Thursday, 9 November 2017

महाभारत में हनुमान की भूमिका

बोल्‍डस्‍काई » आध्‍यात्‍म » Short story महाभारत में हनुमान की भूमिका जानना चाहते हैं? तो पढ़ें Posted By: Staff Updated: Thu, Mar 10, 2016, 10:29 [IST] क्या आप जानते हैं कि भगवान हनुमान महाभारत में दो बार दिखाई देते हैं। रामायण में प्रमुख भूमिका निभाने वाले भगवान हनुमान महाभारत में महाबली भीम से पांडव के वनवास के समय मिले थे। इन्हे चिरंजीवी भी कहा गया है, यह वो लोग होते हैं जिन्हे सदा जीवित रहने का वरदान मिलता है और हनुमान को भी चिरंजीवी रहने का वरदान मिला था। कई जगह तो यह भी कहा गया है कि भीम और हनुमान दोनों भाई हैं क्योंकि भीम और हनुमान दोनी ही पवन देव के पुत्र थे। हनुमान चालीसा पढ़ने का लाभ पहली बार हनुमान भीम से पांडवों के वनवास के समय मिले थे और दूसरी बार युद्ध के दौरान अर्जुन की रक्षा करने के लिए उनके धुवाज में निवास किया था। महाभारत में हनुमान जी की भूमिका की पूरी कहानी जानना चाहते हैं? आइयें जानते हैं। हनुमान की भीम से पहली मुलाकात द्वापर युग में हनुमानजी भीम की परीक्षा लेते हैं। महाभारत में प्रसंग हैं कि एक बार द्रौपदी ने भीम से कहा कि उसे सौगंधिका फूल चाहिए और भीम उस फूल को ढूंढने चले गए। तभी उनके रास्ते में एक बड़ा सा वृद्ध वानर लेटा हुआ था। यह देख कर भीम ने वानर से कहा कि वे अपनी पूंछ हटा लें जिसे उन्हें निकलने का रास्ता मिल जाए। इस पर वानर ने कहा कि वह बहुत वृद्ध हैं और वे अपने आप अपनी पूंछ नहीं हटा सकते हैं। तब भीम ने उस वृद्ध वानर की पूँछ हटाने के लिए पूरी ताकत लगा दी। लेकिन पूँछ जरा भी नहीं हिली। तब भीम को एहसास हुआ कि यह कोई साधारण वानर नहीं है। भीम ने उनसे पूछ की आप कौन है, तब हनुमान अपने असली रूप में आये और भीमा को आशीर्वाद दिया। अर्जुन का रथ एक दिन भगवान श्रीकृष्ण को छोड़कर अकेले अर्जुन वन में विहार करने गए। घूमते-घूमते वे दक्षिण दिशा में रामेश्वरम चले गये। जहाँ उन्हें श्री राम जी का बनाया हुआ सेतु दिखाई दिया। यह देख कर अर्जुन ने कहा कीं उन्हें सेतु बनाने के लिए वानरों की क्या जरुरत थी वजब की वे खुद ही सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे। उनकी जगह में होता तो यह सेतु बाणों से बना देता। यह सुन कर हनुमान ने कहा कि बाणों से बना सेतु एक भी व्यक्ति का भार संभल नहीं सकता है। तब अर्जुन ने कहा कि यदि मेरा बनाया सेतु आपके चलने से सेतु टूट जाएगा तो मैं अग्नि में प्रवेश कर जाऊंगा और यदि नहीं टूटता है तो आपको अग्नि में प्रवेश करना पड़ेगा। हनुमानजी ने कहा मुझे स्वीकार है। मेरे दो चरण ही इसने झेल लिए तो मैं हार स्वीकार कर लूंगा। तब अर्जुन ने अपने प्रचंड बाणों से सेतु तैयार कर दिया। लेकिन जैसे ही सेतु तैयार हुआ हनुमान ने विराट रूप धारण कर लिया। हनुमान राम का स्मरण करते हुए उस बाणों के सेतु पर चढ़ गए। पहला पग रखते ही सेतु सारा का सारा डगमगाने लगा, दूसरा पैर रखते ही सेतु चरमरा गया। यह देख कर अर्जुन ने अपने आपको ख़त्म करने के लिए अग्नि में कूदने चले वैसे ही भगवान श्रीकृष्ण प्रकट हो गए और अर्जुन से कहा कि वह फिर से सेतु बनाये लेकिन इस बार वे श्री राम का नाम लेके सेतु बनाये जिससे वह नहीं टूटेगा। दूसरी बार सेतु के तैयार होने के बाद हनुमान फिर से उस पर चले लेकिन इस बार सेतु नहीं टुटा। इससे खुश हो कर हनुमान ने अर्जुन से कहा कि वे युद्ध के अंत तक उनकी रक्षा करेंगे। इसीलिए कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन के रथ के दुवाज में हनुमान विराजमान हुए और अंत तक उनकी रक्षा की। कुरुक्षेत्र के युद्ध के अंतिम दिन कृष्ण ने अर्जुन से पहले रथ से उतरने को कहा, उसके बाद कृष्ण रथ से उतरे। कृष्ण ने हनुमान जी का धन्यवाद किया कि उन्होंने उनकी रक्षा की। लेकिन जैसे ही हनुमान अर्जुन के रथ से उतर कर गए, वैसे ही रथ में आग लग गयी। यह देख कर अर्जुन हैरान रह गए। श्री कृष्ण ने उन्हें बाते कि कैसे हनुमान उनकी दिव्य अस्त्रों से रक्षा कर रहे थे। इससे हमे पता चलता है कि कैसे हनुमान जी सिर्फ रामायण के ही नहीं बल्कि महा भारत के भी एक सबसे महत्वपूर्ण किरदार थे। Read More About: mahabharathinduमहाभारतहिंदू English Summary Are you shocked after reading the title? Don't be. Lord Hanuman does appear in the epic Mahabharata also. About • Terms of Service • Privacy Policy • Contact © 2017 Greynium Information Technologies Pvt. Ltd.

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