Monday, 19 March 2018

सच्चे संत की पहचान...

भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवाः भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः । स्थिरैरंगैस्तुष्टुवांसस्तनूभिः व्यशेम देवहितम् यदायुः । स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः। स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ शान्तिः ! शान्तिः !! शान्तिः !!! ▼ FRIDAY, APRIL 7, 2017 सच्चे संत की पहचान... व्रते विवादं, विमति विवेके, सत्ये अतिशंका, विनये विकारम् । गुणे अवमानं, कुशले निषेधं, धर्मे विरोधं न करोति साधु: ।। सुभाषितानि-20 जो मनुष्य अपनी तपस्या को तर्क-वितर्क में नहीं गंवाता, विवेक से कार्य करते समय भेदभाव नहीं करता, सत्य में शंका पैदा कर लोगों को नहीं भरमाता, सामाजिक अनुशासन में अराजकता नहीं पैदा करता, गुणी विद्वान-वैज्ञानिक-कलाकार आदि को अपमानित नहीं करता, लोगों के समरसता-पूर्ण जीवन में खलल नहीं डालता तथा लोक-कल्याण के कार्यों का विरोध नहीं करता; उसे ही साधु कहा जाता है । at April 07, 2017 Share ‹ › Home View web version ABOUT ME Chandrakishore Prasad View my complete profile Powered by Blogger.

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