Sunday, 17 September 2017

रहीम के दोहे

मेनू  खोजें हम हिन्दी भाषी इस साईट का नया कलेवर यहां पाएं: http://hindibhashi.com रहीम के दोहे रहीम के दोहे रहीम छिमा बड़न को चाहिये, छोटन को उतपात। कह रहीम हरि का घट्यौ, जो भृगु मारी लात॥1॥ अर्थ: बड़ों को क्षमा शोभा देती है और छोटों को उत्पात (बदमाशी)। अर्थात अगर छोटे बदमाशी करें कोई बड़ी बात नहीं और बड़ों को इस बात पर क्षमा कर देना चाहिए। छोटे अगर उत्पात मचाएं तो उनका उत्पात भी छोटा ही होता है। जैसे यदि कोई कीड़ा (भृगु) अगर लात मारे भी तो उससे कोई हानि नहीं होती। तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान। कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥2॥ अर्थ: वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं और सरोवर भी अपना पानी स्वयं नहीं पीती है। इसी तरह अच्छे और सज्जन व्यक्ति वो हैं जो दूसरों के कार्य के लिए संपत्ति को संचित करते हैं। दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय। जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे होय॥3॥ अर्थ: दुख में सभी लोग याद करते हैं, सुख में कोई नहीं। यदि सुख में भी याद करते तो दुख होता ही नहीं। खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान। रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान॥4॥ अर्थ: दुनिया जानती है कि खैरियत, खून, खांसी, खुशी, दुश्मनी, प्रेम और मदिरा का नशा छुपाए नहीं छुपता है। जो रहीम ओछो बढ़ै, तौ अति ही इतराय। प्यादे सों फरजी भयो, टेढ़ो टेढ़ो जाय॥5॥ अर्थ: ओछे लोग जब प्रगति करते हैं तो बहुत ही इतराते हैं। वैसे ही जैसे शतरंज के खेल में जब प्यादा फरजी बन जाता है तो वह टेढ़ी चाल चलने लगता है। बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय। रहिमन बिगरे दूध को, मथे न माखन होय॥6॥ अर्थ: जब बात बिगड़ जाती है तो किसी के लाख कोशिश करने पर भी बनती नहीं है। उसी तरह जैसे कि दूध को मथने से मक्खन नहीं निकलता। आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि। ये तीनों तब ही गये, जबहि कहा कछु देहि॥7॥ अर्थ: ज्यों ही कोई किसी से कुछ मांगता है त्यों ही आबरू, आदर और आंख से प्रेम चला जाता है। खीरा सिर ते काटिये, मलियत नमक लगाय। रहिमन करुये मुखन को, चहियत इहै सजाय॥8॥ अर्थ: खीरे को सिर से काटना चाहिए और उस पर नमक लगाना चाहिए। यदि किसी के मुंह से कटु वाणी निकले तो उसे भी यही सजा होनी चाहिए। चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह। जिनको कछु नहि चाहिये, वे साहन के साह॥9॥ अर्थ: जिन्हें कुछ नहीं चाहिए वो राजाओं के राजा हैं। क्योंकि उन्हें ना तो किसी चीज की चाह है, ना ही चिंता और मन तो बिल्कुल बेपरवाह है। जे गरीब पर हित करैं, हे रहीम बड़ लोग। कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग॥10॥ अर्थ: जो गरीब का हित करते हैं वो बड़े लोग होते हैं। जैसे सुदामा कहते हैं कृष्ण की दोस्ती भी एक साधना है। जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय। बारे उजियारो लगे, बढ़े अँधेरो होय॥11॥ अर्थ: दीपक के चरित्र जैसा ही कुपुत्र का भी चरित्र होता है। दोनों ही पहले तो उजाला करते हैं पर बढ़ने के साथ-साथ अंधेरा होता जाता है। रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि। जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवारि॥12॥ अर्थ: बड़ों को देखकर छोटों को भगा नहीं देना चाहिए। क्योंकि जहां छोटे का काम होता है वहां बड़ा कुछ नहीं कर सकता। जैसे कि सुई के काम को तलवार नहीं कर सकती। बड़े काम ओछो करै, तो न बड़ाई होय। ज्यों रहीम हनुमंत को, गिरिधर कहे न कोय॥13॥ अर्थ: जब ओछे ध्येय के लिए लोग बड़े काम करते हैं तो उनकी बड़ाई नहीं होती है। जब हनुमान जी ने धोलागिरी को उठाया था तो उनका नाम कारन ‘गिरिधर’ नहीं पड़ा क्योंकि उन्होंने पर्वत राज को छति पहुंचाई थी, पर जब श्री कृष्ण ने पर्वत उठाया तो उनका नाम ‘गिरिधर’ पड़ा क्योंकि उन्होंने सर्व जन की रक्षा हेतु पर्वत को उठाया था| माली आवत देख के, कलियन करे पुकारि। फूले फूले चुनि लिये, कालि हमारी बारि॥14॥ अर्थ: माली को आते देखकर कलियां कहती हैं कि आज तो उसने फूल चुन लिया पर कल को हमारी भी बारी भी आएगी क्योंकि कल हम भी खिलकर फूल हो जाएंगे। एकहि साधै सब सधै, सब साधे सब जाय। रहिमन मूलहि सींचबो, फूलहि फलहि अघाय॥15॥ अर्थ: एक को साधने से सब सधते हैं। सब को साधने से सभी के जाने की आशंका रहती है। वैसे ही जैसे किसी पौधे के जड़ मात्र को सींचने से फूल और फल सभी को पानी प्राप्त हो जाता है और उन्हें अलग-अलग सींचने की जरूरत नहीं होती है। रहिमन वे नर मर गये, जे कछु माँगन जाहि। उनते पहिले वे मुये, जिन मुख निकसत नाहि॥16॥ अर्थ: जो व्यक्ति किसी से कुछ मांगने के लिए जाता है वो तो मरे हुए हैं ही परन्तु उससे पहले ही वे लोग मर जाते हैं जिनके मुंह से कुछ भी नहीं निकलता है। रहिमन विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय। हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥17॥ अर्थ: कुछ दिन रहने वाली विपदा अच्छी होती है। क्योंकि इसी दौरान यह पता चलता है कि दुनिया में कौन हमारा हित या अनहित सोचता है। बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर। पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर॥18॥ अर्थ: बड़े होने का यह मतलब नहीं है कि उससे किसी का भला हो। जैसे खजूर का पेड़ तो बहुत बड़ा होता है परन्तु उसका फल इतना दूर होता है कि तोड़ना मुश्किल का काम है। रहिमन निज मन की व्यथा, मन में राखो गोय। सुनि इठलैहैं लोग सब, बाटि न लैहै कोय॥19॥ अर्थ: अपने दुख को अपने मन में ही रखनी चाहिए। दूसरों को सुनाने से लोग सिर्फ उसका मजाक उड़ाते हैं परन्तु दुख को कोई बांटता नहीं है। रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर। जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर॥20॥ अर्थ: जब बुरे दिन आए हों तो चुप ही बैठना चाहिए, क्योंकि जब अच्छे दिन आते हैं तब बात बनते देर नहीं लगती। बानी ऐसी बोलिये, मन का आपा खोय। औरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय॥21॥ अर्थ: अपने मन से अहंकार को निकालकर ऐसी बात करनी चाहिए जिसे सुनकर दूसरों को खुशी हो और खुद भी खुश हों। मन मोती अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय। फट जाये तो ना मिले, कोटिन करो उपाय॥22॥ अर्थ: मन, मोती, फूल, दूध और रस जब तक सहज और सामान्य रहते हैं तो अच्छे लगते हैं परन्तु यदि एक बार वे फट जाएं तो करोड़ों उपाय कर लो वे फिर वापस अपने सहज रूप में नहीं आते। दोनों रहिमन एक से, जब लौं बोलत नाहिं। जान परत हैं काक पिक, ऋतु वसंत कै माहि॥23॥ रहिमह ओछे नरन सो, बैर भली ना प्रीत। काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँति विपरीत॥24॥ अर्थ: कम दिमाग के व्यक्तियों से ना तो प्रीती और ना ही दुश्मनी अच्छी होती है। जैसे कुत्ता चाहे काटे या चाटे दोनों को विपरीत नहीं माना जाता है। रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय। टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय॥25॥ अर्थ: प्रेम के धागे को कभी तोड़ना नहीं चाहिए क्योंकि यह यदि एक बार टूट जाता है तो फिर दुबारा नहीं जुड़ता है और यदि जुड़ता भी है तो गांठ तो पड़ ही जाती है। रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून। पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥26॥ अर्थ: इस दोहे में रहीम ने पानी को तीन अर्थों में प्रयोग किया है। पानी का पहला अर्थ मनुष्य के संदर्भ में है जब इसका मतलब विनम्रता से है। रहीम कह रहे हैं कि मनुष्य में हमेशा विनम्रता (पानी) होना चाहिए। पानी का दूसरा अर्थ आभा, तेज या चमक से है जिसके बिना मोती का कोई मूल्य नहीं। पानी का तीसरा अर्थ जल से है जिसे आटे (चून) से जोड़कर दर्शाया गया है। रहीम का कहना है कि जिस तरह आटे का अस्तित्व पानी के बिना नम्र नहीं हो सकता और मोती का मूल्य उसकी आभा के बिना नहीं हो सकता है, उसी तरह मनुष्य को भी अपने व्यवहार में हमेशा पानी (विनम्रता) रखना चाहिए जिसके बिना उसका मूल्यह्रास होता है। वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग। बाँटनवारे को लगै, ज्यौं मेंहदी को रंग॥27॥ अर्थ: वे पुरुष धन्य हैं जो दूसरों का उपकार करते हैं। उनपे रंग उसी तरह उकर आता है जैसे कि मेंहदी बांटने वाले को अलग से रंग लगाने की जरूरत नहीं होती।  एक उत्तर दें prasaant के तौर पर लॉगिन हैं. लॉग आउट करें? टिप्पणी  टिप्पणी करे  Notify me of new comments via email. yogendra पर जुलाई 11, 2009 को 1:36 अपराह्न rahim sahab ki durdrishti gajab ki thi.us samay jab bharat ki aabadi kam thi aur jalsansadhan bahut tha us samay unhone pani ke mahatwa ko bataya. wah aaj charitarth ho rahi hai”rahuiman pani rakhiyo bin pani sab sun…..” प्रतिक्रिया lakulish पर मार्च 10, 2015 को 6:00 पूर्वाह्न छिमा बड़न को चाहिये, छोटन को उतपात। कह रहीम हरि का घट्यौ, जो भृगु मारी लात॥1॥ इस दोहे में भृगु और विष्णु की कहानी को relate किया गया है ना की भ्रगु का मतलब कीड़ा है | इसे ज़रा सही करे प्रतिक्रिया raghav पर अप्रैल 22, 2010 को 9:40 पूर्वाह्न give meanings of these dohas प्रतिक्रिया Sanchit पर जुलाई 13, 2010 को 5:04 अपराह्न it should contain meaning too प्रतिक्रिया nkchoudhary पर जुलाई 13, 2010 को 5:11 अपराह्न Hi Sanchit, I know there are some words in which are archaic. Will try to add meaning into it soon. प्रतिक्रिया sariks पर सितम्बर 18, 2010 को 8:37 पूर्वाह्न रहिमन विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय। हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥17॥ guru kumaher sip प्रतिक्रिया sarika पर सितम्बर 18, 2010 को 8:38 पूर्वाह्न रहिमन विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय। हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥17॥ guru kumaher sip ka arth प्रतिक्रिया Divyansh Chauhan पर अगस्त 19, 2011 को 2:26 अपराह्न please add meanings with it…!!!!! प्रतिक्रिया sheena doll पर सितम्बर 14, 2011 को 5:57 अपराह्न yaaaaaa dey shud hav meaning 2……………. प्रतिक्रिया ripunjay singh पर नवम्बर 24, 2011 को 12:23 अपराह्न give meanings to this.bad प्रतिक्रिया nkchoudhary पर दिसम्बर 2, 2011 को 4:55 अपराह्न Hello friends, Finally I got some time to add some meaning. This is not very comprehensive, but the crux of the couplets have been given here. You can also deduce the meaning of the difficult words here. cheers! प्रतिक्रिया Peeyush Malhotra 'Gurdaspuria' पर फ़रवरी 14, 2012 को 11:56 अपराह्न Doha 13- बड़े काम ओछो करै, तो न बड़ाई होय। ज्यों रहीम हनुमंत को, गिरिधर कहे न कोय॥13॥ इसका अर्थ गलत दिया गया है – बड़े काम ओछो करै, तो न बड़ाई होय अर्थार्त बड़े लोग अगर छोटे काम करेंगे तो बड़ाई नहीं होगी| ज्यों रहीम हनुमंत को, गिरिधर कहे न कोय अर्थार्त जब हनुमान जी ने धोलागिरी को उठाया था तो उनका नाम कारन ‘गिरिधर’ नहीं पड़ा क्योंकि उन्होंने पर्वत राज को छति पहुंचाई थी, पर जब श्री कृषण ने पर्वत उठाया तो उनका नाम ‘गिरिधर’ पड़ा क्योंकि उन्होंने सर्व जन की रक्षा हेतु पर्वत को उठाया था| Doha 26 – रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून। पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥26॥ चून का अर्थ होता है आटा कृपया इसका अर्थ ठीक करे चून का अर्थ होता है आटा न की चूना Conserve water, without water there is no life. Water plays an important part in making of a pearl, a human and dough. प्रतिक्रिया nkchoudhary पर फ़रवरी 15, 2012 को 4:47 पूर्वाह्न त्रुटि सुधार की ओर ध्यान दिलाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद पीयूषजी! मैने दोहा 13 और 26 के अर्थों का सुधार आपके कहे अनुसार कर दिया है। प्रतिक्रिया dev sharma पर नवम्बर 11, 2013 को 9:07 पूर्वाह्न yahan pani kin teen aartho mein aaya hai? nkchoudhary पर फ़रवरी 18, 2014 को 9:28 अपराह्न तीसरे अर्थ को भी शामिल कर लिया गया है। उपर देखें। dev sharma पर नवम्बर 11, 2013 को 9:08 पूर्वाह्न yahan pani shabd kin teen aartho mein aaya hai? Nishikant पर अप्रैल 27, 2015 को 4:11 पूर्वाह्न mere khayal se chun ka arth chuna hi hai kyonki bina pani ke chunaka upyog nahi hota. aishwarya पर जुलाई 2, 2012 को 5:00 पूर्वाह्न give meanings more clearly प्रतिक्रिया nihar पर अगस्त 14, 2012 को 3:06 अपराह्न MEANING SHOULD BE IMPROVED BUT ITS GOOD FOR MY AGE 🙂 प्रतिक्रिया henil j sangani पर अगस्त 14, 2012 को 3:09 अपराह्न 😦 :p =D o.O hi nihar kem che 😛 प्रतिक्रिया nihar पर अगस्त 14, 2012 को 3:09 अपराह्न i m fine 😛 प्रतिक्रिया henil पर अगस्त 14, 2012 को 3:10 अपराह्न hi nihar प्रतिक्रिया nihar पर अगस्त 14, 2012 को 3:11 अपराह्न hi?? kesa he 😦 🙂 😛 =D प्रतिक्रिया henil पर अगस्त 14, 2012 को 3:13 अपराह्न i m nihar i live in gujrat , ahmedabad im gujrati kem cho badha i love hindi also 😛 🙂 =D and i know french like jemappelle nihar bonjour and english hi bye ttata प्रतिक्रिया Daya पर सितम्बर 21, 2012 को 5:25 पूर्वाह्न छमा बड़न को चाहिये, छोटन को उतपात। कह रहीम हरि का घट्यौ, जो भृगु मारी लात॥1॥ अर्थ: बड़ों को क्षमा शोभा देती है और छोटों को उत्पात (बदमाशी)। अर्थात अगर छोटे बदमाशी करें कोई बड़ी बात नहीं और बड़ों को इस बात पर क्षमा कर देना चाहिए। बड़ों का फ़र्ज़ है छतों को माफ कर देना । जिस प्रकार ऋषि भृगु ने श्री हरी (विष्णु) की छाती पर लात मारी थी इसमें श्री हरी का तो कुछ भी नहीं बिगाड़ा और ऋषि भृगु को अपनी गलती का अहसास होने पर श्री हरी ने उन्हें क्षमा कर दिया था | प्रतिक्रिया lil star :P पर अक्टूबर 14, 2012 को 2:57 अपराह्न awesome bahut acchha hai maza aa gaya inhe pad ke kal ke programme me to bahut acche dohe bol paaungi प्रतिक्रिया lil star :P पर अक्टूबर 14, 2012 को 2:59 अपराह्न 🙂 fantastic प्रतिक्रिया lil star :P पर अक्टूबर 14, 2012 को 3:01 अपराह्न 😛 😀 :O 🙂 ::::::::( its become 2 much LOL >( प्रतिक्रिया nidhi पर दिसम्बर 8, 2012 को 8:49 पूर्वाह्न yaaaaa indeed!!! 🙂 :p प्रतिक्रिया akanksha katti पर दिसम्बर 2, 2012 को 6:56 पूर्वाह्न very nice but some dohas missing प्रतिक्रिया PARTH पर दिसम्बर 16, 2012 को 2:26 अपराह्न meanings should be more nice but it is of my age only प्रतिक्रिया yogesh पर जनवरी 10, 2013 को 12:29 अपराह्न this dohas are very knowledgable प्रतिक्रिया shriya पर जनवरी 20, 2013 को 8:17 पूर्वाह्न r u yogeshwar प्रतिक्रिया piyush पर जनवरी 16, 2013 को 1:43 अपराह्न nice dohas प्रतिक्रिया piyush पर जनवरी 16, 2013 को 1:46 अपराह्न i love upper dohas प्रतिक्रिया S.D.Chauhan पर अप्रैल 12, 2013 को 2:50 अपराह्न तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान। कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥2॥ 2nd doha Meaning- jis prakar phal dene wale vriksh apne phlon ka upyog swayam nah ikarte aur talab bhi apna paani khud nahi peete balki ye dusron ki bhalayi ke liye hota hai isi tarah sajjan purush bhi apne sanchit punji ka upyog dusron ki bhalyi ke liye karte hain. प्रतिक्रिया vidit पर मई 16, 2013 को 11:27 पूर्वाह्न nice प्रतिक्रिया sujeet nishad पर मई 18, 2013 को 5:17 अपराह्न these lines are very meaningful प्रतिक्रिया akshat पर जून 1, 2013 को 8:39 पूर्वाह्न Rahim das ji bahut achche aur nek kavi tatha sant the ushi tarah unke dohe bhi bahut achche aur dil ko chu jaane wale hain main bahut khush hoon ki aaj bhi log unke dohe padhte hain. प्रतिक्रिया lllllllkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkllllllllllllllllllll पर जून 6, 2013 को 5:16 पूर्वाह्न i like it प्रतिक्रिया Anjana Verma पर जुलाई 12, 2013 को 2:39 अपराह्न rahim ji ke dohe bahut aache he aur enka koi matlab bi he hme enko padkar apni life sudharni chaiye प्रतिक्रिया Lalita Verma पर जुलाई 12, 2013 को 2:55 अपराह्न This dohe is so good. It has a meaningful sentences. We have to prove that we also read this rahim ji dohe. I hope you all like this rahim ji dohe प्रतिक्रिया ramana पर जुलाई 25, 2013 को 3:16 अपराह्न तनिक कंकरी के पड़े नैन होत बेचैन , रहिमन वे कैसे जिये जिन नयनन में नैन. प्रतिक्रिया mangatramsharma पर अगस्त 16, 2013 को 5:33 पूर्वाह्न greeb ki kudrat bhi sahauta nahin karti. jese Sube shayak subal ke kaoo na nible shay,pawan jravat aag ko deepi det bojay. sub amir ke hote hain greeb ka koe nahin hota. jese tej hva Deepak ko boja jati hai,or agan