Monday 18 September 2017

मन की महिमा

  खोजें   आध्यात्मिक जगतभक्तभक्त कबीर दास जी दोहावलीमन की महिमा मन की महिमा 1 2 3 4 5 (0 votes) font size 1398 Views  inShare  कबीर मन तो एक है, भावै तहाँ लगाव | भावै गुरु की भक्ति करू, भावै विषय कमाव || गुरु कबीर जी कहते हैं कि मन तो एक ही है, जहाँ अच्छा लगे वहाँ लगाओ| चाहे गुरु की भक्ति करो, चाहे विषय विकार कमाओ|  कबीर मनहिं गयन्द है, अंकुश दै दै राखु | विष की बेली परिहारो, अमृत का फल चाखू || मन मस्ताना हाथी है, इसे ज्ञान अंकुश दे - देकर अपने वश में रखो, और विषय - विष - लता को त्यागकर स्वरुप - ज्ञानामृत का शान्ति फल चखो| मन के मते न चलिये, मन के मते अनेक | जो मन पर असवार है, सो साधु कोई एक || मन के मत में न चलो, क्योंकि मन के अनेको मत हैं| जो मन को सदैव अपने अधीन रखता है, वह साधु कोई विरला ही होता है| मन के मारे बन गये, बन तजि बस्ती माहिं | कहैं कबीर क्या कीजिये, यह मन ठहरै नाहिं || मन की चंचलता को रोकने के लिए वन में गये, वहाँ जब मन शांत नहीं हुआ तो फिर से बस्ती में आगये| गुर कबीर जी कहते हैं कि जब तक मन शांत नहीं होयेगा, तब तक तुम क्या आत्म - कल्याण करोगे| मन को मारूँ पटकि के, टूक टूक है जाय | विष कि क्यारी बोय के, लुनता क्यों पछिताय || जी चाहता है कि मन को पटक कर ऐसा मारूँ, कि वह चकनाचूर हों जाये| विष की क्यारी बोकर, अब उसे भोगने में क्यों पश्चाताप करता है? मन दाता मन लालची, मन राजा मन रंक | जो यह मनगुरु सों मिलै, तो गुरु मिलै निसंक || यह मन ही शुद्धि - अशुद्धि भेद से दाता - लालची, उदार - कंजूस बनता है| यदि यह मन निष्कपट होकर गुरु से मिले, तो उसे निसंदेह गुरु पद मिल जाय| मनुवा तो पंछी भया, उड़ि के चला अकास | ऊपर ही ते गिरि पड़ा, मन माया के पास || यह मन तो पक्षी होकर भावना रुपी आकाश में उड़ चला, ऊपर पहुँच जाने पर भी यह मन, पुनः नीचे आकर माया के निकट गिर पड़ा| मन पंछी तब लग उड़ै, विषय वासना माहिं | ज्ञान बाज के झपट में, तब लगि आवै नाहिं || यह मन रुपी पक्षी विषय - वासनाओं में तभी तक उड़ता है, जब तक ज्ञानरूपी बाज के चंगुल में नहीं आता; अर्थार्त ज्ञान प्राप्त हों जाने पर मन विषयों की तरफ नहीं जाता| मनवा तो फूला फिरै, कहै जो करूँ धरम | कोटि करम सिर पै चढ़े, चेति न देखे मरम || मन फूला - फूला फिरता है कि में धर्म करता हुँ| करोडों कर्म - जाल इसके सिर पर चढ़े हैं, सावधान होकर अपनी करनी का रहस्य नहीं देखता| मन की घाली हुँ गयी, मन की घालि जोऊँ | सँग जो परी कुसंग के, हटै हाट बिकाऊँ || मन के द्वारा पतित होके पहले चौरासी में भ्रमा हूँ और मन के द्वारा भ्रम में पड़कर अब भी भ्रम रहा हूँ| कुसंगी मन - इन्द्रियों की संगत में पड़कर, चौरासी बाज़ार में बिक रहा हूँ| महमंता मन मारि ले, घट ही माहीं घेर | जबही चालै पीठ दे, आँकुस दै दै फेर || अन्तः करण ही में घेर - घेरकर उन्मत्त मन को मार लो| जब भी भागकर चले, तभी ज्ञान अंकुश दे - देकर फेर लो| गुरु - महिमा शब्द की महिमा परमारथ की महिमा सुख - दुःख की महिमा Please write your thoughts or suggestions in comment box given below. This will help us to make this portal better.SpiritualWorld.co.in, Administrator  