Thursday, 9 November 2017

मंगलमयी मधु विद्या

All World Gayatri Pariwar Books गायत्री सर्वतोन्मुखी समर्थता... मंगलमयी मधु विद्या 🔍 INDEX गायत्री सर्वतोन्मुखी समर्थता की अधिष्ठात्री मंगलमयी मधु विद्या   |     | 8  |     |   वृहदारण्यक उपनिषद् में जिस मधुविद्या का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है, उसका सम्बन्ध गायत्री से ही है। जिस प्रकार पारस मणि के सम्पर्क से लोहे के टुकड़ों का ढेर भी सोना हो जाता है। उसी प्रकार इन संसार की अनेक कडुई, कुरूप, कष्टदायक, प्रतिकूल वस्तुएँ तथा परिस्थितियाँ उसके लिए मधुर, सौन्दर्ययुक्त, सुखदायक एवं अनुकूल बन जाती हैं। गायत्री के तीनों चरण समस्त सृष्टि को अपने लिए आनन्दपूर्ण मधुमय बना देने की शक्ति से परिपूर्ण है। नदियों को जलपूर्ण, समुद्र को रत्न और औषधि वनस्पतियों को जीवनी शक्ति से परिपूर्ण गायत्री का प्रथम चरण बनाता है। रात्रि और दिन किसी प्रकृति विपरीतता से तूफान, भूचाल, अति वृष्टि, शीतोष्ण की अधिकता जैसी विकृतियों से बच कर हितकर वातावरण से आनन्दमय रहें, पृथ्वी के परमाणु पर्याप्त मात्रा में अन्न धातु, खनिज, रत्न आदि प्रदान करते रहें तथा द्युलोक की मंगलमयी किरणें पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहें, ऐसी शक्ति गायत्री के दूसरे चरण में है। गायत्री का तीसरा चरण सूर्य की उत्पादन, प्रेरक एवं विकासोन्मुख शक्तियों को नियन्त्रित एक आवश्यक मात्रा में पृथ्वी पर आह्वान करता है। न तो सूर्य की शक्ति- किरण पृथ्वी पर इतनी अधिक आवें कि ताप से जीवन रस जले और न उसकी इतनी न्यूनता हो कि विकास क्रम में बाधा पड़े ।। चूँकि वनस्पतियाँ, जन्तु एवं जड़ चेतन सभी अपना जीवन- तत्व सूर्य से प्राप्त करते हैं। मानव प्राणी की चेतना एवं विशेष प्राण क्षमता भी सूर्य पर ही अवलम्बित है। इस विश्व प्रसविता सविता पर गायत्री शक्ति के आधार पर स्थित रख सकना सम्भव हो सकता है। गायत्री में अध्यात्म तत्व तो प्रधान- रूप से है ही, वह आत्मबल और अन्तर्जगत् की अगणित सूक्ष्म शक्तियों को विकसित करके मनुष्य को इस पृथ्वी तल का देवता तो बना ही सकता है, साथ ही स्थूल सृष्टि में काम करने वाली सभी भौतिक शक्तियों पर उसका नियन्त्रण है। इस विकास को प्राचीनकाल में जब आत्मदर्शी लोग जानते थे, तब इस संसार को ही नहीं ,, अन्य लोकों की स्थिति भी शांतिमय, मधुरिमा से पूर्ण बनाये रख सकने में समर्थ थे। भारतवर्ष का यही विज्ञान किसी समय उसे अत्यधिक ऊँची सम्मानास्पद  स्थिति में रखे हुए था। आज इसी को खोकर हम मणिहीन सर्प की तरह दीन- हीन एवं परमुखापेक्षी बने हुए हैं। गायत्री में सन्निहित मधु विद्या का उपनिषदों में वर्णन इस प्रकार है- तत्सवितुर्वरेण्यम्। मधुवाता ऋतायते मधक्षरन्ति सिन्धवः। माध्वीर्नः सन्त्वोषधीः ।। भू स्वाहा भर्गोदेवस्य धीमहि। मधुनक्त मतोषसो मधुमत्यार्थिव रजः ।। मधुद्यौररस्तु नः पिता। भुवः स्वाहा, धियो योनः प्रचोदयात्। मधु मान्नो वनस्पतिमधू मा अस्तु सूर्य माध्वीर्गावो नः। स्वः स्वाहा। सवांश्च मदुमती रहभेवेद सर्वभूयांसं भूर्भूव स्वः स्वाहा ।। -बृहदारण्यक -(तत्सवितुर्वरेण्यं) मधु वायु चले, नदी और समुद्र रसमय होकर रहें। औषधियाँ हमारे लिए सुखदायक हों। -(भर्गोदेवस्य धीमहि )) रात्रि और दिन हमारे लिए सुखकारी हों, पृथ्वी की रज हमारे लिये मंगलमय हो। द्युलोक हमें सुख प्रदान करें। -(धियो योनःप्रचोदयात्) वनस्पतियाँ हमारे लिए रसमयी हों। सूर्य हमारे लिये सुखप्रद हो। उसकी रश्मियाँ हमारे लिए कल्याणकारी हों। सब हमारे लिए सुखप्रद हों। मैं सबके लिये मधुर बन जाऊँ ।।   |     | 8  |     |    Versions  HINDI गायत्री सर्वतोन्मुखी समर्थता की अधिष्ठात्री Text Book Version gurukulamFacebookTwitterGoogle+TelegramWhatsApp अखंड ज्योति कहानियाँ अपना यथार्थ व्यक्तित्व श्रेष्ठ है सत्य और असत्य (kahani) मझधार में डूबना नहीं पड़ा (kahani) हर तरह कल्याण (Kahani) See More केन्द्रीय विश्वविद्यालय जम्मू में विशिष्ट उद्बोधन युवा भीतर से मजबूत बनें, प्रलोभनों से उबरें, समाज का नवनिर्माण करेंयौवन माँ भगवती का वरदान है, यह बहती हवा के समान है। जिसमें कुछ कर गुजरने का साहस और आदर्शों की बलिवेदी पर चढ़ जाने की हिम्मत हो, वही युवा है।भारत पूरे विश्व का मार्गदर्शन कर सकता है। यह कार्य युवा पीढ़ी ही कर सकती है। इसके लिए उन्हें भीतर से मजबूत बनना होगा और फिर तमाम भ्रम, प्रलोभनों से उबरकर अपने परिवार और समाज के नवनिर More About Gayatri Pariwar Gayatri Pariwar is a living model of a futuristic society, being guided by principles of human unity and equality. It's a modern adoption of the age old wisdom of Vedic Rishis, who practiced and propagated the philosophy of Vasudhaiva Kutumbakam. Founded by saint, reformer, writer, philosopher, spiritual guide and visionary Yug Rishi Pandit Shriram Sharma Acharya this mission has emerged as a mass movement for Transformation of Era. Contact Us Address: All World Gayatri Pariwar Shantikunj, Haridwar India Centres Contacts Abroad Contacts Phone: +91-1334-260602 Email:shantikunj@awgp.org Subscribe for Daily Messages 39 in 0.042212009429932

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