Thursday, 9 November 2017

अमृत योग

Press question mark to see available shortcut keys 1 Awes NIRAJ Public Apr 23, 2015  विभिन्न योग फल पुष्य नक्षत्र के अतिरिक्त भी कुछ शुभ योग हैं जिन्हें अमृत योग कहते हैं। रविवार को हस्त नक्षत्र होने पर, सोमवार को मृगशिरा नक्षत्र होने पर, मंगलवार को अश्विनी नक्षत्र होने पर, बुधवार को अनुराधा नक्षत्र होने पर, गुरुवार को पुष्य नक्षत्र होने पर, शुक्रवार को रेवती नक्षत्र होने पर और शनिवार को रोहिणी नक्षत्र होने पर अमृत सिद्ध योग बनता है जो सभी प्रकार के कुयोगों का नाश करता है। इसमें किए गए समस्त कार्य सिद्ध होते हैं। मंगलवार को यदि जया तिथि (तृतीया, अष्टमी, त्रयोदशी), बुधवार को भद्रा तिथि (द्वितीया, सप्तमी, द्वादशी), शुक्रवार को नंदा तिथि (प्रतिपदा, षष्ठी, एकादशी), शनिवार को रिक्ता तिथि (चतुर्थी, नवमी, चतुर्दशी), गुरुवार को पूर्णा तिथि (पंचमी, दशमी, पूर्णिमा) हो तो सिद्ध योग बनता है। सिद्ध योग में किए गए सभी कार्य सिद्ध होते हैं। अगर पुष्य रविवार को आ जाता है तो रवि पुष्य योग होता है, इसमें तंत्र साधना, मंत्र साधना, दीक्षा ग्रहण, औषधि निर्माण और उपासना शीघ्र फलदायी होती है। पुष्यऔ नक्षत्र गुरुवार को पड़ने से गुरु पुष्य योग होता है, इसमें नवीन प्रतिष्ठान, आर्थिक विनिमय, लेन-देन, व्यापार, उद्योग निर्माण, गुरु दर्शन और मंदिर निर्माण तथा यज्ञादि कर्म के लिए सर्वश्रेष्ठ है। पुष्य नक्षत्र उर्ध्वमुखी नक्षत्र है। इस कारण इसमें किए गए कार्य पूर्णता तक पहुंच जाते हैं। इसलिए इस नक्षत्र में भवन निर्माण, ध्वजारोहण, मंदिर, स्कूल और औषधालय निर्माण विशेष फलदायक होता है। इसके साथ ही इस नक्षत्र में शपथ ग्रहण, पदभार ग्रहण, वायु यात्रा और तोरण बंधन विशेष यश दिलाता है। Translate one plus one 1 no comments no shares Shared publicly•View activity Add a comment...

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