Saturday, 4 November 2017
जब मैं था तब गुरू नहीं, अब गुरू हैं मैं नाहिं
Sign in
पहला पन्ना
खबरों में
भारत
विदेश
धर्म
मनोरंजन
राजनीति
साहित्य
रिलेशनशिप – लव
घरेलु नुस्खे
SIGN IN
Welcome!Log into your account
your username
your password
LOG IN
Forgot your password?
PASSWORD RECOVERY
Recover your password
your email
SEND MY PASS
Home साहित्य
साहित्य
जब मैं था तब गुरू नहीं, अब गुरू हैं मैं नाहिं – Kabir Ke Dohe
By आमिर - 2016-05-07 Last Updated: May 10, 2016 at 10:29 pm 10934
Kabir ke dohe in Hindi (kabir ke dohe arth sahit)
जब मैं था तब गुरू नहीं, अब गुरू हैं मैं नाहिं।
प्रेम गली अति सांकरी, तामें दो न समांहि।।
Jab main tha tab guru nahi, Ab guru hain main nahi
Prem gali ati sankari, Tamain do na samahin
अर्थात (Meaning in Hindi): जब अंहकार रूपी मैं मेरे अन्दर समाया हुआ था तब मुझे गुरू नहीं मिले थे, अब गुरू मिल गये और उनका प्रेम रस प्राप्त होते ही मेरा अंहकार नष्ट हो गया। प्रेम की गली इतनी संकरी है कि इसमें एक साथ दो नहीं समा सकते अर्थात् गुरू के रहते हुए अंहकार नहीं उत्पन्न हो सकता।
साधू भूखा भाव का, धन का भूखा नाहिं।
धन का भूखा जो फिरै, सो तो साधू नाहिं।।
Sadhu bhuka bhav ka, Dhan ka bhuka nahin
Dhan ka bhuka jo firai, So to sadhu nahin
अर्थात (Meaning in Hindi): साधु संत प्रेम रूपी भाव के भूखे होते हैं, उन्हें धन की अभिलाषा नहीं होती किन्तु जो धन के भूखे होते हैं। जिसके मन में धन प्राप्त करने की इच्छा होती है वे वास्तव में साधु है ही नहीं।
माला फेरत युग गया, मिटा ना मन का फेर।
कर का मनका डारि दे, मन का मन का फेर।।
Mala ferat yug gaya, Mita na mann ka fera
Kar ka manka daari de, Mann ka mann ka fera
अर्थात (Meaning in Hindi): हाथ में माला लेकर फेरते हुए युग व्यतीत हो गया फिर भी मन की चंचलता और सांसारिक विषय रूपी मोह भंग नहीं हुआ। कबीर दास जी सांसारिक प्राणियों को चेतावनी देते हुए कहते हैं- हे अज्ञानियों हाथ में जो माला लेकर फिरा रहे हो, उसे फेंक कर सर्वप्रथम अपने हदय की माला को शुद्ध करो और एकाग्र चित्त होकर प्रभु का ध्यान करो।
यह भी पढ़िए गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय - कबीर के दोहे
यह तन कांचा कुंभ है, चोट चह दिस खाय।
एकहिं गुरू के नाम बिन, जदि तदि परलय जाय।।
Yah tan kancha kumbh hai, Chott chah dees khaya
Ekhin guru ke naam bin, Jadi tadi parlaye jaya
अर्थात (Meaning in Hindi): यह शरीर मिट्टी के बने हुए कच्चे घड़े के समान है जो चारों ओर से चोट खाता है अर्थात् दुख, व्याधि रूपी चोट से सदैव पीडि़त रहता है। मात्र सदगुरू के नाम का सुमिरन न करने के कारण इस पर अनेक विपत्तियां आ रही हैं अन्यथा इसकी ऐसी दुर्दशा न होती। यह एक न एक दिन नष्ट हो जायेगा।
सब धरती कागद करूं, लिखनी सब बनराय।
सात समुद्र का मसि करूं, गुरू गुण लिखा न जाय।।
Sab dharti kagad karun, Likhni sab banray
Saat samundr ka masi karun, Guru gun likha na jaya
अर्थात (Meaning in Hindi):सम्पूर्ण पृथ्वी को कागज मान लें, जंगलों की लकडि़यों की कलम बना ली जाए तथा सात महा समुद्रों के जल की स्याही बना ली जाये फिर भी गुरू के गुणों का वर्णन नहीं किया जा सकता क्योंकि गुरू का ज्ञान असीमित है उनकी महिमा अपरम्पार है।
TAGSKabir ke DoheKabir ke dohe in Hindi
RELATED ARTICLESMORE FROM AUTHOR
कहानियाँ
बाप के लिए ज़िंदा है,खुद के लिए मर गई सकीना
Instant
अमृता की चाहत उनकी आत्मकथा “रसीदी टिकट” में भी जाहिर हुई है…
उद्धरण
अनमोल वचन (सुविचार)- Best Anmol Vachan in Hindi – सत्य वचन
साहित्य
छिमा बड़ेन को चाहिए, छोटन को उतपात Rahim ke dohe
साहित्य
बिपति भए धन ना रहे, होय जो लाख करोर – Rahim Ke Dohe
साहित्य
करम हीन रहिमन लखो, धंसे बड़े घर चोर – Rahim Ke Dohe
अभी अभी
दिल्ली वर्ल्ड फ़ूड इंडिया मेला,इस मेले में 20 से ज़्यादा देश हिस्सा ले रहे...
खबरों में Parveen Arshi - 2017-11-04 0
बिहार के बेगुसराय में गंगा स्नान में दम घुटने से 6 की मौत…
Instant Parveen Arshi - 2017-11-04 0
800 किलो खिचड़ी पकाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की कोशिश की जाएगी…
खबरों में Parveen Arshi - 2017-11-03 0
कृष्णा सोबती होगी सम्मानित साहित्य के क्षेत्र का सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से…
खबरों में Parveen Arshi - 2017-11-03 0
ट्वीटर इंडिया पर” व्हाट्स ऐप्प” डाउन टॉप ट्रेंडिंग है..व्हाट्स ऐप्प हुआ फिर से शुरू...
Instant Parveen Arshi - 2017-11-03 0
संपर्क हमसे जुड़ें हिन्दीवार्ता टीम
© 2017 HindiVarta.com
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment