Friday 23 March 2018

सुषुम्ना को कैसे जगाएं

Type to Search … Search Sushumna Nadi Awakening: प्राणायाम के माध्यम से सुषुम्ना को कैसे जगाएं OCTOBER 23, 2017 योग के सन्दर्भ में नाड़ी वह रास्ता है जिससे द्वारा शरीर की ऊर्जा का परिवहन होता है। योग में माना जाता है कि नाडियाँ शरीर में उपस्थित नाड़ी चक्रों को जोड़तीं है। देखा जाए तो कई योग ग्रंथ 10 नाड़ियों को प्रमुख मानते हैं। जिनमे 3 नदियों का उल्लेख अक्सर मिलता है। वो है ईड़ा, पिंगला और सुषुम्ना, ये तीनो नाड़ी मेरुदण्ड से जुड़े हैं। यदि आप इड़ा और पिंगला के मध्य संतुलन बना पाते हैं तो दुनिया में आप प्रभावशाली हो सकते हैं। इसके द्वारा आप जीवन के सारे पहलुओं को अच्छी तरह संभाल सकते हैं। अधिकतर लोग इड़ा और पिंगला में जीते और मरते हैं और मध्य स्थान सुषुम्ना निष्क्रिय बना रहता है। परन्तु सुषुम्ना मानव शरीर-विज्ञान का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। जब ऊर्जा सुषुम्ना नाड़ी में प्रवेश करती है, जीवन असल में तभी शुरू होता है। यदि एक बार सुषुम्ना में ऊर्जा का प्रवेश हो जाए, तो आप एक नए तरह का संतुलन पा लेते हैं, इससे आपके अंदर एक विशेष स्थान होता है, जो किसी भी तरह की हलचल में कभी अशांत नहीं होता, जिस पर बाहरी स्थितियों का प्रभाव भी नहीं पड़ता। जानते है सुषुम्ना को प्राणायाम से कैसे जगाये? Sushumna Nadi Awakening: सुषुम्ना को जाग्रत करके आंतरिक शांति पाए इसे करने के लिए शुरुआत में आप एक आसन पर (Yoga Mat) आँखे बंद करके बैठ जाए । ध्यान रहे कि जब भी आप बैठे तो अपनी स्थिति को संतुलित कर ले और स्थिर हो जाएँ। गहरी साँस लें (Diaphragmatic breathing) और निचली पसली कि हड्डी में विस्तार को महसूस करे और प्रत्येक सांस के साथ संकुचित करे आपका पेट रिलैक्स है और यह भी स्वाभाविक रूप से साँस के साथ चलता है। फिर अपने शरीर को व्यवस्थित रूप से आराम दे और 5 -10 बार सांसे ले जैसे कि आपके पूरे शरीर में सांस आ रही है । प्रत्येक सांस के साथ महसूस करे की पौष्टिक चीज़े अंदर जा रही है और शरीर की सफाई कर रही है। इसके बाद सक्रिय नथुने में सांस के स्पर्श पर ध्यान दे। साथ ही सांस पर ध्यान दें जैसे कि यह केवल सक्रिय पक्ष के माध्यम से बह रही है जब तक यह स्थिर न हो जाए तब तक अपना ध्यान बनाये रखें और आप बिना किसी रुकावट के सांस महसूस कर सकते हैं। अपने विचार को आने दें और जाने दे पर उन्हें उन्हें ऊर्जा या ध्यान न दें। बस सक्रिय नथुने में सांस पर अपना ध्यान केंद्रित रखें, जिससे आपके तंत्रिका तंत्र को आराम मिले। इसके बाद, निष्क्रिय नाक में सांस को ध्यान दें। फिर से सांस के प्रवाह को महसूस करे जब तक कि आप उस पर बिना किसी रूकावट के महसूस कर सकते है। इस बार सांस को ज्यादा देर तक भरना है। अंत में दोनों नथुनों से सांस ले, इस तरह की सांस नाक के आधार से आँखों के बीच की ओर (अन्जा चक्र) के बीच में बहती है। अब सांस को बाहर छोड़े जिससे इसका फ्लो अन्जा चक्र से वापिस नाक के बेस की और चले जाए। वापिस से सांस ले और केंद्रीय धारा में इसे बहने दे, इससे धीरे धीरे आपके मन को आराम मिलता है। यह सुषुम्ना श्वास को स्थापित करने के अभ्यास की शुरूआत है। जारी रखने के लिए, कोशिश करें की सांसों की आवाज सांस के हर प्रवाह(साँस छोड़ना और साँस लेना) के साथ सुनाई दे । इसमें आपको सोहम ध्वनि आनी चाहिए, सांसो को लेने के साथ ‘सो’ ध्वनि और छोड़ने के साथ ‘हम’ध्वनि। इस ध्वनि को बस अपने दिमाग में सुनें, जिससे की आपको लगे की यह केंद्रीय धारा में बह रही हो। जितनी देर आप बैठना चाहे उतनी देर बैठे रहे, बस आपको अपना ध्यान साँसों और उसकी ध्वनि में रखना है, साथ ही इस दौरान आपको अपने शरीर, सांस और दिमाग को भी आराम पहुंचाना है। सुष्मना जगाने के लाभ यह एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करती है। यह आंतरिक शांति प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण उपकरण है। इससे कुण्डलिनी जागरण की प्रक्रिया में मदद मिलती है। Related Post कर्ण रोगान्तक प्राणायाम: कान की बीमारियों से मुक्त... Murcha Pranayama: शारीरिक और मानसिक स्थिरता प्राप्... पाचन क्रिया और पेट सम्बंधित रोगों में असरकारक अग्न... Simple Pranayama: ज्यादा व्यस्त रहने वालों के लिए ... Pranayama for Beginners: प्राणायाम की शुरुआत करे इ... कपालभाति प्राणायाम – सुंदरता बढाने और वजन घट... Filed under: प्राणायाम NEXT POST »« PREVIOUS POST About Us Contact Us Terms and Condition Privacy Policy All Right Reserved by YogKala

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