Monday 19 March 2018

निर्भीकता, सहनशीलता और समदर्शिता सच्चे संत के आवश्यक गुण

Gurukulam Toggle navigation Search... MAIN NAVIGATION Gurukualm Article Calendar Timeline Updates Home Dashboard 👉 निर्भीक-सहिष्णुता 🔵 निर्भीकता, सहनशीलता और समदर्शिता सच्चे संत के आवश्यक गुण माने गए हैं। जो किसी भय अथवा दबाव में आकर अपने पथ से विचलित हो उठे, अपने व्यक्तिगत अपमान अथवा कष्ट से उत्तेजित अथवा विक्षुब्ध हो उठे अथवा जो किसी लोभ-लालच, ऊँच-नीच, धनी-निर्धन, पद पदवी के कारण किसी के प्रति अंतर माने उसे सच्चा संत नहीं कहा जा सकता, सच्चा संत भगवान् के राज्य में निर्भय विचरता और व्यवहार करता है, सुख-दुःख, मान-अपमान को उसका कौतुक मानता और प्राणी मात्र में समान दृष्टिकोण रखता है। उसको न कहीं भय होता है, न दु:ख और न ऊँच-नीच। 🔴 सिक्खों के आदि गुरु नानक साहब में यह सभी गुण पूरी मात्रा में मौजूद थे और वे वास्तव में एक सच्चे संत थे। गुरु नानक गाँव के जमींदार दौलत खाँ के मोदीखाने में नौकर थे। जमींदार बड़ा सख्त और जलाली आदमी था, किंतु गुरु नानक न तो कभी उससे दबे न डरे। बल्कि एक बार जब उन्होंने तीन दिन की विचार समाधि के बाद अपना पूर्ण परीक्षण कर विश्वास कर लिया कि अब उन्होंने जन-सेवा के योग्य पूर्ण संतत्व प्राप्त कर लिया है तब वे दौलतखाँ को यह बतलाने गये कि अब नौकरी नहीं करेंगे, बल्कि शेष जीवन जन सेवा में लगाएँगे। 🔵 जमींदार ने उन्हें अपने बैठक खाने में बुलवाया गुरुनानक गये और बिना सलाम किए उसके बराबर आसन पर बैठ गये जमींदार की भौंहे तन गई बोला-नानक! मेरे मोदी होकर तुमने मुझे सलाम नहीं किया और आकर बराबर में बैठ गए। यह गुस्ताखी क्यों की ? नानक ने निर्भीकता से उत्तर दिया दौलतखान! आपका मोदी नानक तो मर गया है, अब उस नानक का जन्म हुआ है, जिसके हृदय में भगवान् की ज्योति उतर आई है, अब जिसके लिए दुनिया में सब बराबर हैं। जो सबको अपना प्यारा भाई समझता है। कहते-कहते नानक के मुख पर एक तेज चमकने लगा। जमींदार ने कुछ देखा और कुछ समझा, 'फिर भी कहा-अगर आप किसी में अंतर नहीं समझते और मुझे अपना भाई समझते हैं, तो मेरे साथ मस्जिद में नमाज पढने चलिए। नानक ने जरा संकोच नहीं किया और एक एकेश्वरवादी संत उसके साथ मस्जिद चला गया। 🔴 जिस समय नानक मक्का की यात्रा को गए, घटना उस समय की है। निर्द्वद्व संत दिन भर स्थान-स्थान पर सत्संग करते, मुसलमान धर्म का स्वरूप समझते और अपने धर्म का प्रचार करते फिरते रहे। एक रात में मस्ती के साथ एक मैदान में पड़कर सो रहे थे। संयोगवश उनके पैर काबा की ओर फैले हुए थे। उधर से कई मुसलमान निकले। वे बडे ही संकीर्ण विचार वाले थे। गुरुनानक को काबे की तरफ पैर किए लेटा देखा तो आपे से बाहर हो गए। पहले तो उन्होने उन्हें काफिर आदि कहकर बहुत गालियाँ दीं और तब भी जब उनकी नीद न टूटी तो लात-घूँसों से मरने लगे। नानक जागे और नम्रता से बोले- "भाई क्या गलती हो गई जो मुझ परदेशी को आप लोग मार रहे है ? 🔵 मुसलमान गाली देते हुए बोले- 'तुझे सूझता नहीं कि इधर कबा-खुदा का घर है और तू उधर ही पैर किये लेटा है।'' 