अपनी आप बीती, आध्यात्मिक या शिक्षाप्रद कहानी को अपने नाम के साथ इस पोर्टल में सम्मलित करने हेतु हमें ई-मेल करें । (Email your story with your name, city, state & country to: info@spiritualworld.co.in) Submit your story to publish in this portal मन की महिमाBhakta Kabir Das ji DohawaliStoriesReal StorySpiritualityReligionBhakt or SantMann Ki Mahima RELATED ITEMS  एकता का बल  लग्न  इनाम  सिद्धि  साहस  बड़प्पन  व्रत  मोक्ष ज्ञान से संस्कार से नहीं  तपस्वी विद्वान More in this category: « सहजता की महिमा परमारथ की महिमा »  भक्त व संत भाई भाना परोपकारी जी (Bhai Bhana Propkari Ji)  जिऊं मणि काले सप सिरि हसि हसि रसि देइ न… श्री साईं बाबा जी  श्री साईं बाबा के नाम से कोई विरला व्यक्ति ही… भक्त रविदास जी (Bhagat Ravidas Ji)  (जन्म और माता-पिता) भाई साईयां जी (Bhai Saiyan Ji)  गुरमुख मारग आखीऐ गुरमति हितकारी |हुकमि रजाई चलना गुर सबद… संत तुलसीदास जी (Sant Tulsidas Ji)  भूमिका: श्रीमद भागवत के बाद दूसरे स्थान पर भारतीय जन… साखी कुबिजा मालिन की (Sakhi Kubija Malin Ki)  प्रेम भक्ति के संसार में कुबिजा का नाम बड़ा आदर-सत्कार… साखी राजा भक्तों की (Sakhi Raja Bhakton Ki)  १. राजा परीक्षित-राजा परीक्षित अर्जुन (पांडव) का पौत्रा और अभिमन्यु… साखी ब्रह्मा और सरस्वती की (Sakhi Brahma Aur Sarasvati Ki)  चारे वेद वखाणदा चतुर मुखी होई खरा सिआणा |लोका नो… राजा बली (Raja Bali)  सद्पुरुष कहते हैं, पुरुष को तपस्या करने से राज मिलता… साखी गरुड़ की (Sakhi Garud Ki)  पुरातन काल में एक ऋषि कश्यप हुए हैं, वह गृहस्थी… भक्त कबीर दास जी (Bhagat Kabir Das Ji)  भूमिका: संत कबीर (Sant Kabir Ji) का स्थान भक्त कवियों… हम मतवाले हैं चले साँई के देस  हम मतवाले हैं चले साँई के देस - 2जहाँ सभी… भक्त ध्रुव जी (Bhagat Dhruv Ji)  भूमिका: जो भक्ति करता है वह उत्तम पदवी, मोक्ष तथा… भक्त शेख फरीद जी (Bhagat Shek Farid Ji)  देखु फरीद जु थीआ दाड़ी होई भूर || अगहु नेड़ा… राजा हरिचन्द (Raja Harichand)  सुख राजे हरी चंद घर नार सु तारा लोचन रानी… छज्जू झीवर (Chjju Jhivar)  श्री हरिक्रिशन धिआईऐ जिस डिठै सभि दुखि जाइ || सतिगुरु… भक्त अंगरा जी (Bhagat Angra Ji)  गुरु ग्रंथ साहिब में एक तुक आती है: भक्त सुदामा (Bhagat Sudama)  प्रभु के भक्तों की अनेक कथाएं हैं, सुनते-सुनते आयु बीत… राजा उग्रसैन (Raja Ugrsaen)  इस धरती पर अनेकों धर्मी राजा हुए हैं जिनका नाम… संत तुकाराम जी (Sant Tukaram Ji)  हमारे यहाँ तीर्थ यात्रा का बहुत ही महत्त्व है। पहले…   Videos नम्रता का पाठ एक बार अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन नगर की स्थिति का जायजा लेने के लिए निकले। रास्ते में एक जगह भवन का निर्माण कार्य चल रहा था। वह कुछ देर के लिए वहीं रुक गए और वहां चल रहे कार्य को गौर से देखने लगे। कुछ देर में उन्होंने देखा कि कई मजदूर एक बड़ा-सा पत्थर उठा कर इमारत पर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। किंतु पत्थर बहुत ही भारी था, इसलिए वह more...  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