक रह सकता है। 3. काड़ी विद्या - इस विद्या को प्राप्त करने पर कोई व्यक्ति ऋतुओं (गर्मी, सर्दी, बरसात आदि) के बदलाव से प्रभावित नहीं होती है। इस विद्या की प्राप्ति के बाद चाहे वह व्यक्ति बर्फीले पहाड़ों पर बैठ जाये पर उसको ठंड नहीं लगेगी और यदि वह अग्नि मे भी बैठ जाये तो उसे गर्माहट की अनुभूति नहीं होगी। 4. वायु गमन विद्या – इस सिद्धि के द्वारा व्यक्ति में वायु में उड़ने की शक्ति आ जाती है तथा वह एक स्थान से दूसरे स्थान पर वायु मार्ग द्वारा बहुत ही कम समय में पहुँच सकता है। 5. मदालसा विद्या - इस विद्या को प्राप्त करने पर कोई व्यक्ति अपने शरीर को अपनी इच्छानुसार छोटा या बड़ा कर सकता है। हनुमान जी ने लंका मे घुसते हुए इसी विद्या का प्रयोग किया था। 6. कनकघरा विद्या – इस सिद्धि के द्वारा कोई असीम धन प्राप्त कर सकता है। 7. प्राक्या साधना - इस साधना के द्वारा कोई योगी अपने शिष्य को उस महिला के गृभ से जन्म लेने के लिए निर्देशित कर सकता जो संतानहीन या बांझ है। 8. सूर्य विज्ञान – सूर्य विज्ञान प्राचीन भारत का महत्वपूर्ण विज्ञान है, यह केवल भारतीय योगियों की ही जानकारी में था। इसके प्रयोग से कोई वस्तु सूर्य की किरणों के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान को स्थानांतरित की जा सकती है। 9. मृत संजीवनी विद्या – इस विद्या के द्वारा मृत शरीर को भी जीवित किया जा सकता है।  तीन लोक में जो कुछ आए। काल निरंजन सबको खाए॥ इस ब्रहमाण्ड में मौजूद सभी प्राणी या वस्तुएं जो भी काल निरंजन की संरचना में है विनाश को प्राप्त हो जाएगें क्योंकि स्वयं काल निरंजन ही प्रत्येक विनाश के पीछे है।   प्राइवसी पालिसी । डिस्क्लेमर । फीडबैक । कापीराइट । साइट मानचित्र © 2017 कापीराइट। सभी अधिकार आरक्षित यह साईट सर्वोत्कृश्ट रुप से Internet Explorer 9, Chrome 32.0.1700.4, Mozilla Firefox 28.0, Safari 5.1.7, Opera 20.00 Build 1387.64 और उपर्युक्त संस्करणों पर देखें।   

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