🔴 नानक ने कहा- 'उसे सब जगह और सब तरफ न मानकर किसी एक खास जगह में मानना, मनुष्य की अपनी बौद्धिक सकीर्णता है। अच्छा हो कि आप लोग भी उसे मेरी ही तरह सब जगह और सब तरफ मानें। इसी में खुदा की बडाई है और इसी में हमारी सबकी भलाई है।'' 🔵 गुरु नानक की सहनशीलता, निर्भीकता और ईश्वरीय निष्ठा देखकर मुसलमानो का अज्ञान दूर हो गया। उन्होंने उन्हे सच्चा संत समझा और अपनी मूल की माफी माँगकर उनका आदर किया। 🌹 ~पं श्रीराम शर्मा आचार्य 🌹 संस्मरण जो भुलाए न जा सकेंगे पृष्ठ 65, 66 http://awgpskj.blogspot.in/2017/03/blog-post_77.html LikeUnlike Releted Story Ram Krishna Yadav Wednesday 07 March 07:42 AM 2018 मेरे पापा की औकात STORY   मेरे पापा की औकात 🔷 पाँच दिन की छूट्टियाँ बिता कर जब ससुराल पहुँची तो पति घर के सामने स्वागत में खड़े थे। अंदर प्रवेश किया तो छोटे से गैराज में चमचमाती गाड़ी खड़ी थी स्विफ्ट डिजायर! 🔶 मैंने आँखों ही आँखों से पति से प्रश्न किया तो उन्होंने गाड़ी की चाबियाँ थमाकर कहा:-"कल से तुम इस गाड़ी में कॉलेज जाओगी प्रोफेसर साहिबा!" 🔷 "ओह माय गॉड!!'' 🔶 ख़ुशी इतनी थी कि मुँह से और कुछ निकला ही नही। बस जोश और भावावेश में मैंने तहसीलदार साहब को एक जोरदार झप्पी देदी और अमरबेल की तरह उनसे लिपट गई। उनका गिफ्ट देने का तरीका भी अजीब हुआ करता है। 🔷 सब कुछ चुपचाप और अचानक!! खुद के पास पुरानी इंडिगो है और मेरे लिए और भी महंगी खरीद लाए। 🔶 6 साल की शादीशुदा जिंदगी में इस आदमी ने न जाने कितने गिफ्ट दिए। गिनती करती हूँ तो थक जाती हूँ। ईमानदार है रिश्वत नही लेते । मग़र खर्चीले इतने कि उधार के पैसे लाकर गिफ्ट खरीद लाते है। 🔷 लम्बी सी झप्पी के बाद मैं अलग हुई तो गाडी का निरक्षण करने लगी। मेरा फसन्दीदा कलर था। बहुत सुंदर थी। फिर नजर उस जगह गई जहाँ मेरी स्कूटी खड़ी रहती थी। हठात! वो जगह तो खाली... Read More Share Ram Krishna Yadav Tuesday 20 February 07:49 AM 2018 बदलाव STORY   🔶 मेरी ख़ामोश प्रवृत्ति के कारण मैं मायके से लेकर ससुराल तक कभी प्रशंसा, तो कभी व्यंगबाण झेलती रही. मैं चाहकर भी किसी बात का प्रत्युत्तर नहीं दे पाती थी. बस, हर स्थिति में सामंजस्य बिठाकर चुप्पी ओढ़ लेती. मेरी इसी प्रवृत्ति का फ़ायदा जीवनभर मेरे पति और उनके बाद मेरे पुत्र ने उठाया. इन सब बातों को सोचने के लिए मैं आज क्यों विवश हुई? आज लगता है कि उसकी शादी आशू से कराकर मैंने बड़ी भारी भूल की. उसने अपने पिता का स्वभाव पाया था. वही शक्की मिज़ाज, वही अहंकारपूर्ण व्यवहार, वही हृदय को भेद देनेवाले कटीले व्यंगबाण कहना. आज रह-रहकर पश्‍चाताप हो रहा है. मैं कैसे भूल गयी कि बबूल के पेड़ पर आम नहीं लगते. आशू के पिता शुरू से ही अक्खड़ क़िस्म के व्यक्ति थे. लोक-लाज और मेरी ख़ामोश प्रवृत्ति ने कभी मुझे उनसे विद्रोह नहीं करने दिया. आज वही भूल मेरे हृदय को शूल बनकर चुभ रही हैं. अपनी इस भूल का एहसास शायद जीवनभर मुझे न हो पाता, यदि मैं आशू की शादी रूपा से न कराती। 