Sunday, 12 November 2017

शंका

Aryamantavya Search PRIMARY MENUSKIP TO CONTENT शंका समाधान SHOW ALL (1) शंका :- यह भाव से अभाव तथा अभाव से भाव कैसे हो जाता है? समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- vedic dharm (2) शंका :- जिज्ञासा- कुछ जिज्ञासायें मन में हैं। कृपया समाधान करने का कष्ट करेंः- 1-यम, 2-नियम, 3-आसन, 4-प्राणायाम, 5- प्रत्याद्वार, 6-धारणा, 7-ध्यान एवं 8-समाधि। यह क्रम महर्षि पतञ्जलि ने योग दर्शन में दिया है। क्या यम-नियम का पालन करने वाला व्यक्ति भी सीधे ध्यान (7) अवस्था में पहुँचकर ध्यान का अयास कर सकता है? यदि कर सकता है तो फिर यम- नियम आदि की क्या आवश्यकता है? आखिर यह ‘‘ध्यान प्रशिक्षण योजना’’ जो परोपकारी पत्रिका मार्च (प्रथम) 2015 में प्रकाशित है व पहलेाी कई बार प्रकाशित/प्रचारित हुई है, क्या है? समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- विविध (3) शंका :- महर्षि दयानन्द सरस्वती जी ने अन्त समय में यह किस आशय से पूछा था कि ‘आज कौन-सा पक्ष, क्या तिथि और क्या वार है?’ अन्यत्र संस्कार विधि में भी तिथि व नक्षत्रादि का उल्लेख मिलता है। हमने एक वैद्य से सुना है कि ‘वैद्यक शास्त्रों’ में लिखा है कि औषिधियों का प्रभाव तिथि, नक्षत्र, पक्ष तथा उत्तरायण व दक्षिणायन में अलग-अलग पड़ता है? समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- vedic dharm (4) शंका :- इसी प्रकार गृहाश्रमविधि में या दुर्हार्दो युवतयो…… मन्त्र के अर्थ करते हुए अन्त में लिखते हैं- ‘…..वृद्ध स्त्रियाँ हों, वे इस वधू को शीघ्र तेज देवें। इसके पश्चात् अपने-अपने घर को चली जावें, और फिर इसके पास कभी न आवें।’ यहाँ कभी न आवें का भाव समझ में नहीं आया। समाधान कर्ता :- , विषय :- vedic dharm (5) शंका :- महर्षि दयानन्द सरस्वती जी ने संस्कार-विधि के सामान्य प्रकरण में आघारावाज्याहुति व आज्याभागाहुति देने से पूर्व लिखा है कि ‘स्रुवा को भर अँगूठा मध्यमा अनामिका से स्रुवा को पकड़ के…..’ कृपया बताएँ कि स्रुवा को इन तीन से ही क्यों पकड़ा जाए? समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- vedic dharm (6) शंका :- श्रौत-यज्ञ-मीमांसा’ पुस्तक के पृष्ठ 177 व 178 पर श्रद्धेय युधिष्ठिर मीमांसक जी ने कश्यप-पुत्र असुर को इस पृथिवी का प्रथम शासक बताया है। समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- vedic dharm (7) शंका :- अग्नि, वायु…….इनको वेदों का ज्ञान किसने दिया। : आचार्य सोमदेव जी समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- vedic dharm (8) शंका :- सृष्टि उत्पति : आचार्य सोमदेव जी समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- विविध (9) शंका :- 5. सन् 1875 के बाद अर्थात् 140 साल व्यतीत हो जाने के बाद भी विवाहदि संस्कार 90/95 प्रतिशत पौराणिक रीति से हो रहे हैं। यदि लग्न पत्रिका आदि की जरुरत पड़े तो वही हाथी की सूण्ड वाले गणेश की छपी मिलती है। क्या आर्य समाज कोई ऐसी योजना बना रहा है कि कम से कम जिला स्तर पर ऐसी पत्रिका या वैदिक कलेण्डर या पुरोहित उपलध हो जाए। समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- vedic dharm (10) शंका :- . क्या वर्तमान में अपने देश भारत या अन्यत्र कहीं भी पृथ्वी पर अध्ययन-अध्यापन की ऐसी व्यवस्था है, जहाँ पर चारों वेदों का ज्ञान कराया जाता हो। यदि हाँ तो कहाँ-कहाँ पर ऐसी व्यवस्था है। 4. आर्य समाज के धुंआधार प्रचार से और वेदों का डंका पीटने या बजाने से पौराणिक भी जाग्रत हो गए, तो अब आर्य सामाज के कितने केन्द्र चारों वेद पढ़ा रहे हैं और पौराणिकों के कितने केन्द्र हैं। समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- (11) शंका :- 2. यदि चारों वेद संहिताएं विदेश से मंगवाए गए तो फिर यह क्यों कहा जाता है कि स्वामी दयानन्द ने 2 वर्ष 10 महीने में अपने गुरु विरजानन्द जी से चारों वेदों का अध्ययन किया और शंकाओं का समाधान किया। जब वेद मंगवाए ही बाद में हैं तो अपने गुरु जी से कैसे पढ़े? और यदि वेद पहले ही उपलध थे तो मंगवाने की क्या जरूरत थी। इससे यह भी प्रतीत होता है कि स्वामी दयानन्द जी ने भी अपने गुरु जी के पास से शिक्षा पूरी करने के बाद ही चारों वेद पढ़े। गुरु जी के पास तो जो आधे अधूरे उपलध थे वे ही पढ़ पाए। फिर पूरे वेद बाद में पढ़े हैं तो स्वामी जी को पढ़ाने वाले अन्य कौन गुरु मिले जो स्वामी विरजानन्द जी से भी भली प्रकार पढ़ा सकते थे। समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- vedic dharm (12) शंका :- काफी समय से यह पढ़ते और सुनते आए हैं कि पौराणिक लोग कहते थे कि वेदों को शंखासुर पाताल में लेकर घुस गए हैं, इसलिए अब शेष बचे 18 पुराणों से ही काम चलाओ। ऐसी स्थिति में स्वामी दयानन्द जी ने जर्मनी से चारों वेदों को मंगवा कर पण्डितों को दिखाया और सब को बताया। इससे पता चलता है कि स्वामी जी के आने, से पहले चारों वेद भारत में उपलध ही नहीं रह गए थे। इसीलिए तो विदेश से मंगवाने पड़े। अर्थात् आर्ष ग्रन्थों और इतिहास आदि में वेदों के नाम चर्चा ही थी और वे संहिताओं के रूप में उपलध नहीं थे। यह हमारी हालत हो चुकी थी। क्या यह बात ठीक है। समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- vedic dharm (13) शंका :- जिज्ञासा- यह पत्र मैं मन्त्रों में ‘‘स्वाहा’’ शद के अर्थ में शंका समाधान हेतु लिख रहा हूँ। प्रायः स्वाहा शद आहुति देते समय बोला जाता है किन्तु कुछ मन्त्रों में स्वभाविक रूप से स्वाहा शद का प्रयोग भी देखा है। अतः आप कृपया यथाशीघ्र स्वाहा शद की सभी प्रकार के विभिन्न अर्थ लिखने बताने की कृपा करें। धन्यवाद। – सुरेन्द्र कुमार आर्य। समाधान कर्ता :- , विषय :- (14) शंका :- जिज्ञासाः- निम्न लिखित वेद मन्त्रों से शंका और उपशंका उत्पन्न होता है। यजुर्वेद अ. 29 के मन्त्रों 40,41 और 42 संया वाले…. ‘‘छागमश्वियोस्वाहा। मेषं सरस्वत्ये स्वाहा, ऋषभमिन्द्राय….। 40’’ ‘‘छागस्य वषाया मेदसो…..मेषस्य वषाया मेदसो, ऋषभस्य वषाया मेदसो……41’’ छागैर्न मेषै, र्मृषमैःसुता…..42 इनमें से 41 और 42 मन्त्रों का अर्थ ‘‘दयानन्द संस्थान से प्रकाशित भाष्य में भी बकरे, भेड़ों और बैल किया गया है। ये सब पौराणिक के जैसा भाष्य देखने को आया शंका होता है इस शंका के समाधान कर के उत्तर भेजें।’’ पं. गभीर राई अग्निहोत्री, कोलाखाम, पोस्ट लावा बाजार- 734319, कालिपोङ समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- vedic dharm (15) शंका :- (ङ) पंच भौतिक तत्वों में से एक आकाश भी है और भौतिक तत्व प्रकृति के परमाणुओं से बनते हैं, जिनसे पृथ्वी, सूर्यादि पूरा जगत् बनता है। यदि आकाश को निराकार कहा जाए, तो अभाव से भाव कैसे बनेगा। यदि आकाश साकार है तो ‘ओ3म् खम् ब्रह्म’ क्यों कहते हैं। कृपया समाधान करने का कष्ट करें। समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- विविध (16) शंका :- (घ) ईश्वर अनन्त, असीम है परन्तु आत्मा ससीम है, इसलिए अणुस्वरूप होने के कारण उसकी कुछ न कुछ लबाई-चौड़ाई तो होगी ही। इसलिए क्या उसे हम साकार नहीं कह सकते, क्योंकि उसकी सीमाएँ हैं? निराकार-साकार की परिभाषा क्या है? समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- विविध (17) शंका :- (ग) आत्मा निराकार है या साकार? आपने लिखा है कि निराकार है, तो क्या आप किसी आर्ष ग्रन्थ या वेद का प्रमाण इस बारे में दे सकते हैं, जैसे कि परमात्मा के बारे में अनेक दिए जा सकते हैं (वेद, उपनिषद, अन्य आर्ष ग्र्रन्थ)। समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- विविध (18) शंका :- (ख) यदि आत्मा अर्थात् मैं या मेरा आत्मा स्थान बदलता है तो मुझे पता क्यों नहीं चलता। किसके बदलने से बदलता है, संचालन कौन करता है? समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- विविध (19) शंका :- परोपकारी जुलाई प्रथम में जिज्ञासा नं. 2 का समाधान करते हुए यह तो बता दिया गया है कि आत्मा का शरीर में मुय निवास स्थान हृदय प्रदेश में ही है, परन्तु जिज्ञासु की इस जिज्ञासा का समाधान नहीं बताया गया कि सुषुप्ति, स्वप्न और जागृत अवस्था में शरीर में आत्मा एक ही स्थान पर रहती है या स्थान बदलती रहती है। यदि स्थान बदलती है तो क्यों? समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- विविध (20) शंका :- क्या ईश्वर संसार में किसी स्थान विशेष में, किसी काल विशेष में रहता है? क्या ईश्वर किसी जीव विशेष को किसी समुदाय विशेष के कल्याण के लिए और दुष्टों का नाश करने के लिए भेजता है? – आचार्य सोमदेव जी समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- अवतारवाद (21) शंका :- आचार्य सोमदेव समानीय आचार्य सोमदेव जी को मेरा सादर प्रणाम। जिज्ञासा- श्रद्धास्पद आचार्य जी! मैं उदालगुरी आर्यसमाज का पुरोहित हूँ। मैं 2012 जून महीने में अनुष्ठित योग-साधना-शिविर में उपस्थित रहकर एक सप्ताह तक योग-साधना आप ही से सीखकर आया हूँ। उसी समय से परोपकारिणी सभा की ओर से नियमित रूप से परोपकारी पत्रिका उदालगुरी आर्यसमाज को निःशुल्क मिल रही हूँ। सभा को उदालगुरी आर्यसमाज की ओर से धन्यवाद ज्ञापन करते हैं। आचार्य जी! मैं तीन साल से अन्य द्वारा पूछे गये जिज्ञासा-समाधान पढ़-पढ़ कर उपकृत होता आया हूँ। लेकिन आज मेरे मन में भी एक जिज्ञासा है, समाधान चाहता हूँ। प्रश्न- महोदय! यजुर्वेद के बारे में जानना था- प्रायः यजुर्वेद के बारे में शुक्ल और कृष्ण शद व्यवहार होता है। किन्तु मेरे पास जो वेद हैं, उसमें सिर्फ ‘यजुर्वेद’ लिखा हुआ है। कृष्ण-शुक्ल कुछ भी नहीं लिखा है। कोई पौराणिक पण्डित संकल्प पढ़ते समय ‘शुक्ल यजुर्वेदाध्यायी’ ऐसााी पढ़ लेते हैं। कृपया शुक्ल और कृष्ण के बारे में स्पष्टिकरण देने की कृपा करें। – रुद्र शास्त्री, गाँव- गोलमागाँव, पो.जि.- उदालगुरी, आसाम समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- vedic dharm (22) शंका :- मेरा प्रश्न है कि ऋषि के सत्यार्थ प्रकाश के अनुसार शरीर की चार अवस्था मानी गई हैं। सुषुप्ति, स्वप्न और जागृत व तुरीय। हम सामान्य पुरुषों की तुरिय न होकर अन्य तीन अवस्थाएँ मैं समझती हूँ। इन तीन अवस्थाओं में आत्मा का निवास कहाँ होता है। ये मेरी शंका है क्योंकि मैंने स्वाध्याय में पाया है- प्रथम आत्मा का ज्ञान होगा तो तभी ईश्वर का ज्ञान होगा, अन्यथा नहीं। त्रैतवाद का दूसरा अंग आत्मा ही है। अतः मैं आत्मा के विषय मैं पूरा-पूरा ज्ञान जानना चाहती हूँ। कृपया मुझे बताईये। – सुमित्रा आर्या, 961/10, आदर्श नगर, सोनीपत, हरियाणा। समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- vedic dharm (23) शंका :- बहुतायत आर्य समाजों में यज्ञ के पश्चात् ‘‘सर्वे भवन्तु सुखिन…..’’का पाठ किय जाता है। शंका संया 1- यह श्लोक है या कि मन्त्र है? किसी आर्ष ग्रन्थ से उद्घृत किया गया है? समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- विविध (24) शंका :- हमारे चार वेद हैं और वे चारों ज्ञान के भण्डार हैं, लेकिन श्रीकृष्ण ने श्रीमद् भगवद्गीता में सामवेद को ही अपनी विभूति क्यों कहा है? समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- vedic dharm (25) शंका :- उपनिषद् ग्यारह हैं, उनके नाम मेरे पास हैं, लेकिन प्रत्येक उपनिषद् में किस-किस प्रकार का ज्ञान है, वह नहीं मिलता या प्राप्त है। समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- vedic dharm (26) शंका :- अब तक कितने मनु हुए हैं, उनके क्या नाम हैं, उनमें से प्रत्येक ने किस प्रकार का ज्ञान दिया? श्रीमद् भगवद्गीता में योगीराज श्रीकृष्ण ने चौदह मनु को रेफर किया है, परन्तु इससे अधिक कुछ नहीं कहा। समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- vedic dharm (27) शंका :- श्रुतियाँ कितनी हैं, उनके क्या-क्या नाम हैं, उनके लेखक/सृजन कर्ता कौन हैं, उनमें किस विषय का ज्ञान है? समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- vedic dharm (28) शंका :- ब्राह्मण ग्रन्थ कितने हैं, उनके क्या नाम हैं, उनके रचयिता/लेखक कौन हैं, प्रत्येक ग्रन्थ में क्या ज्ञान है? समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- vedic dharm (29) शंका :- मुक्ति किसे मिलेगी? समाधान कर्ता :- प्रा राजेंद्र जिज्ञासु , विषय :- (30) शंका :- प्रभु कैसे ज्ञान देता है समाधान कर्ता :- प्रा राजेंद्र जिज्ञासु , विषय :- vedic dharm (31) शंका :- नरक, स्वर्ग व मोक्ष क्या हैं ? – आचार्य सोमदेव समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- आर्य समाज (32) शंका :- जिज्ञासा – मेरे मन में एक छोटी-सी शंका है कि स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आगे स्वामी और बाद में सरस्वती क्यों लगाते थे स्वामी जी! उस का अर्थ क्या है? हमें बताईएगा। – एन. रणवीर, नलगोंडा, तेलंगाना समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- आर्य समाज (33) शंका :- मृत्यु के बाद आत्मा दूसरा शरीर कितने दिनों के अन्दर धारण करता है? किन-किन योनियों में प्रवेश करता है? क्या मनुष्य की आत्मा पशु-पक्षियों की योनियों में जन्म लेने के बाद फिर लौट के मनुष्य योनियों में बनने का कितना समय लगता है? आत्मा माता-पिता के द्वारा गर्भधारण करने से शरीर धारण करता है यह मालूम है लेकिन आधुनिक पद्धतियों के द्वारा टेस्ट ट्यूब बेबी, सरोगसि पद्धति, गर्भधारण पद्धति, स्पर्म बैंकिंग पद्धति आदि में आत्मा उतने दिनों तक स्टोर किया जाता है क्या? यह सारा विवरण परोपकारी में बताने का कष्ट करें। – एन. रणवीर, नलगोंडा, तेलंगाना समाधान कर्ता :- आचार्य सोमदेव , विषय :- विविध (34) शंका :- सद्धर्मप्रचारक उर्दू हिन्दी का जन्म-भ्रान्ति निवारण- समाधान कर्ता :- प्रा राजेंद्र जिज्ञासु , विषय :- आर्य समाज (35) शंका :- आर्य पत्रों की समाचार शैली कैसी थी?- समाधान कर्ता :- प्रा राजेंद्र जिज्ञासु , विषय :- आर्य समाज (36) शंका :- दक्षिण में प्रथम आर्य सत्याग्रहीः समाधान कर्ता :- प्रा राजेंद्र जिज्ञासु , विषय :- आर्य समाज (37) शंका :- ईश्वर कब और क्या-क्या सहायता देता है, और क्या-क्या नहीं देता? