Saturday, 4 November 2017

कर्म कीजिए भाग्य आपका

 कर्म कीजिए भाग्य आपका गुलाम बन जाएगा Home› Wellness› fate is follower of karma WELLNESS राकेश/इंटरनेट डेस्क। Updated 14:54 बुधवार, 5 दिसंबर 2012  fate is follower of karma बहुत से लोग इस बात का रोना रोते रहते हैं कि उनका भाग्य ही खराब है। नसीब नहीं साथ दे रहा है इसलिए किसी काम में सफलता नहीं मिलती है। जबकि सच यह है कि भाग्य तो कर्म के अधीन है। हाथ की लकीरों में अपने भाग्य को ढूंढने की बजाय अगर हम हाथों को कर्म करने के लिए प्रेरित करें तो भाग्य रेखा खुद ही मजबूत हो जाएगी और हम वह पा सकेंगे जिसकी हम चाहत रखते हैं।कर्म के अनुसार बदलती हैं रेखाहस्त रेखा विज्ञान के अनुसार कुछ रेखाओं को छोड़ दें तो बाकी सभी रेखाएं कर्म के अनुसार बदलती रहती है। अपनी हथेली को गौर से देखिए कुछ समय बाद रेखाओं में कुछ न कुछ बदलाव जरूर दिखेगा इसलिए कहा गया है कि रेखाओं से किस्मत नहीं कर्म से रेखाएं बदलती हैं। सकल पदारथ एहि जग माहिगोस्वामी तुलसीदास जी कर्म के मर्म को बखूबी जानते थे तभी उन्होंने कहा है "सकल पदारथ एहि जग माहिं। कर्महीन नर पावत नाहिं।।" तुलसीदास जी ने अपनी दोहा में स्पष्ट किया है कि इस संसार में सभी कुछ है जिसे हम पाना चाहें तो प्राप्त कर सकते हैं लेकिन जो कर्महीन अर्थात प्रयास नहीं करते इच्छित चीजों को पाने से वंचित रह जाते हैं। सिंह को भी आलस्य त्यागना होगानीतिशास्त्र में कहा गया है कि 'न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा:॥" इसका तात्पर्य यह है कि सिंह अगर शिकार करने न जाए और सोया रहे तो मृग स्वयं ही उसके मुख में नहीं चला जाएगा। यानी सिंह को अपनी भूख मिटानी है तो उसे आलस त्यागकर मृग का शिकार करना ही पड़ेगा। इसी प्रकार हम सभी को जिस चीज की, जिस मंजिल की तलाश है उसके लिए प्रयास करने की आवश्यकता है। प्रयास का फल देर से मिल सकता है लेकिन परिणाम आपके पक्ष में होगा यह मानकर सही दिशा में प्रयास करते रहना चाहिए। पृथ्वी यानी कर्म की भूमिशास्त्रों में पृथ्वी को कर्म भूमि कहा गया है। यहां आप जैसे कर्म करते हैं उसी के अनुरूप आपको फल मिलता है। भगवान श्री कृष्ण ने ही गीता में कर्म को ही प्रधान बताया है और कहा है कि हम मनुष्य के हाथों में मात्र कर्म है अतः हमें यही करना चाहिए। फल क्या होगा वह हमें भगवान पर छोड़ देना चाहिए। भगवान अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते हैं इसलिए जो जैसा कर्म करता है उसे उसका उसे वैसा ही फल देते हैं। सीधी बात यह है कि 'कर्म प्रधान विश्व रचि राखा, जो जस करहिं सो तस फल चाखा।' अर्थात जो व्यक्ति जैसा कर्म करता है उसे वैसा ही फल प्राप्त होता हैं।  Share this article TAGS: fate and karma , sprituality , Most Popular TELEVISIONNational बिग बॉस के घर की सबसे गंदी हरकत कैमरे में कैद, अर्शी ये तूने क्या किया शनिवार, 4 नवंबर 2017 BOLLYWOOD B'Day Spl: 46 साल की हुईं तबु, अजय देवगन की वजह से आज तक हैं कुंवारी शनिवार, 4 नवंबर 2017 CRIMEChandigarh ...तो इसलिए गैंगस्टर मिंटू ने हिंदू नेता को मारी थीं 15 गोलियां शनिवार, 4 नवंबर 2017 CITY & STATESDehradun बैंक खाता धारकों के लिए जरूरी खबर, नहीं पढ़ी तो फिर पछताएंगे... शुक्रवार, 3 नवंबर 2017 CITY & STATESLucknow हाईकोर्ट ने रद्द किया सरकार का फैसला, दो माह में भरे जाएंगे 77,804 शिक्षकों के पद शनिवार, 4 नवंबर 2017 TELEVISIONNational Bigg Boss 11: 'सेफ सेक्स' के बारे में ये क्या बोल गईं सपना चौधरी, हिना और शिल्पा शर्म से हुईं लाल सोमवार, 30 अक्टूबर 2017 © 2015-2017 Amar Ujala Publications Ltd.

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