🔷 आशू आए दिन रूपा को किसी न किसी बात पर डांटता-फटकारता रहता. रूपा गृहकार्य में निपुण पढ़ी-लिखी लड़की थी. आशू उसके हर काम में दोष निकालता... Read More Share Ram Krishna Yadav Friday 16 February 09:07 AM 2018 बदलाव STORY     बदलाव 🔶 मेरी ख़ामोश प्रवृत्ति के कारण मैं मायके से लेकर ससुराल तक कभी प्रशंसा, तो कभी व्यंगबाण झेलती रही. मैं चाहकर भी किसी बात का प्रत्युत्तर नहीं दे पाती थी. बस, हर स्थिति में सामंजस्य बिठाकर चुप्पी ओढ़ लेती. मेरी इसी प्रवृत्ति का फ़ायदा जीवनभर मेरे पति और उनके बाद मेरे पुत्र ने उठाया. इन सब बातों को सोचने के लिए मैं आज क्यों विवश हुई? आज लगता है कि उसकी शादी आशू से कराकर मैंने बड़ी भारी भूल की. उसने अपने पिता का स्वभाव पाया था. वही शक्की मिज़ाज, वही अहंकारपूर्ण व्यवहार, वही हृदय को भेद देनेवाले कटीले व्यंगबाण कहना. आज रह-रहकर पश्‍चाताप हो रहा है. मैं कैसे भूल गयी कि बबूल के पेड़ पर आम नहीं लगते. आशू के पिता शुरू से ही अक्खड़ क़िस्म के व्यक्ति थे. लोक-लाज और मेरी ख़ामोश प्रवृत्ति ने कभी मुझे उनसे विद्रोह नहीं करने दिया. आज वही भूल मेरे हृदय को शूल बनकर चुभ रही हैं. अपनी इस भूल का एहसास शायद जीवनभर मुझे न हो पाता, यदि मैं आशू की शादी रूपा से न कराती। 🔷 आशू आए दिन रूपा को किसी न किसी बात पर डांटता-फटकारता रहता. रूपा गृहकार्य में निपुण पढ़ी-लिखी लड़की थी. आशू उसके हर काम में दोष... Read More Share Ram Krishna Yadav Thursday 11 January 09:26 PM 2018 भगवान में विश्वास STORY   🔶 स्वामी विवेकानंद का सम्पूर्ण जीवन एक दीपक के समान है जो हमेशा अपने प्रकाश से इस संसार को जगमगाता रहेगा और उनका जीवन सदा हम लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा। 🔷 एक बार स्वामी विवेकानंद ट्रेन से यात्रा कर रहे थे और हमेशा की तरह भगवा कपडे और पगड़ी पहनी हुई थी। ट्रेन में यात्रा कर रहे एक अन्य यात्री को उनका ये रूप बहुत अजीब लगा और वो स्वामी जी को कुछ अपशब्द कहने लगा बोला – तुम सन्यासी बनकर घूमते रहते हो कुछ कमाते धमाते क्यों नहीं हो, तुम लोग बहुत आलसी हो, लेकिन स्वामी जी दयावान थे उन्होंने उसकी तरफ बिलकुल भी ध्यान नहीं दिया और हमेशा की तरह चेहरे पे तेज लिए मुस्कुराते रहे। 🔶 उस समय स्वामी जी को बहुत भूख लगी हुई थी क्यूंकि उन्होंने सुबह से कुछ खाया पिया नहीं था। स्वामी जी हमेशा दूसरों के कल्याण के बारे में सोचते थे अपने खाने का उन्हें ध्यान ही कहाँ रहता था । एक तरफ स्वामी जी भूख से व्याकुल थे वहीँ वो दूसरा यात्री उनको अप्शब्द और बुरा भला कहने में कोई कमी नहीं छोड़ रहा था । इसी बीच स्टेशन आ गया और स्वामी जी और वो यात्री दोनों... Read More Share Ram Krishna Yadav Thursday 11 January 09:24 PM 2018 माँ की महिमा STORY   🔶 स्वामी विवेकानंद जी से एक जिज्ञासु ने प्रश्न किया," माँ की महिमा संसार में किस कारण से गायी जाती है? स्वामी जी मुस्कराए, उस व्यक्ति से बोले, पांच सेर वजन का एक पत्थर ले आओ। जब व्यक्ति पत्थर ले आया तो स्वामी जी ने उससे कहा, " अब इस पत्थर को किसी कपडे में लपेटकर अपने पेट पर बाँध लो और चौबीस घंटे बाद मेरे पास आओ तो मई तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दूंगा।" 