Monday 26 June 2017

दुर्वासा के आश्रम

 Text to Search...   इतिहासऐतिहासिक स्थलपर्यटनप्रतिभाएंलोकप्रियसंपादकीयHISTORICAL PLACESHISTORY    LATEST HOME > RELIGION > आज जा पहुचा ऋषि दुर्वासा के आश्रम मे आशिर्वाद लेने --एस एम मासूम धर्मदर्शन editorial Popular religion आज जा पहुचा ऋषि दुर्वासा के आश्रम मे आशिर्वाद लेने --एस एम मासूम  आज आजमगढ के एक गांव खुरासो से दो किलो मीटर और फूलपूर गांव से ६ किलोमीटर दूर गांव मे दुर्वासा ऋषि के आश्रम आशीर्वाद लेने जा पहुंचा | वहा उस महंत से बातचीत और ज्ञान प्राप्त किया जिसके वंशज पिछली ६ पीढीयो से दुर्वासा ऋषि के मंदिर की सेवा कर रहे है | ऐतिहासिक द़ष्टि से भी यह स्थान काफी महत्वपूर्ण था। यह जिला माऊ, गोरखपुर, गाजीपुर, जौनपुर, सुल्तानपुर और अम्बेडकर जिले की सीमा से लगा हुआ है। पर्यटन की द़ष्टि से महाराजगंज, दुर्वासा, मुबारकपुर, मेहनगर, भवरनाथ मंदिर और अवन्तिकापुरी आदि विशेष रूप से प्रसिद्ध है।  ऋषि मुनियों की परंपरा में दुर्वासा ऋषि का अग्रीण स्थान रहा है ऋषि दुर्वासा सतयुग, त्रैता एवं द्वापर युगों के एक प्रसिद्ध सिद्ध योगी महर्षि माने गए हैं हिंदुओं के एक महान ऋषि हैं जो अपने क्रोध के लिए जाने जाते रहे ऋषि दुर्वासा को भगवान शिव का अवतार माना जाता है |  किसी समय मे ये इलाक़ा जौनपुर का हिस्सा था जो आज आजमगढ मे चला गया | जौनपुर एक ऐसा शहर है जिसे ऋषि मुनियो की तप स्थली भी कहा जाता है |  महर्षि अत्रि जी सृष्टिकर्ता ब्रह्माजी के मानस पुत्र थे। उनकी पत्नी अनसूयाजी के पातिव्रत धर्म की परीक्षा लेने हेतु ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही पत्‍ि‌नयों के अनुरोध पर श्री अत्री और अनसूयाजी के चित्रकुट स्थित आश्रम में शिशु रूप में उपस्थित हुए। ब्रह्मा जी चंद्रमा के रूप में, विष्णु दत्तात्रेय के रूप में और महेश दुर्वासा के रूप में उपस्थित हुए। बाद में देव पत्नियों के अनुरोध पर अनसूयाजी ने कहा कि इस वर्तमान स्वरूप में वे पुत्रों के रूप में मेरे पास ही रहेंगे। साथ ही अपने पूर्ण स्वरूप में अवस्थित होकर आप तीनों अपने-अपने धाम में भी विराजमान रहेंगे। यह कथा सतयुग के प्रारम्भ की है। पुराणों और महाभारत में इसका विशद वर्णन है। दुर्वासा जी कुछ बडे हुए, माता-पिता से आदेश लेकर वे अन्न जल का त्याग कर कठोर तपस्या करने लगे। विशेषत: यम-नियम, आसन, प्राणायाम, ध्यान-धारणा आदि अष्टांग योग का अवलम्बन कर वे ऐसी सिद्ध अवस्था में पहुंचे कि उनको बहुत सी योग-सिद्धियां प्राप्त हो गई। अब वे सिद्ध योगी के रूप में विख्यात हो गए। तत्पश्चात् मझुई व तमसा नदी किनारे इसी स्थल पर उन्होंने एक आश्रम का निर्माण किया और यहीं पर रहकर आवश्यकता के अनुसार बीच-बीच में भ्रमण भी किया। प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। हजारों की संख्या में विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त करने यहां आया करते थे।   SHARE ARTICLE: Facebook Twitter Google+ StumbleUpon Digg Pinterest LinkedIn Next पूर्व मंत्री दीपचन्द सोनकर को मिला उत्तर प्रदेश राज्य कार्यकारिणी में सचिव पद| Previous पांचो शिवाला पानदरीबा जौनपुर दीवान काशी नरेश बन्धुलाल के बनवाया था| Blogger CommentsFacebook Comments 0 comments: एक टिप्पणी भेजें हमारा जौनपुर में आपके सुझाव का स्वागत है | सुझाव दे के अपने वतन जौनपुर को विश्वपटल पे उसका सही स्थान दिलाने में हमारी मदद करें | संचालक एस एम् मासूम  Links to this post एक लिंक बनाएँ Item Reviewed: आज जा पहुचा ऋषि दुर्वासा के आश्रम मे आशिर्वाद लेने --एस एम मासूम Rating: 5 Reviewed By: M.MAsum Syed POPULARARCHIVECATEGORY जौनपुर का इतिहास जानना ही तो हमारा जौनपुर डॉट कॉम पे अवश्य जाएँ | भानुचन्द्र गोस्वामी डी एम् जौनपुर आज 23 अक्टुबर दिन रविवार को दिन में 11 बजे शिराज ए हिन्द डॉट कॉम द्वारा कलेक्ट्रेट परिसर स्थित पत्रकार भवन में "आज के परिव...   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Exclusive interview with Yogi --jaunpurcity Vote karega jaunpur bhai Vote karega jaunpur Zafrabad -Great center of culture and religion of Buddhists as well as the Hindus. Oldest city Machhali Shahar was known as Machchhika Khand Union Bank of India and State Bank of India jaunpur branches Stationery Stores in Jaunpur Shoe Stores in Jaunpur General Shops in Jaunpur Restaurants in Jaunpur अलविदा जुमा की नमाज़ शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न | जौनपुर में ईद की नमाज़ों के वक़्त इस प्रकार हैं | अमाल शब् ऐ कद्र माह ऐ रमजान हिंदी में | आखिरी लव्ज़ मरहूम इब्ने हसन इब्बू साहब के जौनपुर अज़ादारी के ज़रिये | वक्फ शिया ज़ामा मस्जिद माह ए रमज़ान पर विशेष बैठक | ईद का चाँद होने के पहले क्या फ़ित्र निकाल सकते हैं | ईद के चांद ने वातावरण को एक नए रूप मे सुगन्धित किया बच्चों को नमाज़ सिखाना माँ बाप की ज़िम्मेदारी है | अपने बाप के हक़ के बारे में तुम्हें याद रहे कि वह तुम्हारी अस्ल व जड़ है इस्लाम में ग़रीबों इज्ज़त क्या है जानिये |  FOLLOW BY EMAIL  Email address... 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