koteji se jlaa jati hai.dohon kaa khub maja aya. प्रतिक्रिया mangatramsharma पर अगस्त 16, 2013 को 5:37 पूर्वाह्न dohon kaa arth aaj ke dour main bahut hai .sada ache vichar rakhne chahiye. प्रतिक्रिया tanushka पर अक्टूबर 14, 2013 को 5:10 अपराह्न I liked all of them, any poem or doha of rahim gives a inspirational, hopeful steps to our life……………. प्रतिक्रिया tanushka पर अक्टूबर 14, 2013 को 5:20 अपराह्न i am not satisfied with these short meanings give a full remark plz………… it will be helpfullllllllll.,.,.,……….. प्रतिक्रिया anusha पर अक्टूबर 17, 2013 को 3:51 पूर्वाह्न rahim ke dohe ke meaning acche he ae hamare life me bahut kam aayyega प्रतिक्रिया Cherry पर दिसम्बर 2, 2013 को 5:20 अपराह्न Thank you that really helped with my homework. प्रतिक्रिया deeksha chobey पर मार्च 19, 2014 को 12:11 अपराह्न frnds can u help me complete this doha..—-rahiman is sansar me bhanti bhanti ke log…………….. प्रतिक्रिया nkchoudhary पर मार्च 19, 2014 को 12:23 अपराह्न I think it belongs to Tulsi and not Rahim. Some people distort this doha and attribute it to Rahim. तुलसी इस संसार में, भांति भांति के लोग। सबसे हंस मिल बोलिए, नदी नाव संजोग॥ प्रतिक्रिया shacheendra pandey पर मई 20, 2014 को 4:55 अपराह्न Inspirational dohe, ashcharya hai unki samajik pakad par Jo aj bhi prasangik hai. प्रतिक्रिया sneha पर जुलाई 20, 2014 को 7:16 पूर्वाह्न Can u pls give the meaning of Kadli seep bhujang mukh, swati ek gun teen Jaisi sangati betiye, tasoi phal deen…. प्रतिक्रिया jitu पर अप्रैल 23, 2016 को 8:16 अपराह्न आदमी जैसी संगती करता है उसका स्वभाव भी वैसा ही हो जाता है जैसै, स्वाती नक्षत्र मे बारीश की बूंद सीप मे गिर कर मोती तथा नाग के मुख मे गिर कर विष बन जाती है प्रतिक्रिया Anju Jain पर सितम्बर 6, 2014 को 6:59 अपराह्न give the meaning of – deeragh doha arath ke, aakhar thore aahin jyo rahim nat kundli, simiti kudi chadhi jaahin. please explain this ASAP प्रतिक्रिया nkchoudhary पर सितम्बर 6, 2014 को 7:29 अपराह्न This site is changing from wordpress to a new site where I will be maintaining it in a better way. Please see the meaning on the new site at the following link: http://hindibhashi.com/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF/%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%97%E0%A4%A3/%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%AE-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%A6%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A5%87/ प्रतिक्रिया nkchoudhary पर सितम्बर 6, 2014 को 7:30 अपराह्न http://hindibhashi.com/हिन्दी-साहित्य/कविगण/रहीम-के-दोहे प्रतिक्रिया M.P. AWASTHI पर अक्टूबर 18, 2014 को 1:55 अपराह्न कर ले सूंघि सराहि के, सबै रहे गहि मौन I …………………………….., गवई गाहक कौन what इस missing part which is shown as dotted lines? प्रतिक्रिया मंगलसिंग धनावत पर दिसम्बर 28, 2014 को 2:05 अपराह्न बहुत ही सुंदर एवं अत्यंत स्तुत्य उपक्रम है यह।