Tuesday, 7 November 2017

खेचरी

यह नवंबर विकिपीडिया एशियाई माह है. हमारे साथ शामिल हो जाएं. मुख्य मेनू खोलें खोजें 3 संपादित करेंध्यानसूची से हटाएँ।किसी अन्य भाषा में पढ़ें खेचरी खेचरी योगसाधना की एक मुद्रा है। इस मुद्रा में चित्त एवं जिह्वा दोनों ही आकाश की ओर केंद्रित किए जाते हैं जिसके कारण इसका नाम 'खेचरी' पड़ा है (ख = आकाश, चरी = चरना, ले जाना, विचरण करना)। इस मुद्रा की साधना के लिए पद्मासन में बैठकर दृष्टि को दोनों भौहों के बीच स्थिर करके फिर जिह्वा को उलटकर तालु से सटाते हुए पीछे रंध्र में डालने का प्रयास किया जाता है इसके लिये जिह्वा को बढ़ाना आवश्यक होता है। जिह्वा को लोहे की शलाका से दबाकर बढ़ाने का विधान पाया जाता है। कौल मार्ग में खेचरी मुद्रा को प्रतीकात्मक रूप में 'गोमांस भक्षण' कहते हैं। 'गौ' का अर्थ इंद्रिय अथवा जिह्वा और उसे उलटकर तालू से लगाने को 'भक्षण' कहते हैं। बाहरी कड़ियाँ संपादित करें खेचरी मुद्रा और रसानुभूति (अखण्ड ज्योति, जून १९७७) खेचरी मुद्रा से मिलती है समाधि और सिद्धि (वेबदुनिया) जानें खेचरी मुद्रा के बारे में (भारत योगी) संवाद Last edited 3 years ago by Sanjeev bot RELATED PAGES गोमांस भक्षण समष्टि अर्थशास्त्र उलटबाँसी सामग्री CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उल्लेख ना किया गया हो। गोपनीयताडेस्कटॉप

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