Friday, 23 March 2018
नाड़ी शोधन प्राणायाम
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नाड़ी शोधन प्राणायाम करने की विधि और इसके स्वास्थ्य लाभ
नाड़ी शोधन प्राणायाम का मुख्य प्रकार है इसको सही तरीके से करने से शरीर में खून साफ़ होता है तथा श्वशन तंत्र मजबूत बनता है।
BY: BRAJESH SINGH | Jul 12, 2017 11:14 am
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नाड़ी शोधन प्राणायाम के मुख्य प्रकारों में एक है। नाड़ी शोधन प्राणायाम शरीर की अशुद्धियों को दूर करने के लिए किया जाने वाला प्राणयाम है। अन्य प्राणायाम की तरह इस प्राणायाम में भी सांस लिया और छोड़ा जाता है। नाड़ी शोधन प्राणयाम से खून तो साफ़ होता ही है साथ ही खून में ऑक्सीजन का स्तर भी बढ़ जाता है। आइए जानते हैं कि कैसे नाड़ी शोधन प्राणयाम किया जाता है तथा इस से शरीर को क्या-क्या लाभ होते हैं। [इसे भी पढ़ें: जानें क्या है अनुलोम विलोम प्राणायाम और इसके स्वास्थ्य लाभ]
नाड़ी शोधन प्राणयाम करने का तरीका:
1.पालथी मार कर बैठ जाएं:
सबसे पहले पालथी मार कर बैठें। दायें पैर को बाएं पैर के ऊपर और बाएं पैर को दायें पैर के ऊपर रखें। अपने दोनों हाथ अपने जांघों पर रखें और रिलैक्स हो जाएं और अपनी आंखें बंद करें। यह प्राणायाम करने के लिए किसी साफ सुथरे कमरे का चुनाव करें।
2. दायीं नाक बंद करें:
अपने दायें हाथ को अपने चेहरे की तरफ लायें और अपने दायें हाथ के अंगूठे से दायीं नाक को बंद करें।
3. बायीं नाक से सांस ले:
दायीं नाक बंद करने के बाद अपनी बायीं नाक से धीरे-धीरे एक गहरी सांस लें। जब फेफड़े हवा से भर जाए तब उतने समय के लिए सांसें रोके जितने समय में आपने सांस ली थी। धीरे धीरे सांसों को छोड़ें। सांस छोड़ने में भी उतना समय लगायें जितना आपने सांस लेने में लिया था। पूरी तरह से सांस छोड़ने के बाद दायीं नाक से अंगूठा हटायें और दोनों हाथों को अपने जांघ पर वापस रख लें। [इसे भी पढ़ें- जानें क्या है अनुलोम विलोम प्राणायाम और इसके स्वास्थ्य लाभ]
4.बायीं नाक बंद करें:
अपने बाएं हाथ को अपने चेहरे की तरफ लायें और अपने बाएं हाथ के अंगूठे से बायीं नाक को बंद करें।
5.दायीं नाक से सांस लें:
अपने दायीं नाक से धीरे-धीरे एक गहरी सांस लें। जब फेफड़े हवा से भर जाए तो अपनी सांस रोके। फिर धीरे-धीरे सांस छोड़े। सांस छोड़ने में भी उतना समय लगायें जितना आपने सांस लेने में लिया था।
नाड़ी शोधन प्राणयाम करने दौरान निम्नलिखित सावधानियां बरतें:
*नाड़ी शोधन प्राणयाम करते समय सांस उतना हीं रोकें जितना आपका सामर्थ्य हो।
*अगर आप अस्थमा के मरीज हैं या फिर किसी भी तरह के हृदय रोग से पीड़ित हों तो ये प्राणायाम न करें।
*अगर आप ज्यादा देर तक ये प्राणायाम करने में असमर्थ हो तो इसे कम समय के लिए ही करें।
*ये प्राणायाम खाली पेट ही करें।
*किसी भी तरह का प्राणयाम हमेशा किसी योग प्रशिक्षक के नेतृत्व में ही करें।
नाड़ी शोधन प्राणायाम के फायदे:
* नाड़ी शोधन प्राणायाम करने से खून साफ़ होता है तथा श्वशन तंत्र मजबूत बनता है।
* इस प्राणायाम को करने से खून में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है।
* इस प्राणायाम को करने से फेफड़े और श्वशन तंत्र के अन्य अंग मजबूत बनते हैं।
* नाड़ी शोधन प्राणायाम करने से सिरदर्द, माइग्रेन, बेचैनी और तनाव की समस्या दूर होती है।
* नियमित रूप से नाड़ीशोधन प्राणायाम करने से एकाग्रता बढ़ती है। [ये भी पढ़ें: जानें कूर्मासन योग करने का तरीका और इससे होने वाले फायदे]
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