🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
एक बार गुरु गोविन्द सिंह जी कही जंगल के रस्ते से अपने कुछ शिष्यो के साथ जा रहे थे तब क्या देखा की एक बहुत बड़ा अजगर रस्ते में पड़ा हुआ हे और उसको बहुत चीटियाँ तोड़-तोड़ कर खा रहे थी।
शिष्यों ने देखा तो गुरुवर से इसका रहस्य जानना चाहा।
*तब गुरुवर ने बताया ---*
की अजगर में जो जीव आत्मा हे न उसे जब मानव तन मिला था तो यह खुद तो ईश्वर को देखा नही और ढोंगी गुरु बन गया था और यह जो चीटियाँ है यह सब इसके भक्त/शिष्य बन गए थे।
यह ढोंगी गुरु खुद तो ईश्वर को जाना नही और अधोपति में आया और इनको भी अधोगति में ले आया। अब यह चौरासी लाख तक ऎसे ही इसको तोड़ तोड़ कर कि गई हर जन्म में इसके साथ ही रहेगी।
*ढोंगी गुरु लालची चेला*
*नर्क में होए ठेलम ठेला*
विचार -----
आप खुद करे क्या आप को पूर्ण गुरु की पहचान है??
क्या आप को आपके गुरु ने कृष्ण जी की तरह ईश्वर का दर्शन कराया???
*यदि नही तो तलाश करो पुर्नसद्गुरु की जो जीवन के रहते ही ईश्वर का आपके भीतर ही तत्क्षण दर्शन करा दे जो तत्क्षण दर्शन करा दे वो ही पुर्नसद्गुरु है यहिं पहचान शास्त्रों में बताया गया है।*
*विचार शास्त्रो के निर्णय आपका...🕉*
*🍃 🍃*
No comments:
Post a Comment