🔷 स्वामी जी के आदेशानुसार उस व्यक्ति ने पत्थर को अपने पेट पर बाँध लिया और चला गया। पत्थर बंधे हुए दिनभर वो अपना कम करता रहा, किन्तु हर छण उसे परेशानी और थकान महसूस हुई। शाम होते-होते पत्थर का बोझ संभाले हुए चलना फिरना उसके लिए असह्य हो उठा। थका मांदा वह स्वामी जी के पास पंहुचा और बोला , " मै इस पत्थर को अब और अधिक देर तक बांधे नहीं रख सकूँगा | एक प्रश्न का उत्तर पाने क लिए मै इतनी कड़ी सजा नहीं भुगत सकता।" 🔶 स्वामी जी मुस्कुराते हुए बोले, " पेट पर इस पत्थर का बोझ तुमसे कुछ घंटे भी नहीं उठाया गया और माँ अपने गर्भ में पलने वाले शिशु को पूरे नौ माह तक ढ़ोती है और ग्रहस्थी... Read More Share Ram Krishna Yadav Thursday 11 January 09:24 PM 2018 देने का आनंद पाने के आनंद से बड़ा होता है STORY   🔷 भ्रमण एवं भाषणों से थके हुए स्वामी विवेकानंद अपने निवास स्थान पर लौटे। उन दिनों वे अमेरिका में एक महिला के यहां ठहरे हुए थे। वे अपने हाथों से भोजन बनाते थे। एक दिन वे भोजन की तैयारी कर रहे थे कि कुछ बच्चे पास आकर खड़े हो गए। 🔶 उनके पास सामान्यतया बच्चों का आना-जाना लगा ही रहता था। बच्चे भूखे थे। स्वामीजी ने अपनी सारी रोटियां एक-एक कर बच्चों में बांट दी। महिला वहीं बैठी सब देख रही थी। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ। आखिर उससे रहा नहीं गया और उसने स्वामीजी से पूछ ही लिया- 'आपने सारी रोटियां उन बच्चों को दे डाली, अब आप क्या खाएंगे?' 🔷 स्वामीजी के अधरों पर मुस्कान दौड़ गई। उन्होंने प्रसन्न होकर कहा- 'मां, रोटी तो पेट की ज्वाला शांत करने वाली वस्तु है। इस पेट में न सही, उस पेट में ही सही।' देने का आनंद पाने के आनंद से बड़ा होता है।... Share Ram Krishna Yadav Thursday 11 January 09:23 PM 2018 स्वामी विवेकानन्द जैसा पुत्र STORY   🔶 एक बार जब स्वामी विवेकानंद अमेरिका गए थे, एक महिला ने उनसे शादी करने की इच्छा जताई. जब स्वामी विवेकानंद ने उस महिला से ये पुछा कि आप ने ऐसा प्रश्न क्यूँ किया? 🔷 उस महिला का उत्तर था कि वो उनकी बुद्धि से बहुत मोहित है.और उसे एक ऐसे ही बुद्धिमान बच्चे कि कामना है. इसीलिए उसने स्वामी से ये प्रश्न किया कि क्या वो उससे शादी कर सकते है और उसे अपने जैसा एक बच्चा दे सकते हैं? 🔶 उन्होंने महिला से कहा कि चूँकि वो सिर्फ उनकी बुद्धि पर मोहित हैं इसलिए कोई समस्या नहीं है. उन्होंने कहा “मैं आपकी इच्छा को समझता हूँ. शादी करना और इस दुनिया में एक बच्चा लाना और फिर जानना कि वो बुद्धिमान है कि नहीं, इसमें बहुत समय लगेगा. इसके अलावा ऐसा हो इसकी गारंटी भी नहीं है. इसके बजाय, आपकी इच्छा को तुरंत पूरा करने हेतु मैं आपको एक सुझाव दे सकता हूँ. मुझे अपने बच्चे के रूप में स्वीकार कर लें .इस प्रकार आप मेरी माँ बन जाएँगी. और इस प्रकार मेरे जैसे बुद्धिमान बच्चा पाने की आपकी इच्छा भी पूर्ण हो जाएगी।