Friday, 3 November 2017

व्यायाम श्लोक

Toggle navigation Sanskrit Slokas Vyayam Slokas(व्यायाम श्लोक) व्यायामात् लभते स्वास्थ्यं दीर्घायुष्यं बलं सुखं। आरोग्यं परमं भाग्यं स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनम् ॥ भावार्थ : व्यायाम से स्वास्थ्य, लम्बी आयु, बल और सुख की प्राप्ति होती है। निरोगी होना परम भाग्य है और स्वास्थ्य से अन्य सभी कार्य सिद्ध होते हैं । व्यायामं कुर्वतो नित्यं विरुद्धमपि भोजनम् । विदग्धमविदग्धं वा निर्दोषं परिपच्यते ॥ भावार्थ : व्यायाम करने वाला मनुष्य गरिष्ठ, जला हुआ अथवा कच्चा किसी प्रकार का भी खराब भोजन क्यों न हो, चाहे उसकी प्रकृति के भी विरुद्ध हो, भलीभांति पचा जाता है और कुछ भी हानि नहीं पहुंचाता । शरीरोपचयः कान्तिर्गात्राणां सुविभक्तता । दीप्ताग्नित्वमनालस्यं स्थिरत्वं लाघवं मृजा ॥ भावार्थ : व्यायाम से शरीर बढ़ता है । शरीर की कान्ति वा सुन्दरता बढ़ती है । शरीर के सब अंग सुड़ौल होते हैं । पाचनशक्ति बढ़ती है । आलस्य दूर भागता है । शरीर दृढ़ और हल्का होकर स्फूर्ति आती है । तीनों दोषों की (मृजा) शुद्धि होती है। न चैनं सहसाक्रम्य जरा समधिरोहति । स्थिरीभवति मांसं च व्यायामाभिरतस्य च ॥ भावार्थ : व्यायामी मनुष्य पर बुढ़ापा सहसा आक्रमण नहीं करता, व्यायामी पुरुष का शरीर और हाड़ मांस सब स्थिर होते हैं । श्रमक्लमपिपासोष्णशीतादीनां सहिष्णुता । आरोग्यं चापि परमं व्यायामदुपजायते ॥ भावार्थ : श्रम थकावट ग्लानि (दुःख) प्यास शीत (जाड़ा) उष्णता (गर्मी) आदि सहने की शक्ति व्यायाम से ही आती है और परम आरोग्य अर्थात् स्वास्थ्य की प्राप्ति भी व्यायाम से ही होती है । न चास्ति सदृशं तेन किंचित्स्थौल्यापकर्षणम् । न च व्यायामिनं मर्त्यमर्दयन्त्यरयो भयात् ॥ भावार्थ : अधिक स्थूलता को दूर करने के लिए व्यायाम से बढ़कर कोई और औषधि नहीं है, व्यायामी मनुष्य से उसके शत्रु सर्वदा डरते हैं और उसे दुःख नहीं देते । समदोषः समाग्निश्च समधातुमलक्रियः । प्रसन्नात्मेन्द्रियमनाः स्वस्थ इत्यभिधीयते ॥ भावार्थ : जिस मनुष्य के दोष वात, पित्त और कफ, अग्नि (जठराग्नि), रसादि सात धातु, सम अवस्था में तथा स्थिर रहते हैं, मल मूत्रादि की क्रिया ठीक होती है और शरीर की सब क्रियायें समान और उचित हैं, और जिसके मन इन्द्रिय और आत्मा प्रसन्न रहें वह मनुष्य स्वस्थ है । Sanskrit Slokas(संस्कृत श्लोक) चाणक्य नीति श्लोक विदुर नीति श्लोक भगवद् गीता श्लोक विद्या श्लोक गुरु श्लोक प्रार्थना श्लोक सुभाषितानि श्लोक श्री दुर्गा सप्तश्लोकी संस्कृत निबंध प्रमुख श्लोक संस्कृत श्लोक गणेश मंत्र दुर्गा मंत्र शिव मंत्र सरस्वती मंत्र लक्ष्मी मंत्र श्री कृष्ण मंत्र वाल्मीकि रामायण श्लोक सत्य श्लोक परोपकार श्लोक व्यायाम श्लोक उपदेश श्लोक संस्कृत स्लोगन संस्कृत अनुवाद संस्कृत गिनती संस्कृत शब्दकोष गायत्री मंत्र इंडिया श्लोक © 2017 sanskritslokas.com. Designed by Krishna Jha - Privacy Policy - Contact Share on ➔ Twitter Facebook

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