Wednesday 21 March 2018

स्वस्थ रहें जल और स्वर योग

Print this page स्वस्थ रहें जल और स्वर योग से योग चिकित्सा के मुख्य हिस्से हैं आसन, प्राणायाम, ध्यान और सूर्य नमस्कार। जीवन की गाड़ी को पटरी पर स्वस्थ चलाने के लिए जरूरी है योग। विशेषज्ञों का कहना है कि योग को जीवन शैली का हिस्सा बनाना अत्यंत आवश्यक है। योग बच्चे, युवा, बुजुर्ग, रोगी, स्त्री-पुरुष सभी के लिए समान रूप से एक चमत्कारी औषधि है। जल योग और स्वर योग द्वारा हम आजीवन निरोग कैसे रह सकते हैं, आइये जानें- जल योग जल योग में प्रात: उषा-पान किया जाता है। उषाकाल उसे कहते हैं, जब पौ फट रही होती है, रात का अन्धकार कम होने लगता है और हल्का-हल्का प्रकाश होने लगता है। उषा-पान के लिए रात को सोते समय तांबे के लोटे में पानी भर कर ढक दें। सुबह नींद खुलते ही कम-से-कम 1 गिलास इस पानी को पिएं और धीरे-धीरे अभ्यस्त होने पर इसे बढ़ाते हुए ज्यादा-से-ज्यादा 5 गिलास तक पिएं। जल बैठकर पिएं। लाभ : उषा-पान करने से शौच खुलकर होता है, कब्ज का नाश होता है, पेट में रात भर इकट्ठी हुई गर्मी शान्त होती है। स्वास्थ्य विज्ञान के अनुसार प्रत्येक मनुष्य को सभी मौसम में प्रतिदिन 10-15 गिलास पानी पीना चाहिए। जल योग से हमारे आमाशय की धुलाई होती है। पाचनतन्त्र की तरफ खून का दौरा बढ़ जाता है, जिसके कारण पेट की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है। पूरे शरीर का तापमान स्थिर रखने में पानी की अहम भूमिका होती है। खून के रूप में पानी ही शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में संचारित होते हुए सम्पूर्ण शरीर का तापमान स्थिर बनाए रखता है। जल गुर्दे की कार्य क्षमता बढ़ाता है और शरीर के पित्त निकालने वाले अंगों-गुर्दे, फेफड़े, त्वचा और पाचन संस्थान में पर्याप्त सक्रियता बनाए रखता है। पर्याप्त जल-पान से पसीना, पेशाब, मल एवं टॉक्सिन का निष्कासन तेज होने लगता है। आयुर्वेद के अनुसार उषा-पान को अमृतपान माना गया है।   स्वर योग स्वर योग का अर्थ है श्वास-श्वास की गति का ज्ञान। जब हम दायें नासिकारंध्र से श्वास लेते हैं, तो वह कहलाता है सूर्य स्वर या पिंगला नाड़ी। जब हम बायें नासिकारंध्र से श्वास लेते हैं, तो वह चन्द्र स्वर या इड़ा नाड़ी कहलाता है। जब यह स्वर दोनों नासपुटों से चलते हैं, तो इसे मध्य स्वर या सुषम्ना नाड़ी कहते हैं। लाभ : स्नान करते वक्त अगर सूर्य स्वर मतलब दाहिना स्वर चल रहा हो तो जो लोग अस्थमा, शीत प्रकृति, जुकाम और खांसी वाले होते हैं, उनके लिए यह विधि रामबाण का काम करती है।    जिनको हमेशा कब्ज रहता है, अगर वह शौच के वक्त सूर्य स्वर को चलाएंगे, तो उनका वर्षों पुराना कब्ज भी धीरे-धीरे ठीक हो जाएगा।  जब आप ज्वर से पीडि़त हो तो उस परिस्थिति में चन्द्र स्वर चलाएं। धीरे-धीरे आपका ज्वर उतर जाएगा।  भोजन करते वक्त यदि हम दायां स्वर चलाएं तो इससे भोजन पचने में सहायता मिलती है तथा गैस, कब्ज जैसे रोग से आजीवन मुक्ति मिलती है।   जो लोग अनिद्रा से पीड़ित हैं, वह रात में सोते वक्त बायीं करवट सोएं और दायां स्वर चलाने का अभ्यास करें। उन्हें कुछ ही समय में गहरी नींद आ जाएगी।  रतिक्रिया करते वक्त अगर पुरुष का सूर्य स्वर और स्त्राी का चन्द्र स्वर चलता हो तो उन्हें रतिक्रिया में आनन्द तो आएगा ही, साथ-साथ महिला गर्भधारण करने में भी सक्षम होगी।  महत्वपूर्ण कार्य, जैसे- इंटरव्यू, व्यापार सम्बन्ध्ति कार्यों के लिए घर से निकलते वक्त हमेशा हमारा दायां स्वर यानी सूर्य स्वर और दायें पैर को घर से सबसे पहले निकालें तो मनचाहा कार्य पूरा होगा।  आजीवन निरोग और सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए यदि मनुष्य रात को सूर्य स्वर और दिन में चन्द्र स्वर चलाए तो वह आजीवन निरोग रहेगा। स्वेच्छा से स्वर बदलने का तरीका-  दौडऩे या कसरत करने से स्वर स्वेच्छा से बदल जाता है।  जो स्वर चलाना चाहते हो, उसके विपरीत करवट लेकर सो जाएं और गहरी श्वास लें। कुछ समय में स्वर बदल जाएगा।  स्वच्छ रुई की बत्ती बनाकर नासिका छिद्र में लगाएं और उस छेद को खुला रखें, जिसको चलाना है, वह स्वर चलने लगेगा।  ©2016 Grehlakshmi

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