“... Share Ramkumar Vajpai Tuesday 26 December 05:41 PM 2017 एक फ़कीर और नदी STORY   एक फ़कीर नदी के किनारे बैठा था. किसी ने पूछा : 'बाबा क्या कर रहे हो?' फ़कीर ने कहा : 'इंतज़ार कर रहा हूँ की पूरी नदी बह जाएं तो फिर पार करूँ' उस व्यक्ति ने कहा : 'कैसी बात करते हो बाबा पूरा जल बहने के इंतज़ार मे तो तुम कभी नदी पार ही नही कर पाओगे' फ़कीर ने कहा "यही तो मै तुम लोगो को समझाना चाहता हूँ की तुम लोग जो सदा यह कहते रहते हो की एक बार जीवन की ज़िम्मेदारियाँ पूरी हो जाये तो मौज करूँ, घूमूँ फिरू, सबसे मिलूँ, सेवा करूँ... जैसे नदी का जल खत्म नही होगा हमको इस जल से ही पार जाने का रास्ता बनाना है इस प्रकार जीवन खत्म हो जायेगा पर जीवन के काम खत्म नही होंगे." आज ही जीए जिंदगी. ... Share Ramkumar Vajpai Monday 25 December 03:18 PM 2017 प्रभु की प्राप्ति किसे होती है..? STORY   एक सुन्दर कहानी है : एक राजा था। वह बहुत न्याय प्रिय तथा प्रजा वत्सल एवं धार्मिक स्वभाव का था। वह नित्य अपने इष्ट देव की बडी श्रद्धा से पूजा-पाठ और याद करता था। एक दिन इष्ट देव ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिये तथा कहा "राजन् मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हैं। बोलो तुम्हारी कोई इछा हॆ?" प्रजा को चाहने वाला राजा बोला "भगवन् मेरे पास आपका दिया सब कुछ हैं आपकी कृपा से राज्य मे सब प्रकार सुख-शान्ति है। फिर भी मेरी एक ही ईच्छा हैं कि जैसे आपने मुझे दर्शन देकर धन्य किया, वैसे ही मेरी सारी प्रजा को भी कृपा कर दर्शन दीजिये।" "यह तो सम्भव नहीं है" ऐसा कहते हुए भगवान ने राजा को समझाया। परन्तु प्रजा को चाहने वाला राजा भगवान् से जिद्द् करने लगा। आखिर भगवान को अपने साधक के सामने झुकना पडा ओर वे बोले "ठीक है, कल अपनी सारी प्रजा को उस पहाड़ी के पास ले आना और मैं पहाडी के ऊपर से सभी को दर्शन दूँगा ।" ये सुन कर राजा अत्यन्त प्रसन्न हुअा और भगवान को धन्यवाद दिया। अगले दिन सारे नगर मे ढिंढोरा पिटवा दिया कि कल सभी पहाड़ के नीचे मेरे साथ पहुँचे, वहाँ भगवान् आप सबको दर्शन देगें। दूसरे... Read More Share Pragya Devi Saturday 25 November 03:09 PM 2017 STORY   महिला संत राबिया अपने पूजा स्थल पर एक जल कलश रखती थी और एक जलता अंगारा। लोग इन पूजा−प्रतीकों का रहस्य पूछते, तो वे कहतीं, मैं अपनी आकाँक्षाओं को पानी में डुबाना चाहती हूँ और अहंकार को जलाना चाहती हूँ, ताकि पतन के इन दोनों अवरोधों से पीछा छुड़ाकर प्रियतम तक पहुँच सकूँ। किसी ने कहा, आप तो संत हैं, सिद्ध हैं, आप में अब दोष कहाँ रह गए, जिन्हें डुबाना−जलाना चाहती हैं। राबिया बोलीं, जिस दिन अपने आपको त्रुटिहीन मान लूँगी, उस दिन संत तो क्या, इंसान भी न रह जाऊँगी।... Read More Share Shravan Gautam Saturday 25 November 01:38 PM 2017 मनुष्य खोज रहा हूँ STORY      एक फकीर प्रतिदिन सुबह के समय हाथों में दो मशालें लेकर बाजार में जाता। हर दुकान के सामने थोड़ी देर ठहरता और आगे बढ़ जाता। एक व्यक्ति ने