मैं आपको धन्यवाद देता हूँ। और भविष्य के लिए शुभ कामनाएँ देता हूँ। प्रतिक्रिया satish pawar पर अप्रैल 24, 2015 को 4:48 पूर्वाह्न बहुत ही सुंदर एवं अत्यंत स्तुत्य उपक्रम है यह।मैं आपको धन्यवाद देता हूँ। और भविष्य के लिए शुभ कामनाएँ देता हूँ। प्रतिक्रिया Santosh पर जुलाई 2, 2015 को 2:23 पूर्वाह्न रहिमन निज मन की व्रहिमन निज मन की व्यथा, मन में राखो गोय। सुनि इठलैहैं लोग सब, बाटि न लैहै कोय॥19॥ अर्थ: अपने दुख को अपने मन में ही रखनी चाहिए। दूसरों को सुनाने से लोग सिर्फ उसका मजाक उड़ाते हैं परन्तु दुख को कोई बांटता है। You have missed NAHI word in last line. it should be “परन्तु दुख को कोई बांटता नहीं है। प्रतिक्रिया श्याम शर्मा पर जुलाई 11, 2015 को 6:36 पूर्वाह्न साइट बहुत अच्छी है। प्रतिक्रिया Mohan पर जनवरी 9, 2016 को 12:45 पूर्वाह्न There was a dohe in which rahim said ghar ki nari ko to chhor do tan ki nari bhivsaath nahi deta. Koi mujhe pura Doha bata sakta hai. प्रतिक्रिया suryansh पर सितम्बर 4, 2016 को 12:00 अपराह्न can anyone pls tell the meaning of this Doha: NAAD REEJH TAN DET MRAG, NAR DHAN HEET SAMET TE RAHIM PASHU SE ADHIK, REEJHEHO KACHOO NA DET प्रतिक्रिया Blog Stats 556,456 hits पृष्ठ परिचय मेरी रचनाएं हिन्दी टेक-टॉक Adaptxt, (अडैप्टेक्स्ट) मोबाईल और टैबलेट पर हिन्दी में लिखने का सबसे अच्छा साधन डेस्कटॉप कंप्यूटर पर हिन्दी टाइपिंग हिन्दी भाषा हिन्दी भाषाविज्ञान हिन्दी साहित्य कविगण आदिम भय इब्तिदा-ऐ-इश्क है रोता है क्या उनका डर एलान ऐ इन्सानों ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया ऐ हुस्न-ए-बेपरवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ कटेगा देखिए दिन जाने किस अज़ाब के साथ कनुप्रिया – आम्र-बौर का गीत कालिदास काहे को ब्याहे बिदेस कुकुरमुत्ता खुसरो के मुकरियां ग़मे-आशिक़ी से कह दो गोसांऊंनी गीत चंद्रयात्रा और नेता का धंधा छाप-तिलक तज दीन्हीं रे तोसे नैना मिला के ज़मीं पे फ़स्ल-ए-गुल आई फ़लक पर माहताब आया झांसी की रानी टूटा पहिया तिल्ली सिंह तीनों बन्दर बापू के तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो तू ज़िन्दा है तू ज़िन्दगी की जीत में यकीन कर तू धूल-भरा ही आया न जी भर के देखा न कुछ बात की नगरकथा नर हो न निराश करो मन को पद्मावत का जोगी-खंड परचै राम रमै जै कोइ प्रयाणगीत प्रियतम फागुन के दिन चार होली खेल मना रे बटगमनी बारहमासा बीती विभावरी जाग री ब्रह्मराक्षस भगबती गीत भाई रे रांम कहाँ हैं मोहि बतावो भारत महिमा भारतेंदु हरिश्चंद के पद भीगी हुई आँखों का ये मन्ज़र न मिलेगा भूइयां के गीत मातृभाषा प्रेम पर दोहे या लकुटी अरु कामरिया ये ऐश-ओ-तरब के मतवाले बेकार की बातें करते हैं रक़ीब से रसखान के दोहे रहीम के दोहे लड्डू ले लो वसंत वहाँ कौन है तेरा, मुसाफ़िर, जाएगा कहाँ शक्ति और क्षमा शाम-ए-ग़म कुछ उस निगाह-ए-नाज़ की बातें करो शासन की बंदूक श्री रामचँद्र कृपालु भजु मन सत्य सपना सर फ़रोशी की तमन्ना सरसिज बिनु सर सर सैसव जौवन दुहु मिल गेल सोचा नहीं अछा बुरा देखा सुना कुछ भी नहीं स्तुति-खंड हनुमान चालीसा हमने तो रगड़ा है हर ज़ोर-जुल्म की टक्कर में हस्ती अपनी होबाब की सी है हास्याष्टक हे भले आदमियो ! हे मातृभूमि हिन्दी गद्य साहित्य प्रेमचन्द कहानियां त्रिया-चरित्र मनावन मिलाप View Full Site WordPress.com पर ब्लॉग. 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