Friday, 3 November 2017
सुभाषितानि नीति सूत्रायच
Sanskrit/ Hindi Only
Wednesday, August 10, 2011
सुभाषितानि नीति सूत्रायच !! Post-4
कुछ श्लोक जो मन में कभी भी घुमड आते हैं और प्रयत्न करने से दिमाग में नहीं आते -
२१. दुर्जनम् प्रथमं वन्दे, सज्जनं तदनन्तरम्। मुख प्रक्षालनत् पूर्वे गुदा प्रक्षालनम् यथा ॥
First attend the people who are not so good, the the better ones. Like in the morning we wash our face after washing our rear ends :)
पहले कुटिल व्यक्तियों को प्रणाम करना चाहिये, सज्जनों को उसके बाद; जैसे मुँह धोने से पहले, गुदा धोयी जाती है ।
२२. अयं निजः परोवेति, गणना लघुचेतसाम । उदारचरितानामतु वसुधैवकुटुम्बकम् ॥
It's mine and that is other's, this is a thought of a narrow-hearted (selfish) person, For generous people this whole world is their family.
यह मेरा है, यह दूसरे का है, ऐसा छोटी बुद्धि वाले सोचते हैं; उदार चरित्र वालों के लिये तो धरती ही परिवार है ।
२३. विद्या विवादाय धनं मदाय, शक्तिः परेशाम् परपीड़नाय । खलस्य साधोर्विपरीतमेतद ज्ञानाय, दानायचरक्षणाय॥
Knowledge for altercations, Wealth for arrogance, power to harass others. But in gentlemen these traits are opposite then the miscreants, It is for wisdom, charity and to protect respectively.
विद्या विवाद के लिये, धन मद के लिये, शक्ति दूसरों को सताने के लिये, ये चीजें सज्जन लोगों में दुष्टों से उल्टी होती हैं, क्रमशः ज्ञान, दान और रक्षा के लिये ।
२४. न चौरहार्यम् न न राजहार्यम् न भ्रातृभाज्यम् न च भारकारि । व्यये कृते वर्धत एव नित्यम् विद्या धनं सर्व धनम् प्रधानम् ॥
Neither thieves can snatch it away nor the king, Neither brothers can divide it nor it is heavy. It keeps on increasing as you spend it (with others), So the wealth of knowledge is superior to all.
न चोर चुरा सकता है, न राजा छीन सकता है, न भाई बांट सकते हैं और न यह भारी है। खर्च करने पर रोज बढती है, विद्या धन सभी धनों में प्रधान है ।
२५. ताराणां भूषणम् चन्द्र, नारीणां भूषणम् पतिः । पृथिव्यां भूषणम् राज्ञः विद्या सर्वस्य भूषणम् ॥
Star's grace is the moon, Husband is the ornament for a woman. Land's grace is a king and knowledge is ornament for all (everyone).
चन्द्रमा तारों का आभूषण है, नारी का भूषण पति है । पृथ्वी का अभूषण राजा है और विद्या सभी का आभूषण है ।
२६. उत्साहसम्पन्नमदीर्घसूत्रं क्रिया विधिज्ञं व्यसनेष्वसक्तम् । शूरं कृतज्ञं दृढ सौहृतम् च लक्ष्मीः स्वयं याति निवास हेतो ॥
Lakshmi (Goddess of Wealth) comes to live with him, who is full of excitement, active, posses skills and indulged in good work. Who is courageous, grateful, has solid friendship.
जो उत्साह से भरा है, आलसी नहीं है, क्रिया कुशल है और अच्छे कामों में रत है, वीर, कृतज्ञ और अच्छी मित्रता रखने वाला है, लक्ष्मी उस के साथ रहने अपने आप आती है ।
२७. आचारः परमो धर्म आचारः परमं तपः। आचारः परमं ज्ञानम् आचरात् किं न साध्यते॥
Good conduct is the highest dharma, it is the greatest penance. It is also the greatest knowledge. What can't be achieved through good conduct?
व्यवहार परम धर्म है, व्यवहार ही परम तप है, व्यवहार ही परम ज्ञान है, व्यवहार से क्या नहीं मिल सकता ।
२८. शैले शैले न माणिक्यं मौक्तिकं न गजे गजे। साधवो न हि सर्वत्र चन्दनं न वने वने॥
Every stone is not a jewel, Every elephant doesn't has gem. Gentlemen are not available everywhere Sandal doesn't exist in every forest.
हर पत्थर मणि नहीं होता, हर हाथी पर मुक्ता नहीं होता । सज्जन सभी जगह नहीं होते और चंदन हर वन में नहीं होता ।
२९. पुस्तकस्था तु या विद्या परहस्तगतं धनम्। कार्यकाले समुत्पन्ने न सा विद्या न तद् धनम्॥
Knowledge which is in book and money which is given to another one, Then when required at that time neither that knowledge nor that money can be used.
किताब में रखा ज्ञान और दूसरे को दिया धन, काम पडने पर न वह विद्या काम आती है और न वह धन ।
३०. वरमेको गुणी पुत्रः न च मूर्खशतान्यपि। एकश्चंद्रस्तमो हन्तिः न तारागणाऽपि च॥
(O God!) Give me a virtuous son, instead of hundreds of wicked. Only one moon can lighten in the dark but not all stars can do it.
मुझे एक गुणी पुत्र मिले न कि सौ मूर्ख पुत्र, एक ही चन्द्रमा अन्धेरे को खत्म करता है, सभी तारे मिल कर भी नहीं कर पाते ।
Alankar Sharma at 11:45 AM
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