Thursday, 2 November 2017
विद्या धनं सर्व धनं प्रधानम
satsang ganga rkdeo
LIVE AND LET OTHERS LIVE IN PEACE..!!
Tuesday, January 17, 2012
विद्या धनं सर्व धनं प्रधानम.......!!!!
सुखार्थी वा त्यजेत विद्याम विद्यार्थी वा त्यजेत सुखं...
सुखार्थिनः कुतो विद्या विद्यार्थिनः कुतो सुखं....!!!!
रूप यौवन संपन्ना विशाल कुल संभवा..
विद्याहीना न शोभन्ते निर्गन्धा इव किन्शुका.....!!!
आहार निदा भय मिथुनानि..सामान्यमेतात पशुभिर्निरानाम.....
ज्ञानेहि तेषाम मधिको विशेषो..ज्ञानेन हीनः पशुभिर्समाना.....!!!
अन्न दानं महादानं विद्या दानं ततः परम...
अन्नेन क्षुधा त्रिप्तिर..याज्जिवं त विद्यया.....!!
न चौराहार्यम न च राजहार्यम न भात्रिभाज्यम न च मारिकारी..
व्यये कृते वर्धतेव नित्यं ..विद्या धनं सर्व धनं प्रधानम.......!!!!
...
एषाम न विद्या न तपो न दानं..ज्ञानम् न शीलं न गुणों न धर्मः..
ते मृत्यु लोके भुवि भार भूता..मनुष्य रूपेण मृगाश्चरन्ति....!!!
अजपा सदृशी विद्या..अजपा सदृशी जपः...
अजपा सदृशी ज्ञानम् ..न भूतो न भविष्यति.....!!!
rkpandey at 6:39 AM
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rkpandey
I M A SIMPLE MAN DEDICATED TO THE CAUSE OF HUMAN N MORAL VALUES.. mY MOTTO IS SIMPLE LIVING N HIGH THINKING. I BELIEVE IN UNIVERSAL BROTHERHOOD..AND SPIRITUAL UPLIFTMENT.. चार्ल्स डार्विन ने विकास वाद का सिद्धांत प्रतिपादित करते हुए कहा ... "origin of species by natural selection and survival of the fittest..!!" ..अर्थात प्राकृतिक चयन के द्वारा योग्यतम ही अस्तित्व में आते है..बाकी सब नष्ट हो जाते है..! ..यह सिद्धांत आज भी प्रासंगिक है..! भौतिक-जगत में आज इतनी प्रतिस्पर्धा है..कि..बहुत सारे लोग दौड़ में पीछे छूटते जा रहे है..और हताशा कि स्थिति में काल-लावालित भी हो रहे है..!! ..आध्यात्मिक जगत में भी..ज्ञान प्राप्त कर लेने के पश्चात साधक अपने मन-इन्द्रियों को वश में नहीं कर पाते और भटक जाते है..! ..जब प्रकृति अपने प्रभाव से ऐसी स्थिति ला देती है..कि जीव का कल्याण हो जाय..तब परिवेश बदल जाता है..और जीव स्थित-प्रज्ञा होकर इस लोक में रहते हुए आनंद-भोग करता है..!
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