Thursday, 9 November 2017

योग क्षेमं वहाम्यहम 

Press question mark to see available shortcut keys 1 हिन्दू परिवार संघठन संस्थ Public May 22, 2014  योग क्षेमं वहाम्यहम  =============== शराब का सेवन हिन्दुओं के पतन का १ कारन रहा है ,,खास कर क्षत्रिय समाज शराब से बर्बाद हुवा है ,,,ये बोध कथा जरुर पढ़े ,,जीवन में चरितार्थ भी करे  ============================================== "अदिति गुप्ता  पुरानी जमाने की बात है। एक राजा था। वह कहा करता था कि माँस खाना, व्यभिचार करना, झूठ बोलना, हिंसा करना सभी पाप हैं। लेकिन वह मद्यपानको पाप नहीं मानता था। एक बार रात्रि के समय एक पंडित ने उसे मार्गदर्शन देने के लिए बुलाया। उसके सामने माँस से बने व्यंजनों की थाली रखी गयी। पंडित ने कहा- ‘इसे खाओ।’ राजा ने यह कहकर उसे खाने से इन्कार कर दिया कि यह पाप है। फिर उसके सामने एक बूढ़ा आदमी लाया गया। पंडित ने राजा से कहा - ‘इसे मार डालो’। राजा ने मना कर दिया- ‘नहीं, हिंसा करना पाप है।’ फिर उसके सामने एक सुन्दर लड़की लायी गयी। पंडित ने राजा से कहा- ‘इसे भोगो।’ राजा ने मना कर दिया- ‘नहीं, व्यभिचार करना पाप है।’ अब राजा के सामने शराब लायी गयी। पंडित ने राजा से कहा- ‘इसे पियो।’ राजा ने कहा- ‘हाँ, इसमें कोई पाप नहीं है।’ यह कहकर वह शराब को पी गया। थोड़ी देर में ही उसे नशा चढ़ गया। तब उसकी भूख जागृत हुई। उसकी नजर माँस के व्यंजनों से भरी थाली पर पड़ी, तो वह उसे खा गया। जब उसका पेट भर गया, तो उसकी कामवासना जागृत हुई। उसने वासना भरी नजरों से लड़की की ओर देखा और उस पर झपटने लगा। लड़की ने शर्माकर बूढ़ आदमी की ओर इशारा कर दिया। राजा ने तत्काल तलवार निकालकर उस बूढ़े का सिर काट दिया। फिर उसने उस लड़की के साथ संभोग किया। इसके बाद वह निढाल होकर सो गया। सुबह जब उसका नशा उतरा, तो उसे बताया गया कि शराब के नशे में उसने रात्रि को क्या-क्या कर डाला। यह जानकर राजा को बहुत पश्चाताप हुआ। उसने कहा- ‘शराब पीना ही सबसे बड़ा पाप है, क्योंकि इसके कारण मनुष्य का विवेक नष्ट हो जाता है और वह सारे पाप कर सकता है।’ उसी दिन से उसने अपने राज्य में शराब बनाने और पीने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया और इसका उल्लंघन करने वालों के लिए कठोरतम दंड का प्रावधान किया।" Translate 2 plus ones 2 no comments no shares Shared publicly•View activity Add a comment...

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