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (38) शंका :- ईश्वर’ पहले से है।’आत्मा’ को किसने बनाया ? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (39) शंका :- क्या मनुष्यों के अतिरिक्त कुत्ते आदि पशु-पक्षियों को भी कर्म करने की स्वतंत्रता है ? क्या इन्हें पुण्य पाप लगता है ? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (40) शंका :- मानव जीवन की सबसे बड़ी भूल कौन सी है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (41) शंका :- बौ(िक स्तर पर किसी भी जीव का या आकृति का पोस्टमार्टम कैसे किया जाता है, ताकि आकर्षण खत्म हो जाये? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (42) शंका :- मेरा पड़ोसी प्रायः हर रोज बच्चों को भेजकर साइकिल, प्रेस, पंप, तेल, हल्दी, जीरा, कुकर आदि हमारे घर से मंगवाता है? अब मना करें, तो संबंध खराब होने का डरऋ और झूठ बोलकर मना करें, तो ईश्वर का डरऋ और दे दें, तो अंदर मन में दुःखऋ बताइये क्या करें? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (43) शंका :- रात्रि को केवल ढ़ाई-तीन घंटे नींद आती है। खाना, बिस्तर ठीक है। क्या तीन घंटे की नींद काफी है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (44) शंका :- हमने सुना है, मुक्त आत्मायें आपस में बातें करती हैं। लेकिन वे स्थूल शरीर के बिना कैसे बातें कर सकती हैं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (45) शंका :- क्या किसी भी धर्म, पंथ या देवी-देवता का मजाक उड़ाकर हम अपने आपको श्रेष्ठ कहलवा सकते हैं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (46) शंका :- जब हम शिविर इत्यादि में आते हैं। तब सब कुछ अच्छा लगता है। क्रोध कम हो जाता है। लेकिन जब हम वापस सांसारिक-जीवन में जाते हैं, तो ऐसे नहीं जी पाते, क्या करें? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (47) शंका :- दस वर्ष के लड़के-लड़की ठीक से भोजन नहीं करते। इस तरह के बच्चों का मन ईश्वर में लगाने के लिये उन्हें कैसी शिक्षा दी जाये? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (48) शंका :- प्रणव’ का अर्थ क्या है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (49) शंका :- ओ३म््’ का उच्चारण किस जगह और कितने समय पर किया जाना चाहिए। इसमें दिन और रात देखे जाते हैं या नहीं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (50) शंका :- ईश्वर को ज्ञान से जानते हैं। और यह ईश्वर-ज्ञान सबके बस की बात नहीं है, तो क्या ईश्वर को जाने बिना केवल अच्छे कर्म करने से ‘मोक्ष’ की प्राप्ति की जा सकती है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (51) शंका :- कठोर’ शब्द का क्या अर्थ है? कठोर शब्द का प्रयोग कब करना चाहिए? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (52) शंका :- जीवात्मा शरीर छोड़ने के वक्त कहाँ जाता है? और शरीर छोड़ने के बाद उसकी स्थिति, पुर्नजन्म कैसे होता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (53) शंका :- जीवात्मा को जीने की उत्कट इच्छा क्यों होती है? अथवा जीवात्मा को जीने के लिये कौन सा तत्त्व प्रेरित करता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (54) शंका :- घर के बच्चे कैसे बिगड़ते हैं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (55) शंका :- पन्द्रह साल का लड़का यदि दुष्ट व्यसन में पड़ जाये तो उसे कैसे सुधारा जा सकता है? कृपया विस्तार से बतलायें? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (56) शंका :- कृपया उपासना शब्द के अर्थ को ठीक से स्पष्ट करके समझाइये? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (57) शंका :- कर्म का फल भोगने के बाद संस्कार नष्ट हो जाते हैं या बने रहते हैं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (58) शंका :- वेद में विज्ञान है। लेकिन वेद पढ़े बिना कुछ देश या लोग वैज्ञानिक उन्नति कर रहे हैं, तो वेद पढ़ने की वैज्ञानिक दृष्टि से क्या आवश्यकता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (59) शंका :- शास्त्रों के आधार पर प्रेम का अर्थ क्या होता है, क्या प्रेम और राग एक ही हैं या उसमें अंतर है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (60) शंका :- वेद’ ईश्वर की वाणी है। ईश्वर ने इसके निर्माण में कैसे सहायता की? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (61) शंका :- हिंसक प्राणियों साँप, बिच्छु, चींटी, काकरोच आदि के साथ कैसा व्यवहार करें? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (62) शंका :- परमात्मा और जीव को पदार्थ क्यों कहा है, जबकि ये दोनों चेतन स्वरूप हैं, जड़ नहीं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (63) शंका :- वास्तविक मृत्यु ईश्वर द्वारा लिखी जाती है, जो कि सौ वर्ष से कम नहीं है। क्या इससे कम जीवन देकर ईश्वर जीव को संसार में नहीं भेजता? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (64) शंका :- व्याप्य-व्यापक संबंध का अर्थ समझने में आया। पर उसकी अनुभूति नहीं होती। इसके लिए क्या करना चाहिए? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (65) शंका :- हमारे देश में मूर्ति-पूजा कब से शुरू हुई? हम यदि मूर्ति-पूजा नहीं करते है लेकिन साथ के अन्य लोग कर रहे हैं, तो उनके साथ कैसे रहें? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (66) शंका :- इस जन्म में मांस और शराब बुरा समझते हुऐ हम नहीं खाते हैं या इन्हें बुरा मानकर खाना छोड़ दिया है। अगले जन्म में खाना-पीना नहीं चाहते, क्या ऐसा होगा? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (67) शंका :- मन एक जड़ पदार्थ है । तो मन, शरीर में किस जगह पर रहता है, और मन को कैसे पकड़ा जाए? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (68) शंका :- साठ वर्ष का पिता रिटायर्ड फौजी है। शराब की आदत है। सारी पेन्शन शराब में उड़ा देता है। क्या शराब छुड़ाने का कोई उपाय है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (69) शंका :- मृत शरीर को वैदिक धर्मानुसार जलाते हैं। कुछ वैज्ञानिक कहते है कि शरीर को गाड़ने से जमीन में अच्छी फसल तैयार होती है, और लकड़ी जो आजकल महंगी है, वो बच जाती है। कृपया इसकी विस्तृत जानकारी दें? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (70) शंका :- समाधि अवस्था क्या है? हमने सुना है बहुत सारे संत ‘समाधि अवस्था’ में भगवान के पास गए। यह कैसे संभव है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (71) शंका :- आज वैज्ञानिकों ने जो ‘क्लोन’ बनाया है, क्या वो वैदिक-सि(ांत के अनुकूल है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (72) शंका :- ईश्वर ने मांसाहारी योनियाँ क्यों बनाई? उन्हें इतना बलवान भी क्यों बनाया? उन्हें बलवान बनाकर क्या ईश्वर ने अत्याचारी का साथ देने के बराबर काम नहीं किया? