Wednesday 21 March 2018

स्वरयोग

cure100 स्वरयोग के चमत्कार  Dr.KAILASH DWIVEDI ( डॉ.कैलाश द्विवेदी ) 3 वर्ष ago Advertisements  योग विज्ञान में श्वास को ही स्वर कहा गया है। स्वर 3 प्रकार का होता है- चंद्रस्वर : जब नाक के बाईं तरफ के छिद्र से श्वास चल रही हो तो उसको चंद्रस्वर कहा जाता है। यह शरीर को ठंडक पहुंचाता है। इस स्वर में तरल पदार्थ पीने चाहिए एवं अधिक परिश्रम नहीं करना चाहिए। सूर्यस्वर : जब नाक के दाईं तरफ के छिद्र से श्वास चल रही हो तो उसे सूर्य स्वर कहा जाता है। यह स्वर शरीर को गर्मी देता है। इस स्वर में भोजन एवं अधिक परिश्रम वाले कार्य करने चाहिए। स्वर ज्ञान से लाभ : • यदि आप स्वर को बार-बार बदलना सीख ले तो लम्बी उम्र पा सकते है तथा वृद्धावस्था से भी बचे रह सकते हैं | • यदि शरीर में कोई रोग उत्पन्न हो जाये तो रोग का पता लगने पर जो स्वर चलता हो उसे बदलने से जल्दी लाभ होता है। • शरीर में किसी भी तरह की थकावट या दर्द महसूस हो तो दाहिने करवट सो जाना चाहिए, जिससे `चंद्र´ स्वर चलने लगता है और थोड़े ही समय में शरीर की सारी थकान दूर हो जाती है। • दमा का दौरा पड़ने पर स्वर बदलने से दौरा कम हो जाता है। दमा में दौरे के समय जो स्वर चल रहा हो तो उसे बंद करके दूसरा स्वर चला देना चाहिए। इससे 10-15 मिनट में ही दमे का दौरा शांत हो जाता है। प्रतिदिन यह प्रयोग करने से एक महीने में ही दमे के दौरे का रोग कम हो जाता है। • जिस व्यक्ति का दिन में बायां और रात में दायां स्वर चलता है वह हमेशा स्वस्थ रहता है। • प्रातः उठने पर पलंग पर ही आंख खुलते ही जो स्वर चल रहा हो उस ओर के हाथ की हथेली को देखें और उसे चेहरे पर फेरते हुए भगवान का नाम लें। इसके बाद जिस ओर का स्वर चल रहा हो उसी ओर का पैर पहले बिस्तर से नीचे जमीन पर रखें। इस क्रिया को करने से पूरा दिन सुख और चैन से बीतेगा। • गर्भधारण हेतु सहवास के समय यदि पुरुष का दायां स्वर और स्त्री का बायां स्वर चले तो निश्चित रूप से पुत्र एवं पुरुष का बायाँ स्वर और स्त्री का दायाँ स्वर चले तो पुत्री का जन्म होता है। अतः पुत्र प्राप्ति के लिए सहवास के समय पुरुष को बाएं करवट एवं स्त्री को दायें करवट लेटकर अपना स्वर बदल लेना चाहिए | इसी प्रकार पुत्री की प्राप्ति हेतु पुरुष को दायें करवट एवं स्त्री को बाएं करवट लेटकर अपना स्वर बदल लेना चाहिए | • जिस समय दायां स्वर चल रहा हो उस समय भोजन करना लाभकारी होता है। भोजन करने के बाद भी 10 मिनट तक दायां स्वर ही चलना चाहिए। इसलिए भोजन करने के बाद बायीं करवट सोने को कहा जाता है ताकि दायां स्वर चलता रहे। ऐसा करने से भोजन जल्दी पच जाता है और व्यक्ति को कब्ज का रोग भी नहीं होता। अगर कब्ज होता भी है तो वह भी जल्दी दूर हो जाता है। स्वर बदलने की विधि : यदि आप यह जानना चाहते है कि किस समय कौन सा स्वर चल रहा है तो इसको जानने का तरीका बहुत आसान है। सबसे पहले नाक के एक छिद्र को बंद करके दूसरे छिद्र से 2-4 बार जोर-जोर से सांस लीजिए। फिर इस छिद्र को बंद करके उसी तरह से दूसरे छिद्र से 2-4 बार जोर-जोर से सांस लीजिए। नाक के जिस छिद्र से सांस लेने और छोड़ने में आसानी लग रही हो समझना चाहिए कि उस तरफ का स्वर चल रहा है और जिस तरफ से सांस लेने और छोड़ने में परेशानी हो उसे बंद समझना चाहिए। • नाक के जिस तरफ के छिद्र से स्वर चल रहा हो तो उसे दबाकर बंद करने से दूसरा स्वर चलने लगता है। • जिस तरफ के नाक के छिद्र से स्वर चल रहा हो उसी तरफ करवट लेकर लेटने से दूसरा स्वर चलने लगता है। • नाक के जिस तरफ के छिद्र से स्वर चलाना हो उससे दूसरी तरफ के छिद्र को रुई से बंद कर देना चाहिए। सम्बंधित विडियो देखें –  Advertisements श्रेणियाँ: प्राकृतिक चिकित्सा टिप्पणी करे cure100 WordPress.com पर ब्लॉग. Back to top Advertisements

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