Friday, 3 November 2017

विद्या संस्कृत श्लोक

Toggle navigation Sanskrit Slokas Sanskrit Slokas On Vidya(विद्या संस्कृत श्लोक ) Vidya(Education) means the wealth of knowledge acquired by an individual after studying particular subject matters or experiencing life lessons that provide an understanding of something. Here is collection of Vidya Sanskrit Slokas : सुखार्थिनः कुतोविद्या नास्ति विद्यार्थिनः सुखम् । सुखार्थी वा त्यजेद् विद्यां विद्यार्थी वा त्यजेत् सुखम् ॥ भावार्थ : जिसे सुख की अभिलाषा हो (कष्ट उठाना न हो) उसे विद्या कहाँ से ? और विद्यार्थी को सुख कहाँ से ? सुख की ईच्छा रखनेवाले को विद्या की आशा छोडनी चाहिए, और विद्यार्थी को सुख की । न चोरहार्यं न च राजहार्यंन भ्रातृभाज्यं न च भारकारी । व्यये कृते वर्धते एव नित्यं विद्याधनं सर्वधन प्रधानम् ॥ भावार्थ : विद्यारुपी धन को कोई चुरा नहीं सकता, राजा ले नहीं सकता, भाईयों में उसका भाग नहीं होता, उसका भार नहीं लगता, (और) खर्च करने से बढता है । सचमुच, विद्यारुप धन सर्वश्रेष्ठ है । नास्ति विद्यासमो बन्धुर्नास्ति विद्यासमः सुहृत् । नास्ति विद्यासमं वित्तं नास्ति विद्यासमं सुखम् ॥ भावार्थ : विद्या जैसा बंधु नहीं, विद्या जैसा मित्र नहीं, (और) विद्या जैसा अन्य कोई धन या सुख नहीं । ज्ञातिभि र्वण्टयते नैव चोरेणापि न नीयते । दाने नैव क्षयं याति विद्यारत्नं महाधनम् ॥ भावार्थ : यह विद्यारुपी रत्न महान धन है, जिसका वितरण ज्ञातिजनों द्वारा हो नहीं सकता, जिसे चोर ले जा नहीं सकते, और जिसका दान करने से क्षय नहीं होता । सर्वद्रव्येषु विद्यैव द्रव्यमाहुरनुत्तमम् । अहार्यत्वादनर्ध्यत्वादक्षयत्वाच्च सर्वदा ॥ भावार्थ : सब द्रव्यों में विद्यारुपी द्रव्य सर्वोत्तम है, क्यों कि वह किसी से हरा नहीं जा सकता; उसका मूल्य नहीं हो सकता, और उसका कभी नाश नहीं होता । विद्या नाम नरस्य रूपमधिकं प्रच्छन्नगुप्तं धनम् विद्या भोगकरी यशः सुखकरी विद्या गुरूणां गुरुः । विद्या बन्धुजनो विदेशगमने विद्या परं दैवतम् विद्या राजसु पूज्यते न हि धनं विद्याविहीनः पशुः ॥ भावार्थ : विद्या इन्सान का विशिष्ट रुप है, गुप्त धन है । वह भोग देनेवाली, यशदात्री, और सुखकारक है । विद्या गुरुओं का गुरु है, विदेश में वह इन्सान की बंधु है । विद्या बडी देवता है; राजाओं में विद्या की पूजा होती है, धन की नहीं । इसलिए विद्याविहीन पशु हि है । 1 2 3 4 Sanskrit Slokas(संस्कृत श्लोक) चाणक्य नीति श्लोक विदुर नीति श्लोक भगवद् गीता श्लोक विद्या श्लोक गुरु श्लोक प्रार्थना श्लोक सुभाषितानि श्लोक श्री दुर्गा सप्तश्लोकी संस्कृत निबंध प्रमुख श्लोक संस्कृत श्लोक गणेश मंत्र दुर्गा मंत्र शिव मंत्र सरस्वती मंत्र लक्ष्मी मंत्र श्री कृष्ण मंत्र वाल्मीकि रामायण श्लोक सत्य श्लोक परोपकार श्लोक व्यायाम श्लोक उपदेश श्लोक संस्कृत स्लोगन संस्कृत अनुवाद संस्कृत गिनती संस्कृत शब्दकोष गायत्री मंत्र इंडिया श्लोक © 2017 sanskritslokas.com. Designed by Krishna Jha - Privacy Policy - Contact Share on ➔ Twitter Facebook

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