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (73) शंका :- सृष्टि की शुरुआत में लोगों की भाषा कौन सी थी? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (74) शंका :- मनुष्य श्रेष्ठ है, ऐसा शास्त्र कहता है पर जो हिंसा चोरी आदि बुरे काम करते हैं, उन्हें अच्छे-बुरे का पता नहीं चलता। उनके लिए क्या उपाय है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (75) शंका :- क्या जन्म-दिवस (बर्थ डे( मनाना चाहिये? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (76) शंका :- क्या गंगा आदि नदियों मृत व्यक्ति की अस्थियाँ विसर्जन करने में जाना उचित नहीं है? यदि नहीं, तो फिर उन अस्थियाँ का क्या करें? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (77) शंका :- एक समय में एक ही प्रकार का प्राणायाम करना चाहिए। जैसे बाह्य प्राणायाम या आभ्यन्तर-प्राणायाम। दो या तीन प्रकार के प्राणायाम एक साथ क्यों नहीं करना चाहिए। क्या ऐसा करने से कोई हानि है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (78) शंका :- लोग कहते हैं कि आत्मा ही परमात्मा है। और वही लोग कहते हैं, कि ईश्वर एक है। तो जब ईश्वर एक है, तो आत्मा में कैसे आ सकता है? आत्मा तो अनेक हैं। तो आत्मा, परमात्मा कैसे हैं, क्या परमात्मा खंडित-खंडित है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (79) शंका :- संस्कार-दोष और इन्द्रिय-दोष में क्या अंतर है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (80) शंका :- श्रेष्ठ पुरूषों की संकट से ईश्वर तत्काल रक्षा करता है, या कुछ और है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (81) शंका :- चिंतन क्या है और यह कैसे किया जाता है। उसके लिये क्या-क्या चीजें आवश्यक हैं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (82) शंका :- अनेकता में एकता कैसे हो सकती है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (83) शंका :- मुझे पता है कि ईश्वर सर्वव्यापक और निराकार हैं और वही हमारे वास्तविक माता-पिता, पालक-पोषक और रक्षक हैं। फिर भी मैं ईश्वर को अपने माता-पिता की तरह प्रेम नहीं कर सकती। मुझे क्या करना चाहिये, जिससे मैं परमपिता परमात्मा को माता-पिता की तरह प्रेम कर सकूँ? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (84) शंका :- क्या जब हम समाधि अवस्था प्राप्त करें तब ही ईश्वर का अनुभव होगा? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (85) शंका :- क्या कुसंस्कार से आत्मा दबता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (86) शंका :- ध्यान करते समय किस चीज या आकृति का मन में ध्यान किया जाये? उस चीज को या नाम को या भगवान का कहाँ पर ध्यान लगाया जाये। उसका स्थान और उसका स्वरूप बताने की कृपा करें तथा किस आसन में तथा किस समय ध्यान किया जाये? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (87) शंका :- ऐसा हम सुनते हैं, कि- सत्य आचरण करने वालों से ईश्वर प्रसन्न होता है। किन्तु देखा गया है कि असामाजिक तत्त्व, असत्य आचरण करने वाले लोग ज्यादा सुखी हैं। आध्यात्मिक सत्य आचरण करने वाले लोगों को कष्ट अधिक सहन करना पड़ता है। ऐसे समय में ईश्वर के अस्तित्त्व पर संदेह हो जाता है। मोक्ष मिलेगा, जब मिलेगा, तब मिलेगा। लेकिन आज तो भगवान के न्याय कार्य के ऊपर से विश्वास उठ जाता है। कृपया इस स्थिति पर मार्गदर्शन करें? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (88) शंका :- योग में मन के सभी विचारों को पूरी तरह से नहीं रोक पाते हैं तो क्या उन विचारों को रोककर दूसरी ओर लगाना है। मार्गदर्शन कीजिए? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (89) शंका :- हर नया कर्म करते समय मन में पहले शंका उत्पन्न होती है और उसके साथ बाद में भय भी उत्पन्न होता है। ऐसा क्यों? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (90) शंका :- आपने कहा था कि ईश्वर का रंग, रुप आकार कुछ नहीं है। तो ध्यान करते समय निराकार ईश्वर का ध्यान कैसे करें? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (91) शंका :- ‘दण्ड देते समय वाणी में क्रोध लाना पड़े तो लाएँ, किन्तु मन में क्रोध न लाएँ”-ऐसा करना अहिंसा है, ऐसा आपने बतलाया, किन्तु ये असत्य है, क्योंकि मन और वचन की एकरूपता नहीं रही? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (92) शंका :- हमारे निवास स्थान पर मुण्डकोपनिषद् का एक श्लोक लिखा है, जिसमें ओ३म् को धनुष, आत्मा को तीर और ब्रह्म को लक्ष्य बताया गया है। कृपया इसे स्पष्ट करें? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (93) शंका :- जब संसार प्रलय-अवस्था में चला जाता है, तब परमात्मा कुछ करता है या निठल्ला बैठा रहता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (94) शंका :- मोक्ष की अवस्था में जीवात्मा को देखने, सुनने आदि के लिए, नेत्र, श्रोत्र बिना शरीर कैसे मिलते हैं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (95) शंका :- सृष्टि केवल एक है या बहुत सारी हैं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (96) शंका :- जीवात्मा निराकार है या साकार? इस प्रश्न के उत्तर में आपने जीवात्मा को निराकार बतलाया था और कहा था कि वो चेतन है। जो चेतन होता है, वो निराकार होता है और जो जड़ होता है वो साकार होता है। अब प्रश्न बना कि ईश्वर निराकार होने से एक है, परंतु जीवात्मा निराकार होने से अनेक क्यों है? क्या कठोपनिषद् के आचार्य ने जीवात्मा को आकारवान माना है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (97) शंका :- जब शरीर जड़ है, तो इसकी पीड़ा हमें क्यों होती है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (98) शंका :- जैसे कार आदि जड़ वस्तु और आँख, हाथ आदि अपने जड़ अंगों को एक बार नियंत्रित करने पर, वो पर्याप्त समय तक नियंत्रित रहते हैं। परंतु मन, जो कि जड़ है, उसको एक बार नियंत्रित करने पर भी वो बार-बार अनियंत्रित होकर हमारे ध्यान में बाधा डालता ही रहता है, ऐसा क्यों? कृपा करके समझा दें? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (99) शंका :- क्या ईश्वर दयालु है और हम सबका भला चाहता है, तो उसने जीव को काम करने में स्वतंत्र क्यों बनाया? उसने सभी को सुबु(ि क्यों नहीं दी, ताकि कोई बुरा काम कर ही न सके? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (100) शंका :- क्या ब्रह्माण्ड में इस दुनिया के अलावा कहीं और भी ऐसी दुनिया है, जैसी इस पृथ्वी पर है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (101) शंका :- किसी को मारना जीव-हत्या कहलाती है। कीड़े, मच्छर, मक्खियाँ जानबूझकर या अनजाने में मारे जाते हैं, तो क्या ये भी जीव-हत्या कही जाएगी? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (102) शंका :- जब हम वैदिक गणना के अनुसार इस संसार की आयु एक अरब 96 करोड़, इतना वर्ष कहते हैं, तो यह गणना हमारी पृथ्वी अर्थात् सौरमंडल की है अथवा समस्त दृश्य-अदृश्य ब्रह्माण्ड की? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (103) शंका :- ईश्वर, उपासना करना कठिन लगता है। जबकि हम दिनभर मन में सांसारिक बातें खूब सोचते हैं। वह सरल लगता है। ऐसा क्यों है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (104) शंका :- ईश्वर को पाने के लिए क्या यह आवश्यक है कि संध्या, उपासना आदि संस्कृत में बोलकर की जाये। अब अगर वेद हिन्दी में लिखे गये हैं, तो मंत्र भी हिन्दी में होंगे। इसलिए संध्या उपासना भी क्या हिन्दी में की जा सकती है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (105) शंका :- किस प्रकार के कर्मों के आधार पर स्त्री या पुरूष का जन्म मिलता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (106) शंका :- मृत्यु के उपरांत मस्तिष्क भस्म हो जाता है, हृदय भी भस्म हो जाता है, फिर इसमें संस्कार कैसे संचित रह सकते हैं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (107) शंका :- ईश्वर और जीव दोनों चेतन हैं। जीव में इच्छा, द्वेष, प्रयत्न, क्रिया, सुख-दुःख आदि गुण हैं, क्या ईश्वर में भी ये गुण होते हैं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (108) शंका :- क्या गीता का उपदेश भगवान श्री कृष्ण का है। यदि है, तो यु( स्थल में इतना अठारह अध्यायों का उपदेश कैसे संभव है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (109) शंका :- जीवात्मा’ का स्थान मनुष्य ‘शरीर’ के अंदर कहाँ है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (110) शंका :- जीवात्मा एक शरीर को छोड़ दे, तो दूसरे शरीर में जाने के लिए उसको कितना समय लगता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (111) शंका :- चारों युग की गणना कीजिए? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (112) शंका :- ईश्वर ने मनुष्य को कैसा रूप धारण करके ज्ञान दिया, मनुष्य रूप से या आकाशवाणी से। कृपया समाधान किया जाए? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (113) शंका :- वेद की उत्पत्ति कैसे हुई? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (114) शंका :- ईश्वर निराकार है, तो योग द्वारा ईश्वर का किस रूप में साक्षात्कार होता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (115) शंका :- समाधि लगने पर अर्न्तज्ञान प्राप्त होता है। )षि-काल में )षि लोग अर्न्तज्ञान से कैसा जानते थे? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (116) शंका :- कृपया गुणकर्म स्वभाव की परिभाषाएँं बतलाइए। तीनों में क्या भेद है? ईश्वर के गुण-कर्म स्वभाव अलग-अलग बताइए। क्योंकि इनके ओवरलेपिंग होने के कारण कन्फ्यूजन रहता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (117) शंका :- आपने कहा, ईश्वर निराकार है। परछाई (प्रतिबिंब( का आकार दिखता तो है, लेकिन परछाई, (प्रतिबिंब( पकड़ नहीं सकते? फिर हम निराकार ईश्वर को कैसे पकड़ेंगे? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (118) शंका :- भारत में महिला और पुरुष दोनों को समान दर्जा प्राप्त है। लेकिन विवाह के बाद महिलाओं के पास मंगलसूत्र और सिंदूर रहता है। वो उनकी विवाहित होने की पहचान है। लेकिन विवाहित पुरूषों की क्या पहचान है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (119) शंका :- आदिकाल से सृष्टि की उत्पत्ति और प्रलय होता चला आ रहा है, तो क्या इससे यह मान सकते हैं कि उत्पत्ति व प्रलय का जो क्रम है, कभी उसकी शुरूआत हुई होगी, और इसका अन्त भी आएगा, क्योंकि हर कार्य की शुरूआत और अन्त होता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (120) शंका :- आत्मा के संयोग से ‘जड़-शरीर’ चेतन लगता है। ‘चेतन-ईश्वर’ जड़ पदार्थों, जैसे कि- दीवार, पत्थर आदि में है, तो ये चेतन क्यों नहीं दिखते? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (121) शंका :- यदि मांसाहार का निषेध कर दिया जाये, तो मांस पर निर्भर लोगों की रोजी-रोटी का क्या प्रबंध है। वो क्या करेंगे? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (122) शंका :- आप कहते हैं, कि क्रोध नहीं आना चाहिए। परशुराम, द्रोणाचार्य जैसे तपस्वी लोग क्रोधी थे फिर भी दुनिया उनकी पूजा क्यों करती है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (123) शंका :- ‘जैसा खाये अन्न, वैसा बने मन। जैसा पिये पानी, वैसी बने वाणी। जैसा करे संग, वैसा चढ़े रंग।” तो मित्रों के, रिश्तेदारों आदि के घर में भ्रष्टाचार का धन आता है और वहाँ जाना ही होता है। वहाँ का अन्न, पानी ग्रहण न करने पर संबंध बिगड़ते हैं। और यदि स्वीकार करेंगे, तो मन बिगड़ेगा। बताइये क्या करना चाहिये? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (124) शंका :- द्रोपदी का चीरहरण चुपचाप देखते रहना, क्या भीष्मपितामह जैसे महान व्यक्ति की कमजोरी नहीं दर्शाता? कहते है, कि कौरवों का अन्न खाने से उनकी बु(ि मलीन हो गई थी। हम भी इतना दूषित भोजन खाते हैं, तो क्या हमारी बु(ि भी मलीन हो गई है। फिर योग धर्म कैसे असर करेगा? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (125) शंका :- पुरुषार्थ-चतुष्ट्य में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष है। इसमें ‘काम’ से क्या अभिप्राय है। क्या मोक्ष की प्राप्ति हेतु प्रारंभ के तीन पुरूषार्थ साधने आवश्यक हैं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (126) शंका :- सब मनुष्यों को सामाजिक सर्व-हितकारी नियम पालन में स्वतंत्र रहना चाहिए और प्रत्येक हितकारी नियम में सब स्वतंत्र रहें। इस नियम का क्या अर्थ है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (127) शंका :- जब ध्यान में बैठा जाये, तो क्या देखने का प्रयत्न किया जाये। अंधकार, प्रकाश, ओम, प्रतीक या कुछ और? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (128) शंका :- वेद के होते हुए भी ‘गीता’ का उपदेश देने का क्या प्रयोजन है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (129) शंका :- क्या व्यक्ति को बुरे कर्म करने के पश्चात अन्य सभी योनियों को भोगना पड़ेगा अथवा कुछ योनियों के पश्चात् वापस मानव जन्म मिलेगा? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (130) शंका :- क्या हजारों वैज्ञानिकों की तुलना में एक ब्रह्मवेत्ता द्वारा संसार का उपकार अधिक होता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (131) शंका :- योगाभ्यास को कष्ट न समझकर करें, तो क्या उसमें सफलता मिल सकती है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (132) शंका :- जहाँ अपना अनुभव काम नहीं कर पा रहा हो, स्थिति डावाँडोल हो रही हो, तब योगाभ्यासी किसके आधार पर दृढ होता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (133) शंका :- हमारा ज्ञान सत्य है, या नहीं। यह जानने के लिये अपने ज्ञान की तुलना किसके ज्ञान के साथ करनी चाहिये? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (134) शंका :- श्रीराम ने बाली का वध छुपकर के किया, और छुपकर के दुश्मन को मारना या किसी को मारना, यह तो गद्दारी है। ऐसा कुछ लोग कहते हैं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (135) शंका :- यदि मन जड़ है, तो ‘मन’ बंधन और ‘मोक्ष’ का कारण कैसे है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (136) शंका :- ईश्वर ने सृष्टि बनाई, यह कैसे सि( करें? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (137) शंका :- समाधि की प्राप्ति में गुरू का कितना सहयोग चाहिये? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (138) शंका :- मोक्ष में आत्मा के साथ में मन, बु(ि, चित्त, कारण शरीर आदि रहते हैं या नहीं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (139) शंका :- स्वार्थ की व्याख्या करें? कृपया तीन-चार व्यावहारिक उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (140) शंका :- किसी ने चोरी की और भगवान ने नहीं देखा। क्या यह हो सकता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (141) शंका :- मोक्ष में जीवात्मा आनंद का अनुभव कैसे करता है। क्या वह समझता है, कि आनंद प्राप्त कर रहा है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (142) शंका :- हम अध्यापक हैं, और हमारे विद्यार्थी बार-बार कहने पर भी मानते नहीं, तो हमें गुस्सा आता है। क्या यह सही है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (143) शंका :- शंका-प्रकृति तीन तत्त्वों का समुदाय है? इनमें सत्त्व प्रकाशशील, सुखस्वरूप, रजोगुण क्रियाशील, तमोगुण स्थितिशील है। प्रकृति से बने संसार अर्थात् विकृति में ये तीनों गुणों को देखकर ऐसा संदेह होता है कि ये गुण ही स्वयं विकृति करते हैं। फिर सृष्टि निर्माण में ईश्वर की क्या और क्यों आवश्यकता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (144) शंका :- मोक्ष की इच्छा एक कामना है, मोक्ष की कामना से किया हुआ निष्काम कर्म सकाम हो सकता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (145) शंका :- जो संन्यासी होते हैं, उनका मुख्य लक्ष्य ईश्वर को प्राप्त करना अथवा समाधि प्राप्त करना होता है। एक योगाभ्यासी बनने के लिये हमें लोभ, मोह, लालच नहीं करना चाहिये। सवाल उठता है, कि क्या ईश्वर को प्राप्त करना लोभ, मोह, लालच नहीं है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (146) शंका :- सर्वार्न्तयामी’ का अर्थ क्या है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (147) शंका :- मुझे गुस्सा बहुत आता है। कृपया उपाय बतलायें? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (148) शंका :- कृपया द्वेष के पर्यायवाची बतलायें। द्वेष का अर्थ, बुरा लगना, अच्छा न लगना, घृणा करना, विरोधी समझना, गलत भावना बना लेना, क्या ठीक है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (149) शंका :- तेजो असि तेजो महि घेही’। इस मंत्र में हमने ईश्वर से क्रोध की और सहन-शक्ति की भी प्रार्थना की है। जो दोनों मुझे विरू(ार्थी लगते हैं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (150) शंका :- हम लोग बेल्ट, जूता, चप्पल आदि चमड़े से बनी वस्तुओं का प्रयोग करते हैं, तो क्या ये अप्रत्यक्ष रूप से हिंसा है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (151) शंका :- राजनीतिज्ञों की अहिंसा किस कोटि में रखनी चाहिए? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (152) शंका :- व्यक्ति किसी डेढ़ साल की बच्ची के साथ बलात्कार कर जान से मार देता है। वो पकड़ा जाता है। जज उसकी सजा फांसी के रूप में देता है। यह हिंसा है या अहिंसा? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (153) शंका :- कीट, पतंग, मच्छर को लार्बा-ट्रीटमेन्ट से विनिष्ट करते हैं। यह कर्म करना चाहिये या नहीं, और इस कर्म का फल क्या होगा? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (154) शंका :- किसी ने वृक्ष को योनि माना है और किसी ने नहीं माना है, इसमें से कौन सा पक्ष सत्य है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (155) शंका :- क्या वृक्षों में ज्ञान भी होता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (156) शंका :- शंका- वृक्ष में जीवन है या नहीं है? क्या वनस्पति में आत्मा होती है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (157) शंका :- एक की जमीन पर दूसरा ताकतवर होने के नाते कब्जा कर ले। तो क्या साधक वही तीन शब्द कहकर छोड़ दें कि ‘कोई बात नहीं’, अथवा फिर क्या करें? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (158) शंका :- क्या सृष्टि के आदि में जितनी आत्मायें थी, उतनी ही आज हैं अथवा कम या ज्यादा होती रहती हैं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (159) शंका :- आत्मा’ अणु के बराबर होती है जबकि चेतना हमारे सारे शरीर में व्याप्त है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (160) शंका :- आत्मा का क्या परिमाण है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (161) शंका :- जीवात्मा का स्वरूप क्या है? क्या जीवात्मा निराकार है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (162) शंका :- मैं नेत्रहीन हूँ, पर स्वप्न क्यों आते हैं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (163) शंका :- मृत्यु से भय क्यों लगता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (164) शंका :- वृक्षों’ के अंदर ‘जीवात्मा’ कहाँ रहता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (165) शंका :- वृक्ष में भी आत्मा है तो वनस्पति खाना, प्रयोग में लाना ठीक नहीं है, उसे हम किस अधिकार से दण्डित करें? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (166) शंका :- बेटा अपने पिता पर न्यायपूर्वक क्रोध करता है, वह हिंसा है या अहिंसा है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (167) शंका :- कृषि करने के दौरान केंचुआ आदि छोटे जीवों की मृत्यु हो जाती है। फिर हम हिंसावादी हुए कि नहीं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (168) शंका :- पाकिस्तानी हमारे जवानों को बार-बार धोखे से मारते हैं, क्या हमें उनको नहीं मारना चाहिए? मारना हिंसा है, तो क्या करे? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (169) शंका :- योगदर्शन में’अहिंसा’ का क्या अर्थ है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (170) शंका :- आयुर्वेद में लिखा है, कि ‘मांस खिलाओ और वह वैद्य माँस खिलाये, तो क्या उसको पाप नहीं लगेगा।’ समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (171) शंका :- हमें किस सीमा तक सहनशील होना चाहिऐ और कब प्रतिकार करना चाहिए? यदि कोई माता-पिता का अपमान करे तो क्या सहन करना उचित होगा? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (172) शंका :- रोग दूर करने के लिए और स्वच्छता के लिए आज कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल अनिवार्य हो गया है, क्या ऐसा करना भी हिंसा करना होगा? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (173) शंका :- दुष्ट-प्रकृति के लोग हमारे साथ हिंसा कर दें, तो किस-किस अवस्था में हम कैसा-कैसा व्यवहार करें? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (174) शंका :- व्यक्ति के साथ कब तक संयमित व्यवहार करें? वह भी घर का ही सदस्य हो तो? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (175) शंका :- क्या कोई आत्मा अन्य आत्मा में प्रवेश कर उस जीवात्मा को प्रभावित करके सता सकता है। क्या मृत शरीर में अन्य आत्मा घुस सकता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (176) शंका :- कारण-शरीर’ और ‘सूक्ष्म-शरीर’ कैसे बनते हैं। और आत्मा के साथ इनका सम्बन्ध कब तक रहता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (177) शंका :- मन जड़ है। इसमें क्षण-क्षण में अलग-अलग स्मृति व विचार उठते हैं और वह इधर-उधर दौड़ता है, यह कैसे? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (178) शंका :- क्षिप्त, मूढ़, विक्षिप्त, एकाग्र और निरू( मन की इन पांच अवस्थाओं को समझाने की कृपा करें? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (179) शंका :- रजोगुण से चंचलता होती है, तमोगुण से मूढ़ता होती है, तो विक्षिप्त अवस्था किस गुण से होती है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (180) शंका :- क्या सूक्ष्म-इच्छाएँ ‘सब-कांशियस-माइंड’ में उत्पन्न होती हैं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (181) शंका :- सूक्ष्म-इच्छाओं’ से आपका क्या तात्पर्य है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (182) शंका :- क्या कोई व्यक्ति दूसरे के मन को नियंत्रित करके चला सकता है? यदि हाँ, तो बिना आत्मा के प्रवेश के यह कैसे संभव है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (183) शंका :- शरीर, आत्मा और मन इनमें क्या संबंध है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (184) शंका :- क्या हम किसी को अपने वश में कर सकते हैं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (185) शंका :- दूसरे को प्रसन्न करने के लिये असत्य न बोलें। किन्तु असत्य बोलने से यदि दर्द ठीक हो जाता है, तो डॉक्टर को असत्य बोलने में क्या आपत्ति है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (186) शंका :- कहते हैं ”’सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात्सत्यमप्रियम” ? अर्थात् सत्य बोलें, मीठा बोलें, कड़वा सत्य न बोलें। तो शंका यह है, कि क्या अपवाद रूप में ‘झूठ बोलना’ भी धर्म हो सकता है? ख् समाधान- वेदों में कहा है ”सत्यं वक्ष्यामि नानृतम्” और मनु महाराज कहते हैं ”’सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात्सत्यमप्रियम” ? अर्थात् सत्य बोलें, मीठा बोलें, कड़वा सत्य न बोलें। तो शंका यह है, कि मनुजी के अनुसार- सत्य न बोलें। अर्थात् क्या अपवाद रूप में ‘झूठ बोलना’ भी धर्म हो सकता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (187) शंका :- अपने देश-धर्म के लिये झूठ बोलना पाप है या नहीं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (188) शंका :- एक कसाई गाय को ले जा रहा है। गाय दौड़ गई और एक साधक ने देख लिया। अब गाय की जान बचानी है, तो साधक सच बोले या झूठ बोले? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (189) शंका :- जब मैं ‘ध्यान’ में बैठता हूँ तो स्तुति,प्रार्थना,उपासना करते समय ‘रोना’ आता है? ऐसा क्यों होता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (190) शंका :- यज्ञ करने से योगाभ्यास में क्या सहायता मिलती है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (191) शंका :- क्या घर में धर्मपत्नी के साथ किया गया हवन ही ”सम्पूर्ण-यज्ञ” कहलाता है। ‘यज्ञ’ करने से क्या ‘लाभ’ होता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (192) शंका :- माँसाहार पाप है और लाश खाने के समान है। आजकल दुनिया में अधिकांश लोगों को ऐसा करते देखते हैं, तो क्या उनको मोक्ष प्राप्ति नहीं हो सकती? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (193) शंका :- यदि मनुष्य पुरुषार्थ करता है और उसका फल नहीं मिला अथवा न्यून मिला तो दोषी कौन है, भाग्य या हम? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (194) शंका :- क्या कभी चर-अचर जीव जब मनुष्य योनि में थे, एक से अधिक बार मोक्ष भोग चुके हैं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (195) शंका :- कोई धनी व्यक्ति जो कि गरीबों का खून चूसकर धन एकत्र करता है, यदि कोई व्यक्ति उसे लूटकर वोधन गरीबों में बाँट देता है तो क्या उसे भी ईश्वर के द्वारा दंड मिलेगा? इन दोनों में से अधिक दंड किसको मिलेगा? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (196) शंका :- आपने कहा था, हम लोग मोक्ष से धरती पर आए हैं। अगर हमें फिर मोक्ष मिले तो हमें मोक्ष में भी इस बात का भय, दुःख, चिंता लगी रहेगी कि हम कहीं वापस धरती पर न चले जाएं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (197) शंका :- क्या मोक्ष के बाद जन्म होता है? यदि हाँ, तो जब हमें फिर से सांसारिक दुःख उठाने पड़ेंगे तो फिर मोक्ष का लाभ ही क्या रहा? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (198) शंका :- एक महिला ने अपने पति की क्रूरता एवं अत्याचार से लाचार होकर एक रात मौका देखकर उसकी हत्या कर दी। उसके अलावा उसके पास और कोई रास्ता नहीं बचा था। क्या उसे परमात्मा दंड देगा, जो सजा यहाँ काट ली, क्या वह कम हो जाएगी? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (199) शंका :- यह कैसे साबित हो कि अच्छे कार्य करने से व्यक्ति मोक्ष में जाता है? क्या अभी तक कोई भी व्यक्ति मोक्ष में गया है? अगर हाँ तो आपको कैसे ज्ञान हुआ कि वो व्यक्ति मोक्ष में गया है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (200) शंका :- ईश्वर के द्वारा संसार बनाने से पूर्व जीव ने कर्म कहाँ किए, कर्मफल के लिये जगत् कैसे बनाया? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (201) शंका :- 98. शंका- जब मनुष्य अच्छे कर्म करता है, ईश्वर की भक्ति करता है तो उसे मोक्ष प्राप्त होता है। मोक्ष के समय के बाद वो फिर जन्म लेता है और अच्छे कर्म करता है तो भगवान का मनुष्य को बार-बार जीवन देने का क्या उद्देश्य है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (202) शंका :- जब प्रारब्ध से किसी कर्म का फल रोग के रूप में मिलना ही है, कर्म का दंड मिला है तो उसे भोगें, रोगी बने रहें, इलाज क्यों करवाते हैं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (203) शंका :- मन में आते हुए विचारों को कैसे रोकें? संध्या, ध्यान आदि में अनेक विचारों से एकाग्रता टूट जाती है। क्या करें? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (204) शंका :- प्राणी-मात्र को कर्म के अनुसार दुःख मिलना लिखा ही है तो फिर उनको दुःख भोगने देना चाहिए। तो शास्त्रों में क्यों लिखा है कि प्राणी-मात्र की सेवा, सहायता करनी चाहिए? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (205) शंका :- आत्मा ही मन में विचार उठाती है और जीवात्मा शु(-स्वरूप होती है, तो फिर मन में चोरी-व्यभिचार, हिंसा, असत्य आदि अनुचित अशु( विचार क्यों आते हैं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (206) शंका :- क्या ‘मन’ पर पड़े ‘संस्कारों’ के विरू( भी ‘आत्मा’ कार्य कर सकता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (207) शंका :- चित्त परिवर्तनशील है। कभी सत्त्व गुण, कभी तमोगुण, कभी रजोगुण प्रधान होता रहता है। क्या खान-पान से ऐसा होता है? कहते हैं- ‘जैसा खाए अन्न, वैसा बने मन’। समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (208) शंका :- मन, बु(ि और अहंकार क्या काम करते हैं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (209) शंका :- क्या मन जड़ है, उसका आकार कितना है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (210) शंका :- कृपया बु(ि, मन के बारे में विश्लेषण कीजिये? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (211) शंका :- आपके अनुसार हमें परमात्मा का साक्षात्कार और मोक्ष की प्राप्ति करनी चाहिए, परंतु शहीद भगत सिंह और अन्य स्वतंत्रता सेनानी अगर वैराग्य वाले रास्ते पर चलते, तो क्या हमें स्वतंत्रता मिलती? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (212) शंका :- आपने कहा था कि पचास प्रतिशत पाप और पचास प्रतिशत पुण्य हैं, तो साधारण मनुष्य का जन्म मिलता है। लेकिन यदि चपरासी, मजदूर आदि के यहाँ जन्म लेने के बाद चपरासी को एक करोड़ की लॉटरी लग जाए तो, इसे क्या समझना? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (213) शंका :- मनुष्य का जन्म पहला है कि अन्य प्राणियों का? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (214) शंका :- जो मनुष्य जन्म से ही अपाहिज होता है, मंद-बु(ि होता है। जिसका दुःख पैदा होने वाली संतान और माता-पिता दोनों को मिलता है। तो यह किसका कर्मफल है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (215) शंका :- मिश्रित कर्म’ क्या है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (216) शंका :- क्रियात्मक-योगाभ्यास नामक पुस्तक में आया है कि बिना ‘ईश्वर दर्शन’ के ‘अज्ञान’ का नाश नहीं होगा। योगाभ्यास तथा ज्ञान के बिना ईश्वर-दर्शन संभव नहीं है। लेकिन ईश्वर के ज्ञान के पश्चात् भी कोई सूक्ष्म-अज्ञान आत्मा से लिपटा रहता है। ऐेसा क्यों? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (217) शंका :- कोई व्यक्ति शादी करके मोक्ष को प्राप्त कर सकता है या नहीं? श्री राम और कृष्ण जी भी तो गृहस्थ ही थे। फिर उनको योगी क्यों कहा गया है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (218) शंका :- स्वामी सत्यपति जी ने इतने अच्छे कर्म किए, फिर भी उन्हें रोगों से क्यों पीड़ित होना पड़ रहा है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (219) शंका :- किस प्रकार के कर्मों के आधार पर स्त्री या पुरुष का जन्म मिलता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (220) शंका :- क्या मनुष्यों के अतिरिक्त कुत्ते आदि पशु-पक्षियों को भी कर्म करने की स्वतंत्रता है? क्या इन्हें पुण्य-पाप लगता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (221) शंका :- क्या पूर्व जन्म के संस्कार से कोई चार-पांच साल का बच्चा, पच्चीस-तीस साल के साधक जितनी योग्यता प्राप्त कर सकता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (222) शंका :- क्या अपनी योगशक्ति के द्वारा योगी शक्तिपात का प्रयोग कर वेदार्थ संबंधी ज्ञान संक्रमित कर सकता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (223) शंका :- क्या यह बात सत्य है कि अभिमन्यु माँ के पेट में ही चक्रव्यूह के अंदर जाना सीख गया था? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (224) शंका :- वरदान या श्राप देना क्या संभव है? नहीं, तो फिर वह क्या है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (225) शंका :- अकाल मृत्यु हो जाती है, तो उसका जन्म कब होता है, और किस योनि में होता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (226) शंका :- जीवात्मा शरीर छोड़ने के वक्त कहाँ जाता है? और शरीर छोड़ने के बाद उसकी स्थिति, पुर्नजन्म कैसे होता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (227) शंका :- ईश्वर, मनुष्य जीवन का निर्माण क्यों करता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (228) शंका :- कर्म का फल भोगने के बाद संस्कार नष्ट हो जाते हैं या बने रहते हैं? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (229) शंका :- संस्कार-विधि में बालक के जात-कर्म संस्कार के समय, तिथि और तिथि के देवता, नक्षत्र और नक्षत्र के देवता की आहुति का विधान किया गया है। उन्होंने लिखा है-गृहस्थ व्यक्ति यदि दैनिक यज्ञ नहीं कर सकता है, तो कम से कम पूर्णिमा व अमावस्या के दिन यज्ञ अवश्य करे। इन दो विशेष दिनों का क्या महत्व है? क्या चंद्रमा का घटना और बढ़ना हमारे जीवन पर प्रभाव डालता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (230) शंका :- अच्छे या बुरे कर्मों का फल अगले जन्म में ही मिलता है, इसी जन्म में क्यों नहीं मिलता? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (231) शंका :- क्या किसी मंत्र के जाप से या यज्ञ करने से कष्ट दूर हो सकते हैं? जबकि सुना यह जाता है – ”अवश्यमेव भोक्तव्यम् कृतम् कर्म शुभाशुभम्।” समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (232) शंका :- आज सुबह हम ध्यान में मन नहीं लगा पाए। जब गुरुजी ने कहा कि – अपनी हथेलियाँ घर्षण करके आँखों में लगाओ, उसी समय मैंने कल्पना में देखा कि हम हवन में बैठे हैं और एक लड़की आई और रखा हुआ दीपक बुझा दिया। तब से मेरा मन परेशान है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (233) शंका :- डिस्कवरी चैनल में भूत-प्रेत की कथाएं और कथित घटनाओं का ब्यौरा दे रहे हैं। सारे घटित दृश्य भी दिखाते हैं। क्या यह असत्य है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (234) शंका :- क्या झाड़-फूँक करने वाले बाबाजी अथवा टोटके आदि करने वाले बाबाजी सब कोरा ढोंग मात्र हैं। तो फिर झाडू मारने से मिर्गी कैसे भाग गई? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध (235) शंका :- क्या जादूगरी आँखों का धोखा होता है? समाधान कर्ता :- स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक , विषय :- विविध

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