पूछा- “बाबा तुम दिन के समय मशालें लेकर क्या देखते फिरते हो? क्या ढूँढ़ते हो?” फकीर ने उत्तर दिया- “मैं मनुष्य खोज रहा हूँ। इतनी भीड़ में हमें अभी तक कोई मनुष्य नहीं मिला।” उस व्यक्ति द्वारा मनुष्य की परिभाषा पूछने पर फकीर बोला-”मैं उसको मनुष्य कहता हूँ, जिसमें काम की वासना और क्रोध की अग्नि न हो, जो इंद्रियों का दास न होकर उनका स्वामी हो और क्रोध के आवेश में आकर अपने लिए और दूसरों के लिए आग की लपटें उभारने का यत्न नहीं करता हो।” ... Share himanshu dhiman Monday 20 November 05:32 PM 2017 STORY   कोन कहता हॅ कि जो लोगो को खुश रखता हॅ उसके जीवन मे दुख या गम नही होते उसके जीवन मे दुख बहुत ज्यादा होता हॅ लेकिन वह किसी और के सामने व्यक्त नही होने देता हॅ वह जानता हे कि जितना दुख क अफसोस करेगे वह उतना ही सतायेगा इसलिये दुख को दुर करने के लिये वह खुद भी खुश रहता हे और दुसरो को भि खुश रखने कि कोशिश करता हॅ हमने इस बात का जिक्र पिछले लेख मे भी किया था कि खुशियाँ जिवन को सरल बनती हे और दुख जीवन को मुश्किल बनाता हॅ इस लेख का उद्देश्य केवल यह हॅ कि- दुख व्यक्त करने से अच्छा हॅ कि खुश रहने कि वजह ढूंढो दुख अपने आप कम होने लगेगा य दूर होने लगेगा जब तक कि तुम खुश हो और दूसरों को रखते हो | ... Share himanshu dhiman Friday 17 November 05:31 PM 2017 STORY                                                      मुस्कुरहट हमारे जीवन मे बहु उपयोगी हॅ मनुष्य एक हँसने वाला प्राणी है।” मनुष्य और अन्य पशुओं के बीच भिन्नता सूचित करने वाले—बुद्धि, विवेक तथा सामाजिकता आदि जहाँ अनेक लक्षण हैं, वहाँ एक हास्य भी है। संसार में असंख्यों प्रकार के मनुष्य हैं। उनके रहन-सहन, आहार-विहार, विश्वास-आस्था, आचार-विचार, प्रथा-परम्परा, भाषा-भाव एवं स्वभावगत विशेषताओं में भिन्नता पाई जा सकती है। किन्तु एक विशेषता में संसार के सारे मनुष्य एक हैं। वह विशेषता है— ‘हास्य’। काले-गोरे, लाल-पीले, पढ़े-बेपढ़े, नाटे-लम्बे, सुन्दर-असुन्दर का भेद होने पर भी उनकी भिन्नता के बीच हँसी की वृत्ति सब में सम-भाव से विद्यमान है! देखने को तो देखा जाता है कि आज भी लोग हँसते हैं। किन्तु यह उनकी व्यक्तिगत हँसी होती है। किन्तु सामाजिक तथा सामूहिक हँसी दुनिया से उठती चली जा रही है। उसके स्थान पर एक अनावश्यक, एक कृत्रिम गम्भीरता गम्भीरता के नाम पर हर समय मुँह लटकाये, गाल फुलाये, माथे में बल और आँखों में भारीपन भरे रहने वाले व्यक्तियों की समाज में बहुत कम पसन्द किया जाता है। वे एक बन्द पुस्तक की भाँति लोगों के लिये सन्देह तथा संदिग्धता के विषय बने रहते हैं। लोगों में बढ़ती जा रही है। जिसको हास-विनोद में रुचि नहीं, हर समय रोनी सूरत बनाये रहता है, उसका साथ... Read More Share himanshu dhiman Friday 17 November 12:05 PM 2017 STORY   रिश्ते हमरि जिन्दगी मे रिश्तो को बहुत महत्व दिया जाता हॅ मजबूत और विश्वासी रिश्ते हमारे जीवन को सरल और सुखमयी बनाते हॅ कुछ खास रिश्ते हमे भगवान के द्वारा मिलते हॅ जिन पर कि हमरा