Thursday, 9 November 2017

राम मन्त्र का तात्पर्य

dariyavji राम मन्त्र का तात्पर्य  Govats Radhe 2 years ago Advertisements   श्री राम और राममन्त्र : तात्पर्य ————————- वास्तव में राम अनादि ब्रह्म ही हैं। अनेकानेक संतों ने निर्गुण राम को अपने आराध्य रूप में प्रतिष्ठित किया है। राम नाम के इस अत्यंत प्रभावी एवं विलक्षण दिव्य बीज मंत्र को सगुणोपासक मनुष्यों में प्रतिष्ठित करने के लिए दाशरथि राम का पृथ्वी पर अवतरण हुआ है। कबीरदास जी ने कहा है – आत्मा और राम एक है- ‘ आतम राम अवर नहिं दूजा।’ राम नाम कबीर का बीज मंत्र है। राम नाम को उन्होंने अजपाजप कहा है। यह एक चिकित्सा विज्ञान आधारित सत्य है कि हम २4 घंटों में लगभग २१६०० श्वास भीतर लेते हैं और २१६०० बाहर निकालते हैं। इसका संकेत कबीरदास जी ने इस उक्ति में किया है– ‘ सहस्र इक्कीस छह सै धागा, निहचल नाकै पोवै।’ मनुष्य २१६०० धागे नाक के सूक्ष्म द्वार में पिरोता रहता है। अर्थात प्रत्येक श्वास – प्रश्वास में वह राम का स्मरण करता रहता है। राम शब्द का अर्थ है – ‘रमंति इति रामः’ जो रोम-रोम में रहता है, जो समूचे ब्रह्मांड में रमण करता है वही राम हैं। इसी तरह कहा गया है – ‘रमन्ते योगिनो यस्मिन स रामः’ अर्थात् योगीजन जिसमें रमण करते हैं वही राम हैं। इसी तरह ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है – ‘ राम शब्दो विश्ववचनो, मश्वापीश्वर वाचकः’ अर्थात् ‘रा’ शब्द परिपूर्णता का बोधक है और ‘म’ परमेश्वर वाचक है। चाहे निर्गुण ब्रह्म हो या दाशरथि राम हो, विशिष्ट तथ्य यह है कि राम शब्द एक महामंत्र है। वैज्ञानिकों के अनुसार मंत्रों का चयन ध्वनि विज्ञान को आधार मानकर किया गया है। राम मन्त्र का अर्थ ————— ‘ राम ‘ स्वतः मूलतः अपने आप में पूर्ण मन्त्र है। ‘र’, ‘अ’ और ‘म’, इन तीनों अक्षरों के योग से ‘राम’ मंत्र बनता है। यही राम रसायन है। ‘र’ अग्निवाचक है। ‘अ’ बीज मंत्र है। ‘म’ का अर्थ है ज्ञान। यह मंत्र पापों को जलाता है, किंतु पुण्य को सुरक्षित रखता है और ज्ञान प्रदान करता है। हम चाहते हैं कि पुण्य सुरक्षित रहें, सिर्फ पापों का नाश हो। ‘अ’ मंत्र जोड़ देने से अग्नि केवल पाप कर्मो का दहन कर पाती है और हमारे शुभ और सात्विक कर्मो को सुरक्षित करती है। ‘म’ का उच्चारण करने से ज्ञान की उत्पत्ति होती है। हमें अपने स्वरूप का भान हो जाता है। इसलिए हम र, अ और म को जोड़कर एक मंत्र बना लेते हैं-राम। ‘म’ अभीष्ट होने पर भी यदि हम ‘र’ और ‘अ’ का उच्चारण नहीं करेंगे तो अभीष्ट की प्राप्ति नहीं होगी। राम सिर्फ एक नाम नहीं अपितु एक मंत्र है, जिसका नित्य स्मरण करने से सभी दु:खों से मुक्ति मिल जाती है। राम शब्द का अर्थ है- मनोहर, विलक्षण, चमत्कारी, पापियों का नाश करने वाला व भवसागर से मुक्त करने वाला। रामचरित मानस के बालकांड में एक प्रसंग में लिखा है – नहिं कलि करम न भगति बिबेकू। राम नाम अवलंबन एकू।। अर्थात कलयुग में न तो कर्म का भरोसा है, न भक्ति का और न ज्ञान का। सिर्फ राम नाम ही एकमात्र सहारा हैं। स्कंदपुराण में भी राम नाम की महिमा का गुणगान किया गया है – रामेति द्वयक्षरजप: सर्वपापापनोदक:। गच्छन्तिष्ठन् शयनो वा मनुजो रामकीर्तनात्।। इड निर्वर्तितो याति चान्ते हरिगणो भवेत्। –स्कंदपुराण/नागरखंड अर्थात यह दो अक्षरों का मंत्र(राम) जपे जाने पर समस्त पापों का नाश हो जाता है। चलते, बैठते, सोते या किसी भी अवस्था में जो मनुष्य राम नाम का कीर्तन करता है, वह यहां कृतकार्य होकर जाता है और अंत में भगवान विष्णु का पार्षद बनता है। “राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे । सहस्र नाम तत्तुल्यं राम नाम वरानने ।।” –जय श्रीमन्नारायण। Advertisements Categories: Uncategorized Leave a Comment dariyavji Blog at WordPress.com. Back to top

No comments:

Post a Comment