Tuesday 19 September 2017

घट स्थापना विधि

चिंता न करें, इस बार घट स्थापना के लिए खूब मुहूर्त

इस जगत की सृष्टि, संचालन और संहार के लिए ब्रह्मा, विष्णु और महेश को भी सामर्थ्य प्रदान करने वालीं माँ जगदम्बा ही इस सम्पूर्ण ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री शक्ति हैं जिनका ममतामयी और करुणामयी स्वरुप जीवमात्र के लिए सदैव कल्याणकारी रहता है। वैसे तो देवी माँ की पूजा के लिए प्रत्येक दिन और प्रति क्षण ही श्रेष्ठ है परंतु नवरात्र के नो दिन देवी माँ की उपासना के लिए बहुत विशेष महत्व रखते हैं जगत के कल्याण के लिए उस आदि शक्ति अपने तेज को नो अलग अलग रूपों में प्रकट किया जिन्हें हम नव-दुर्गा कहते हैं। नवरात्र का समय माँ दुर्गा के इन्ही नौ रूपों की उपासना का समय होता है जिसमें प्रत्येक दिन देवी माँ के अलग अलग रूप की पूजा की जाती है - नवरात्र में देवी के नो रूपों में से प्रथम दिन "माँ शैलपुत्री" की पूजा की जाती है दूसरे दिन "ब्रह्मचारिणी" स्वरुप की तीसरे दिन "चंद्रघंटा" चौथे दिन "कुष्मांडा" पांचवे दिन "स्कन्दमाता" छटे दिन "कात्यायनी" सातवे दिन "कालरात्रि" आठवे दिन "महागौरी" तथा नवरात्रि के नौवे दिन माँ "सिद्धिदात्री" की पूजा की जाती है। .....      
  
श्लोक -     प्रथमं शैलपुत्री च द्वितयं ब्रह्मचारिणी। तृतीयं चन्द्रघण्टेति कुष्मांडेति चतुर्थकं।।
 
                 पंचमं स्कन्दमातेति षष्टम कात्यायनीति च। सप्तमं कालरात्रीति महागौरी चाष्टमम ।।
 
                   नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तितः।
 घट स्थापना के मुहूर्त
ये होगा घट स्थापना का शुभ समय -  नवरात्र में घट स्थापना के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त का विशेष महत्व है इस आधार पर इस बार 21 सितम्बर गुरुवार को "प्रातः 6 बजकर 14 मिन्ट से 7 बजकर 44 मिन्ट तक" का समय घट स्थापना के लिए विशेष शुभ है  पर जो व्यक्ति इस समय में घट स्थापना ना कर पाएं तो इसके बाद "प्रातः 10 बजकर 44 मिन्ट से दोपहर 12 बजकर 13 मिन्ट के बीच" चर चौघड़िया और अभिजीत मुहूर्त की उपस्थिति में भी घट स्थापना का शुभ मुहूर्त होगा।
 
पहली बार मुहूर्त ही मुहूर्त
 
प्रात:   6.03 से 8.22 बजे तक
दोपहर-  12.20 से 1.51 तक ( लाभ की चौघड़िया)
अपराह्न-   1.51 से 3.22 तक
( राहू काल 1.30 से 3 बजे तक है। इस मध्य घट स्थापना नहीं करें)
सायंकाल- 4.53 से 7.53 तक भी घट स्थापना का समय है
(लेकिन जहां तक संभव हो, पूर्वाह्न 12 बजे से पहले-पहले घट-स्थापना कर लें। )
ज्योतिर्विद् अभय पाण्डेय
वाराणसी
 

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