जीवन काफी हद तक निर्भ्रर करता हॅ कुछ प्रमुख रिश्ते माता पिता भाई बहन जो कि बहुत् खास होते हॅ इन रिश्तो मे धोखे क गुण रती मात्र ही होता हे हमारे जीवन कि उथल पुथल स्थिति मे ये रिश्ते ही हमारा सहारा बनकर सामने आते हॅ हमारे बडे से बडे दुख को दुर करने हमे खुशिया देने हमारे बारे मे अच्छा सोचने और करने मे यह रिश्ते भगवान कि देन होते हॅ इन रिश्तो मे हमारी सोच प्यार और सन्सकरो का मेल होता हे यह रिश्ते अटूट होते हॅ तथा इन रिश्तो मे धोखा बहुत कम मिल सकता हे वही दुसरी तरफ यह कहा जाता हॅ कि सारे भगवान बनाकर भेजता हे छोड़कर दोस्ती का रिश्ता लेकिन आज कि इस स्वार्थि दुनिया मे दोस्ती का रिश्ता मिलता हे लेकिन वो स्वार्थ के लिये जब लोगो का स्वार्थ पुरा होने लगता हॅ तो लोग दुर होने लगते हे इस लेख का उद्देश्य केवल यह हे कि- - हमे अपने पर निर्भर रहते हुवे अपना... Read More Share himanshu dhiman Wednesday 15 November 05:33 PM 2017 STORY                                               दुसरो पर अपनी खुशी कि निर्भरता बहुत क्षतिरपुर्ण होती हॅ कभी भी अपने बारे मे पुरी जानकारी किसी ऐसे व्यक्ति को नही देनी चाहिये जो कि आपके दुखो के बारे मे जानकर आपसे सहानुभूति रखता हो और आपके बारे मे सब कुछ जानने कि चेष्टा रखता हो क्योंकि वह व्यक्ति पहले तो अपने बारे मे थोडा़ सच थोडा़ झूठ बोलकर आपसे बात करेगा और आपके बारे मे जानेगा इस बात के पीछे उसका अपना स्वार्थ छुपा होता हॅ चाहे यह उसके लिये समय व्यापन हो उसे दुसरो से बात करके व दुसरो के... Read More Share himanshu dhiman Wednesday 15 November 11:49 AM 2017 झुठ बोलने का परिणाम् STORY                                                                          झूठ  कहते हॅ की झूठ के पाव नही होते और झूठ छुपता जरुर हॅ मगर कुछ समय के लिये झूठ कितना हॅ इस बात पर उसके छुपाने कि निर्भरता होती हॅ क्योंकि कुछ छोटी गलती छुपाने के लिये झूठ बोला जाना तो छुप सकता हॅ लेकिन जब किसी इन्सान को धोखा देने के लिये झूठ बोला जाता हॅ तो वह ज्यादा समय तक नही छुप पाता हॅ यह भी कहा जाता हॅ कि झूठ कि आयु ज्यादा नही होती हॅ लेकिन लोग सच छुपाने के लिये बहाने बनाकर झूठ पर झूठ बोलते हॅ लेकिन असली आनन्द तो तब आता हॅ जब उस इन्सान को पता चल जाता हॅ जिससे झूठ बोला जा रहा होता हॅ त्था वह इन्सान बिना किसी बातचीत के दुसरे इन्सान का झूठ जानने के बाद भी उसके झूठ बोलने कि सीमा देखता हॅ बहाना बनाकर झूठ बोलने वाला व्यक्ति यह समझता हॅ कि हम जिससे झूठ बोल रहे हॅ वह नादान हॅ बेवकूफ हॅ लेकिन जब दुसरे व्यक्ति को सच पता लगने लगता हॅ और वह झूठ बोलने वाले व्यक्ति कि क्षमता देखता हॅ तो झूठ बोलने वाले व्यक्ति का मान्- सम्मन धीरे- धीरे नश्ट होने लगता हॅ झूठ का एक पहलू यह भी हॅ कि... Read More Share himanshu dhiman Tuesday 14 November 11:29 AM 2017 STORY   दुख बाटने का एक परिणाम यह भी हे माना कि इस दुनिया मे लोग बहुत दुखी हॅ लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हॅ जो कुछ समय तक तो अपने दुख से दुखी रह्ते हॅ लेकिन जब उन्हे लोगो कि सहानुभूति मिलने लगती हॅ और उनका मन शान्त होने लगता हॅ तो वह कुछ खास लोगो पर निर्भ्रर होने लगते हॅ अपना हर सुख्- दुख उनके साथ बाटने लगते हॅ लेकिन इन सब बातो मे वह यह भुल जाते हॅ कि इन सब का परिणाम उनके लिये अच्छा भी नही हो सकता हॅ अर्थात जो हमारे दुख के समय... Read More Share himanshu dhiman Monday 13 November 11:54 AM 2017 STORY   ... Share Ram Krishna Yadav Thursday 02 November 09:11 AM 2017 बस यही सोच STORY   🔷 कार से उतरकर भागते हुए हॉस्पिटल में पहुंचे नोजवान बिजनेस मैन ने पूछा.. 🔶 “डॉक्टर, अब कैसी हैं माँ?“ हाँफते हुए उसने पूछा। 🔷 “अब ठीक हैं। माइनर सा स्ट्रोक था। ये बुजुर्ग लोग उन्हें सही समय पर लें आये, वरना कुछ बुरा भी हो सकता था। “ 🔶 डॉ ने पीछे बेंच पर बैठे दो बुजुर्गों की तरफ इशारा कर के जवाब दिया। 🔷 “रिसेप्शन से फॉर्म इत्यादि की फार्मैलिटी करनी है अब आपको।” डॉ ने जारी रखा। 🔶 “थैंक यू डॉ. साहेब, वो सब काम मेरी सेक्रेटरी कर रही हैं“ अब वो रिलैक्स था। 🔷 फिर वो उन बुजुर्गों की तरफ मुड़ा.. “थैंक्स अंकल, पर मैनें आप दोनों को नहीं पहचाना।“ 🔶 “सही कह रहे हो बेटा, तुम नहीं पहचानोगे क्योंकि हम तुम्हारी माँ के वाट्सअप फ्रेंड हैं ।” एक ने बोला। 🔷 “क्या, वाट्सअप फ्रेंड ?” चिंता छोड़ , उसे अब, अचानक से अपनी माँ पर गुस्सा आया। 🔶 “60 + नॉम का  वाट्सप ग्रुप है हमारा।” “सिक्सटी प्लस नाम के इस ग्रुप में साठ साल व इससे ज्यादा उम्र के लोग जुड़े हुए हैं। इससे जुड़े हर मेम्बर को उसमे रोज एक मेसेज भेज कर अपनी उपस्थिति दर्ज करानी अनिवार्य होती है, साथ ही अपने आस पास के बुजुर्गों को इसमें जोड़ने... Read More Share Ram Krishna Yadav Monday 30 October 07:40 AM 2017 बेटे के जन्मदिन पर ..... STORY   🔷 रात के 1:30 बजे फोन आता है, बेटा फोन उठाता है तो माँ बोलती है.... "जन्म दिन मुबारक लल्ला" 🔶 बेटा गुस्सा हो जाता है और माँ से कहता है - सुबह फोन करती। इतनी रात को नींद खराब क्यों की? कह कर फोन रख देता है। 🔷 थोडी देर बाद पिता का फोन आता है। बेटा पिता पर गुस्सा नहीं करता, बल्कि कहता है ..." सुबह फोन करते " 🔶 फिर पिता ने कहा - मैनें तुम्हे इसलिए फोन किया है कि तुम्हारी माँ पागल है, जो तुम्हे इतनी रात को फोन किया। 🔷 वो तो आज से 25 साल पहले ही पागल हो गई थी। जब उसे डॉक्टर ने ऑपरेशन करने को कहा और उसने मना किया था। वो मरने के लिए तैयार हो गई, पर ऑपरेशन नहीं करवाया। 🔶 रात के 1:30 को तुम्हारा जन्म हुआ। शाम 6 बजे से रात 1:30 तक वो प्रसव पीड़ा से परेशान थी । 🔷 लेकिन तुम्हारा जन्म होते ही वो सारी पीड़ा भूल गय ।उसके ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा । तुम्हारे जन्म से पहले डॉक्टर ने दस्तखत करवाये थे, कि अगर कुछ हो जाये, तो हम जिम्मेदार नहीं होंगे। 🔶 तुम्हे साल में एक दिन फोन किया, तो तुम्हारी नींद खराब हो गई......मुझे तो रोज रात... 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